कैलाश-पर्वत-का-रहस्य

इसे दुनिया का सबसे बड़ा रहस्यमयी पर्वत माना जाता है। यहां अच्छी आत्माएं ही रह सकती हैं। इसे अप्राकृतिक शक्तियों का केंद्र माना जाता है।

यह पर्वत पिरामिडनुमा आकार का है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह धरती का केंद्र है। यह एक ऐसा भी केंद्र है जिसे एक्सिस मुंडी (Axis Mundi) कहा जाता है। एक्सिस मुंडी अर्थात दुनिया की नाभि या आकाशीय ध्रुव और भौगोलिक ध्रुव का केंद्र। यह आकाश और पृथ्वी के बीच संबंध का एक बिंदु है, जहां दसों दिशाएं मिल जाती हैं।

रशिया के वैज्ञानिकों अनुसार एक्सिस मुंडी वह स्थान है, जहां अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है और आप उन शक्तियों के साथ संपर्क कर सकते हैं।

कैलाश पर्वत की संरचना कम्पास के चार दिक् बिंदुओं के सामान है और एकांत स्थान पर स्थित है, जहां कोई भी बड़ा पर्वत नहीं है। कैलाश पर्वत पर चढ़ना निषिद्ध है, पर 11वीं सदी में एक तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा ने इस पर चढ़ाई की थी। रशिया के वैज्ञानिकों की यह रिपोर्ट ‘यूएनस्पेशियल’ मैग्जीन के 2004 के जनवरी अंक में प्रकाशित हुई थी।

कैलाश पर्वत चार महान नदियों के स्रोतों से घिरा है- सिंध, ब्रह्मपुत्र, सतलुज और कर्णाली या घाघरा तथा दो सरोवर इसके आधार हैं। पहला, मानसरोवर जो दुनिया की शुद्ध पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार सूर्य के समान है तथा राक्षस झील जो दुनिया की खारे पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार चन्द्र के समान है। ये दोनों झीलें सौर और चन्द्र बल को प्रदर्शित करती हैं जिसका संबंध सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से है। जब दक्षिण से देखते हैं तो एक स्वस्तिक चिह्न वास्तव में देखा जा सकता है।

कैलाश पर्वत और उसके आसपास के वातावरण पर अध्ययन कर चुके रशिया के वैज्ञानिकों ने जब तिब्बत के मंदिरों में धर्मगुरुओं से मुलाकात की तो उन्होंने बताया कि कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह है जिसमें तपस्वी आज भी आध्यात्मिक गुरुओं के साथ टेलीपैथिक संपर्क करते हैं।
यह पर्वत मानव निर्मित एक विशालकाय पिरामिड है, जो एक सौ छोटे पिरामिडों का केंद्र है। रामायण में भी इसके पिरामिडनुमा होने का उल्लेख मिलता है।
‘यति’ यानी हिम मानव को देखे जाने की चर्चाएं होती रहती हैं। इनका वास हिमालय में होता है। लोगों का कहना है कि हिमालय पर यति के साथ भूत और योगियों को देखा गया है, जो लोगों को मारकर खा जाते हैं।