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(1) Diwali – दिवाली
आई दीवाली, आई दीवाली,
आई दीवाली रे.
डीप जलाओ, खुशी मनाओ,
आई दीवाली रे.
खूब चले फुलझड़ी औरपटाखे,
आई दीवाली रे..
सबको बाँटों खूब मिठाई
आई दीवाली रे.

(2) दीपावली पर कविताएं –
दीप जलाओ दीप जलाओ, आज दिवाली रे |
खुशी-खुशी सब हँसते आओ, आज दिवाली रे।
मैं तो लूँगा खील-खिलौने, तुम भी लेना भाई
नाचो गाओ खुशी मनाओ, आज दिवाली आई।
आज पटाखे खूब चलाओ, आज दिवाली रे
दीप जलाओ दीप जलाओ, आज दिवाली रे।
नए-नए मैं कपड़े पहनूँ, खाऊं खूब मिठाई
हाथ जोड़कर पूजा कर लूं, आज दिवाली आई।

(3) दीपावली पर कविताएं –
आई रे आई जगमगाती रात हैं आई
दीपों से सजी टिमटिमाती बारात हैं आई
हर तरफ है हँसी ठिठोले
रंग-बिरंगे,जग-मग शोले
परिवार को बांधे हर त्यौहार
खुशियों की छाये जीवन में बहार
सबके लिए हैं मनचाहे उपहार
मीठे मीठे स्वादिष्ट पकवान
कराता सबका मिलन हर साल
दीपावली का पर्व सबसे महान
फिर से सजेगी हर दहलीज़ फूलों से
फिर महक उठेगी रसौई पकवानों से
मिल बैठेंगे पुराने यार एक दूजे से
फिर से सजेगी महफ़िल हँसी ठहाको से
चारों तरफ होगा खुशियों का नज़ारा
सजेगा हर आँगन दीपक का उजाला
डलेगी रंगों की रंगोली हर एक द्वार
ऐसा हैं हमारा दीपावली का त्यौहार

(4) दीपावली पर कविताएं –
फैल गयी दीपों की माला मंदिर-मंदिर में उजियाला,
किंतु हमारे घर का, देखो, दर काला, दीवारें काली!
साथी, घर-घर आज दिवाली! हास उमंग हृदय में भर-भर
घूम रहा गृह-गृह पथ-पथ पर,
किंतु हमारे घर के अंदर डरा हुआ सूनापन खाली!
साथी, घर-घर आज दिवाली! आँख हमारी नभ-मंडल पर,
वही हमारा नीलम का घर,
दीप मालिका मना रही है रात हमारी तारोंवाली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!

(5) दीपावली पर कविताएं –
दीपों का त्योहार दीवाली। खुशियों का त्योहार दीवाली॥
वनवास पूरा कर आये श्रीराम। अयोध्या के मन भाये श्रीराम।।
घर-घर सजे , सजे हैं आँगन। जलते पटाखे, फ़ुलझड़ियाँ बम।।
लक्ष्मी गणेश का पूजन करें लोग। लड्डुओं का लगता है भोग॥
पहनें नये कपड़े, खिलाते है मिठाई । देखो देखो दीपावली आई॥

(6) दीपावली पर कविताएं –
जल, रे दीपक, जल तू, जिनके आगे अंधियारा है,
उनके लिए उजल तू, जोता, बोया, लुना जिन्होंने
श्रम कर ओटा, धुना जिन्होंने, बत्ती बंनकर तुझे संजोया,
उनके तप का फल तू जल, रे दीपक, जल तू
अपना तिल-तिल पिरवाया है, तुझे स्नेह देकर पाया है
उच्च स्थान दिया है घर में, रह अविचल झलमल तू
जल, रे दीपक, जल तू, चूल्हा छोड़ जलाया तुझको
क्या न दिया, जो पाया, तुझको भूल न जाना कभी ओट का
वह पुनीत अंचल तू, जल, रे दीपक, जल तू
कुछ न रहेगा, बात रहेगी, होगा प्रात, न रात रहेगी
सब जागें तब सोना सुख से तात, न हो चंचल तू
जल, रे दीपक, जल तू!

(7) दीपावली पर कविताएं –
आओ फिर से दिया जलाएं भरी दुपहरी में अंधियारा
सूरज परछाई से हारा अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ। आओ फिर से दिया जलाएँ
हम पड़ाव को समझे मंज़िल लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल
वतर्मान के मोहजाल में- आने वाला कल न भुलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ। आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा अंतिम जय का वज़्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियां गलाएं। आओ फिर से दिया जलाएं

(8) कविता राखी का त्यौहार –
मन भावन सावन में आता, राखी का त्यौहार।
सखियों संग झूला झूलती, ननद भौजाई बार-बार।
सजा थाल बहना आती, बांधने राखी चमकदार।
हुलसी हुलसी फिरती, पहन चुनरी लहरेदार।
भैया के बांध राखी, करती है लाड प्यार।
सब त्यौहारों मे खास है, राखी का त्यौहार।
लगा तिलक व चावल, टुकड़ा दे मुंह मे कटाव का।
भैया का मुंह मीठा कराती है,यह त्यौहार है प्रेमभाव का।
बहना को अपने भैया पर, होता है बड़ा गुमान।
हमेशा खुश होती है, भैया की देख बढ़ती शान।
छोटे का रखती है पूरा ध्यान, बड़े का करती है पूरा मान-सम्मान।
मां-बाप के बाद में, मायके में भैया है मेरी जान।
भैया की उतार आरती, करे लंबी उम्र की कामना।
सदा सुखी रखे भगवान, खूब फैलाए भैया का यशोगान।
भैया देता है बहना को,रुपए कपड़े और उपहार।
और देता है आशीर्वाद, सदा सुखी रहे तेरा परिवार।
सदा बनाए रखना,यह अनुपम प्यार।
भाई बहन के रिश्तों का, होता है राखी का त्यौहार।

(9) आया होली का त्योहार –
आया होली का त्योहार,
लाया खुशियों का अंबार,
प्रफुल्लित हो पूरा परिवार मजा आ जाएगा ।।
तो कुछ हों रंग गुलाबी लाल,
गाल पे रंग दूं तेरे गुलाल,
ये मौका मिल जाए हर साल मज़ा आ जाएगा ।।
फागुन मस्ती का है मास,
प्यार से आजा मेरे पास,
तुझे मैं रंग लगा दूं खास मज़ा आ जाएगा ।।
तो आजा कर लें अभी धमाल,
रखूंगा तेरा पूरा ख्याल,
लगाऊं अंग-अंग रंग सम्हाल मज़ा आ जाएगा ।।
ये मौका मिले न बारम्बार,
आओ करूं प्यार से प्यार,
भर के स्नेह और सत्कार मज़ा आ जाएगा ।।
तो घर घर बने खूब मिष्ठान,
साथ में हो पूड़ी पकवान,
व खाएं बैठ सभी मेहमान मजा आ जायेगा ।।
ये जीवन ईश्वर की सौगात,
निभाने आजा मेरा साथ,
प्यार से चलने दे दिन रात मज़ा आ जाएगा ।।
कान्हा छेड़ रहें ब्रज नार,
राधा की होली लट्ठमार,
सजा दे होली का श्रृंगार मज़ा आ जाएगा ।।
उड़ा दे रंगो की बौछार,
छोड़ दूं पिचकारी की धार,
पीला दे भंग थोड़ी इस बार मज़ा आ जाएगा ।।
तो होली में मिल जाएं हम,
भुला दे अपनें सारे गम,
मस्त रहें मस्ती में हरदम मज़ा आ जाएगा ।।
छोड़ें कलह कपटता द्वेष,
मिटा के मनमुटाव औ क्लेश,
किसी को पहुंचाए ना ठेस मज़ा आ जाएगा ।।
तो सबको देता हूं आवाज़,
शिकवे गिले मिटा दें आज,
बनाएं सुंदर सभ्य समाज मज़ा आ जाएगा ।।
कोकिल बसंत की धुन गाए,
मधुकर मधुप से मधु चुराए,
जीवन में अमृत भर जाए मज़ा आ जाएगा।।
तो मेरा भारत मेरा देश,
जहां त्योहारों का परिवेश,
ये होली जुड़ने का संदेश मज़ा आ जाएगा ।।

(10) होली बधाई कविता –
बस रंगों का त्योहार हैं होली
और ढंगों का त्योहार हैं होली
मिलजुल जाए आपस में सारे
ऐसा यहीं ईक़ त्योहार हैं होली
करती फिज़ा ज़वान हैं होली
बदलतीं हिज़ा इंसान की होली
धरती अम्बर एक सा करती
करती खिज़ा गुलज़ार की होली
खाते सब क्यूँ हैं भाँग की गोली
करतें उलटी सीधी बात बोली
बेढंगे करतूत से अब अपने
बना दिये त्योहार को बम गोली
>ना मत इसको बदनाम करो
बस रंग अबीर के नाम खेलो
ये पर्व हैं प्यार और उन्नति का
बोली जुआ में ना बरबाद करो।।