बुलेट-बाबा-का-मंदिर

ओम बन्ना मंदिर (जोधपुर, राजस्थान ):

जोधपुर में ओम बन्ना का मंदिर अन्य सभी मंदिरों से बिल्कुल् ही अलग है. ओम बन्ना मंदिर की विशेषता है कि इसमें पूजा की जाने वाले भगवान की मूर्ति नहीं है बल्कि एक मोटरसाइकिल और उसके साथ ही ओम सिंह राठौर की फोटो रखी हुई है, लोग उन्हीं की पूजा करते हैं.

इस मोटरसाइकिल के बारे में कहा जाता है कि इसी मोटरसाइकिल से 1991 में ओम सिंह का एक्सिडेंट हो गया था. एक्सिडेंट में ओम सिंह की तत्काल मौत हो गई. लोकल पुलिस मोटरसाइकिल को पुलिस थाने लेकर चली गई लेकिन दूसरे दिन मोटरसाइकिल वापस एक्सिडेंट वाली जगह पर पहुंच गई.

जयपुर, मरूभूमि राजस्थान अपने प्रख्यात मंदिरों के लिए जाना जाती है। सबसे खास बात यह है कि यहां के सभी मंदिर अपने पीछे कोई न कोई रोचक कहानी समेटे हैं।

यह कहानियां अक्सर इतनी विचित्र होती हें कि सुनकर सहसा विश्वास ही नहीं होता कि ऎसा भी हुआ होगा लेकिन वहां के बाशिंदों मं प्रचलित किवदंतियां सुन इन्हें मानने पर मजबूर होना पड़ता है।

पाली में बुलेट बाबा का रहस्यात्मक मंदिर

राजस्थान के पाली जिले के एक मंदिर में बुलेट बाइक पूजी जाती है। यह स्थान जोधपुर पाली हाईवे पर पाली से लगभग 20 किलोमीटर दूर बुलेट बाबा के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।

मुख्य हाइवे के पास ही स्थित यह स्थान हाल ही के दिनों में बहुत चर्चित हुआ है। सड़क के किनारे जंगल में लगभग 20-25 प्रसाद व पूजा अर्चना के सामान से सजी दुकाने दिखाई देती है और साथ ही नजर आता है भीड़ से घिरा एक चबूतरा जिस पर ओम बन्ना की एक बड़ी सी फोटो और अखंड जलती ज्योत।

नजदीक ही चबूतरे के पास नजर आती है एक फूल मालाओं से लदी बुलेट मोटर साइकिल।

ओम बन्ना व बुलेट बाइक की चमत्कारी कहानी

ओम बना अर्थात ओम सिंह राठौड़ पाली शहर के पास ही स्थित चोटिला गांव के ठाकुर जोग सिंह जी राठौड़ के पुत्र थे। 1991 की गर्मियों की रात जब वे अपनी बुलेट 350 मोटर साईकिल पर गांव जा रहे थे तो एक सड़क हादसे में उनका उनका निधन हो गया।

कहा जाता है कि इस हादसे के बाद पुलिस वाले इस मोटर साइकिल को थाने ले आए लेकिन दूसरे दिन सुबह ही थाने से यह मोटर साइकिल गायब हो गई। तलाश करने पर मोटर साइकिल उसी दुर्घटना स्थल पर ही पाई गई।

किवदंती है कि पुलिसकर्मी कई बार मोटर साइकिल को दुबारा थाने लाए और यहां तक कि उसका पैट्रोल टैंक भी खाली किया लेकिन हर बार यह मोटर साइकिल थाने से गायब हो दुर्घटना स्थल पर अपने आप पहुँच जाती।

जब यह बात यहां के लोगों को पता चली तो उन्होंने उस स्थान पर चबूतरा बनवा कर ओम बन्ना का मंदिर बनवा दिया। यहां पर रोजाना बाकायदा पूजा की जाने लगी।

आखिर पुलिस कर्मियों व ओम सिंह के पिता ने ओम सिंह की मृत आत्मा की इच्छा समझ उस मोटर साइकिल को उसी पेड़ के पास रख दिया।

कहा जाता है कि इसके बाद रात्रि में वाहन चालको को ओम सिंह अक्सर वाहनों को दुर्घटना से बचाने के उपाय करते व चालकों को रात्रि में दुर्घटना से सावधान करते दिखाई देने लगे।

ओम बन्ना की आत्मा करती है रखवाली

बताया जाता है कि ओम बन्ना की आत्मा उस दुर्घटना संभावित जगह तक पहुँचने वाले वाहन को जबरदस्ती रोक देता या धीरे कर देता ताकि उनकी तरह कोई और वाहन चालक असामयिक मौत का शिकार न बने। ऎसी कई किवदंतियां यहां रहने वाले लोगों के मुंह से सुनी जा सकती है जिसमें ओम बन्ना की आत्मा ने उनकी जान बचाई।

आज ये स्थान हर आने जाने वाले चालक को गाडी सड़क नियमों का पालन करते हुए चलाने की सीख देता है।