– FINANCIAL PLANING & STOCK ANANYSIS –
जल्द से जल्द अपने आपको Financial Free करो, जिससे Family के साथ समय बीता सकों और free mind के साथ future planning कर सकों Without Any Tention .
Investment Planning –
- Real Estate Investment – खरीद सकते हैं या किराये पर दे सकते हैं
- Housing बांग्ला या फ्लैट
- Land खेती की जमीन या रहवासी जमीन
- Commercial दुकान या मॉल ले सकते हैं या किराये पर दे के लिए investment
- Gold & Silver – Long Term के लिए 5 से 7% दे देता हैं
- FD – न के बराबर पैसा इसलिए इसे invest के तोर पर नहीं देखा जाता
- Investment in your self
- Health (जिसके उपर डेपेन्डेन्ट हो उनका insurance जरूर कराए )
- Education (पड़ाई मे पैसा खर्च करो रिटर्न unlimited)
- Skills (सीखना)
- Stocks – कंपनी की analysis करके उसकी value पता लगती हैं
Industry Analysis – Investment में जो भी पैसा शेयर मे डाल रहे हैं वह analysis करके हैं डालना चाहिए चाहे वह 1 रुपैया क्यों न हो
Industry का Analysis – जैसे कई तरह की industry होती हैं – Food, Education, IT, Automobile आदि हमें यह पता करना हैं की आने वाले 10 साल तक क्या यह service करेंगी तो उसे जानने के लिए analysis करते हैं
जैसे Food Industry में restorent 5 साल पहले कई चलते थे अब सब online या गया cloude काम हो गया
- हमें पहले कंपनी की इनफार्मेशन इकट्ठा कर नहीं होगी कि आने वाले 500 सालों में ग्रोथ के लिए क्या क्या कर रही है
- कस्टमर किसी भी कंपनी का फीडबैक कैसे दे रहे हैं जो उस कंपनी का प्रोडक्ट यूज कर रहा होता है उसका फीडबैक देखना होगा
- जो employees उस कंपनी में काम कर रहे हैं क्या वह उनका फ्यूचर कंपनी के साथ देख पा रहे हैं या टाइम पास कर रहे हैं यह सब चीजें कंपनी के Employee या आसपास के लोगों से बात करके पता कर सकते हैं|
एक website हैं www.ibef.org (Indian brand equity foundation) – यह हमें किसी कंपनी की सारी Detail मिल जाती हैं सारी analysis यहाँ मिल जाती हैं जैसे-
- कोई सेक्टर किस तरह से perform कर रहा हैं
- उस sector के govt के plan कोन कोन से हैं
- किस सेक्टर में गवर्नमेंट के ज्यादा प्लान या रहे हैं
- उस सेक्टर में latest trend क्या हैं
- Showcase – इस option में किसी sector की top 3 कंपनी या जाती हैं
- हमें इस वेबसाइट पर industry में जाकर sector choose करना है
- यहाँ हमे देखना हैं की किस किस sector में govt का interface हैं
- किस किस सेक्टर का ट्रेंड अच्छा जा रहा हैं
- किस किस सेक्टर में हमें ज्यादा environment दिख रहा हैं
- किस किस सेक्टर मे हमे foreign investment दिख रहा हैं
यह सभी चीजें इस वेबसाइट पर देखना है इसमें से 1-2 सेक्टर निकालकर बेस्ट कंपनी में अपना इन्वेस्टमेंट कर देना है|
हम सब इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं चाहे वह लोकल हो या कोई ब्रांड हो सुबह उठते हैं ब्रश करते हैं पेस्ट कपड़े पहनना खाना दालें आदि सब इंडस्ट्री का हैं हिस्सा है जैसे टाटा नमक आदि, हमारी लाइफ टोटली बेस्ड हैं इंडस्ट्री पर और पूरी अर्थव्यवस्था (economy) ऐसे हैं चल रही है|
Sector में हम उन कंपनी को चूसे करेंगे जो हमारी life में impect डालते हैं जैसे
it sector – घर बेटहे क्लास देखते हैं
Auto Sector – डेली गाड़ी चलाते हैं
Consumer प्रोडक्ट – ये सब use करते हैं
Screener पर किसी कंपनी को सर्च करके देखें
P&L – Compounded sales growth, Compounded Profit Growth, Stock Price CAGR, Return Of Equity .
Financial Ratios – Company की fundamental analysis करने के लिए कुछ tool होते हैं उन्हे हैं ratios कहते हैं |
Ratio जो होते हैं वह अलग अलग sector’s पर depend करता हैं, हर एक sector के अलग अलग ratio होते हैं और जो उनकी अलग अलग performance दिखा रहे होते हैं|
Ratio पकड़ने से पहले हमें कुछ important terms के बारे मैं पता होना चाहिए :–>
- Market Cap – Market में इस समय चल रही कंपनी की Value होती हैं , मार्केट मैं जो शेयर की अभी की प्राइस चल रही होती हैं वह हमें screener पर current price मैं दिखती हैं|
- Net Worth(कुल किमत) – कंपनी की Net Worth हमें पता करनी हो तो हम Screener पर जाकर देख सकते हैं यहा हमे नीचे balance sheet में reserves ओर share capital को add कर दें तो वह net worth कहलाता हैं
- Premium by market – market ने इस company को कितना premium दिया हुआ हैं means market ने देखा की यह कंपनी अच्छी growth कर रही हैं इसकी compounding growth,sales growth , Profit growth भी अच्छी हैं तो जो बुक वैल्यू(शेयर का असली price) होती हैं, उससे current price हमेशा बड़ी हुई मिलती हैं मतलब आप इतनी value रखते हो मार्केट मैं , मार्केट ने उस कंपनी को एक प्रीमियम दिया की आप इस लेवल पर trade कर सकते हो |
जब हम किसी कंपनी को जज करने जा रहे हैं, उसकी growth पता करने जा रहे हैं , उस कंपनी की असली value पता करने जा रहे हैं तो ना तो वह market cap से पता लगेगा,ना वह net worth से पता लगेगा, पता करने के लिए अलग अलग तरीके होते हैं कंपनी की actual value निकालने के लिए हमें intrinsic evaluation करना पड़ता हैं लेकिन वह बहुत difficult होता हैं इतना आसान नही होता हैं , कंपनी की intrinsic निकालने मैं हैं हमें help मिलती हैं ratio की |
जैसे फल की टोकरी है उसका भाव ₹500 बताया लेकिन हमने उसमें से फल छाटे , उन्हे छुआ और उन्हें सुंगा और देखा उनकी वैल्यूएशन कितनी है जैसे ₹300 हैं उस हिसाब से हमने उन्हें लिया उनकी evaluation (ई-वैल्यूएशन) हैं ratios है|
Ratio Analysis के Purpose – कंपनी में ratio analysis के तीन important function हैं, Evaluation, comparison, company Health.
Evaluation = कुछ Ratio एसे होते हैं जो हमें बताते हैं की कंपनी अच्छा आउट्पुट दे रही हैं या नही (इससे हमें यह idea लगता हैं की कंपनी अपने resources को केसे utilize कर रही हैं , क्या वह output दे पा रही हैं या नही दे पा रही हैं, कुछ ratio ऐसे होते हैं जो बताते हैं की company output दे रही हैं या नही )
Comparison – Stock को compare करके देख सकते हैं की किस stock में पैसा डालना चाहिए यदि कम पैसा हैं तो |(कंपनी के जो सेल्स सेक्टर मैं जो competitor हैं उनके against कैसा perform कर रही हैं | क्यों की हमारा बेसिक AIM यह होता हैं की हम जिस share मैं पैसा डालेंगे हम उसमें long term करके पैसा डाल रहें हैं तो वह ससटेन करें 20-25 साल तक जब हम पैसा निकले तो वह पैसा 100 से 200 गुना multiply हो चुका हो )
Company Health – कई ratio यह भी बताते हैं की company long time तक survive करेगी के नहीं , means जैसे कोई भी business चलाते हैं तो Owner को यह ध्यान होना चाहिए की यदि loss मे भी गए तो minimum 1 साल तक वह पूरी responsibility उठा सकता हैं चाहे उसे loss क्यों ना हो रहा हो |
Type Of Ratios –
Profitability => कंपनी ने कितना लोन लिया है कितना कैपिटल लगाया है जब भी कंपनी अपना प्रॉफिट बताती है तो हमें यह भी देखना चाहिए कि उसने कितना कैपिटल खुद से लगाया रखा है उसमें उसके बाद कंपनी ने लोन कितना लिया उस प्रॉफिट को जनरेट करने के लिए जैसे roe और roce यह हमें प्रॉफिटबलिटी बताते हैं percentage form मैं | (माना 25% profit मैं company चल रही हैं तो इसमें company ने कितना capital invest किया हैं और कितना loan लिया हैं )
Liquidity => इसमें कुछ ratios होते हैं -current ratio, quick ratio, inventory turn over, ये ratio बताते हैं की कंपनी काबिल हैं या नही वह अपने Short Term या Regular Credit debts pay कर प रही हैं या नही |
जैसे कंपनी मे पूरा काम 90% credit (उधार) पर चलता हैं इस भरोसे पर की वे लोग कंपनी को पैसा दे देंगे जैसे petrol pump जो चलते हैं वह trsport पर जो truck चलते हैं उनके दम पर उनका पैसा monthly आता हैं, बड़ी बड़ी कंपनी branches खोलती हैं या agent के जरिए product बिकवाती हैं तो वो सब credit (उधार) रहता हैं लेकिन कंपनी उन पर भरोसा करके उधार माल देती हैं , हमें यह देखना होता हैं की company जो goods उधार देती हैं वह चुका पा रहे हैं या नही , जो छोटे छोटे लोन हैं वह चुका पा रही हैं या नहीं यही ratios हमें बताते हैं
Valuation => जो कंपनी के अंदर इन्वेस्टर हैं वह कितना earn कर रहें हैं उन्हें क्या मिल रहा है यह सब कंपनी की मार्केट वैल्यू से पता लगता है इसमें मैं जो रेशों होते हैं – PE Ratio, Price of Book ratio, Price to sale ratio. ये ratio हमें बताते हैं की investor ने जो पैसा शेयर में डाल होता हैं वह earn कर रहें हैं या नही |
Solvency(सॉल्वेन्सी) => solvency मतलब Market में Covid या कोई बुरा वक्त आता हैं तो कंपनी उसे survive कर सकती हैं या नही , यहा पर हमे Debts Equity, Debts Assets & Interest Rate ये सभी ratio हमे यहा देखने होते हैं
Company में पैसा डालने से पहले बहुत हैं अच्छे से analysis कर लेना हैं एसा नही की किसी ने बोला पैसा डाल दिया, ratios की मदद से पूरा analysis करो
AIM For Ratio Analysis – Debts(Loan) का ratio देखना बहुत जरूरी होता हैं कंपनी मैं
जैसे – मान लो तीन बिजनेसमैन हैं –
- Businessman A ने Business में अपनी जेब से 1,00,000 डाले
उसने कमाए 1 साल में 1.25 लाख
ROI (Return Of Investment) = 25000रु profit मतलब 25% Profit कमा लिया
यानि 25000 profit हुआ जो की good amount हैं
- Business B ने Business में अपनी जेब से 50,000 डाले ओर बाकी लोन लिया 50,000 का 20% प्रति वर्ष के हिसाब से
Total 1,00,000 invest किए कंपनी खोली
Profit 25,000 बना लिया साल का
Interest paid 20% के हिसाब से (ब्याज भरा 10,000 रुपए)
Net Profit = (25000-10000) = 15000 रु
ROI(Return Of Investment ) = 15000/50000*100
= 30% Profit but not good क्यों की interest भी भरा profit के साथ
- Businessmen C ने अपनी जेब से 10,000 डाले , Loan लिया 90,000 का ब्याज 20% प्रति वर्ष मतलब 18000 ब्याज का भरना
Profit कमाया 25000
Net Profit = 25000-18000 का लोन चुकाया
Net Profit = 7000
ROI(Return Of Investment ) = 70%
Actual में Profit 7000, बाकी 18000 का तो लोन भर दिया |
अब मान लो covid जैसी situation या गई, अब पैसा नहीं बन पा रहा कंपनी का, तो लोन(interest) तो भरना हैं है 18000 p\a तो कंपनी इस समय डूब गई|
सबसे पहले screener पर देखे नीचे आकर
PROS मे कंपनी debts free रहे |
Ratios
दो Type के Ratio –
EPS (Earning Per Share)
PE (Price to Earning)
EPS – एक शेयर से क्या अर्निंग या रही हैं वह निकालना हैं इसको निकालने के लिए हमे सबसे पहले चाहिए होता हैं कंपनी का net profit और कंपनी मे number of share .
Earning of company मतलब Net Profit निकालने के लिए हमें screener मैं profit & Loss मे जाना यहा नीचे मिल जाएगा
Market Cap यह हमें scrneer मैं top मे मिल जाएगी
Share price यह भी हमे scrneer मे top मे जो current value चल रही हैं वह हैं |
Number of share निकालने के लिए हमे market cap से share की current value को divide करना होगा | N-Number of share = Market cap / Current Share Price
EPS = Net Profit \ Number Of Share
(मानलों 100 रु का शेयर खरीदा और 125 में बेचा तो जो 25 रु का profit आएगा वह net profit कहलाएगा )
Earning Of Company :
Net Profit =
Market Cap =
Share Price =
Number Of Share = Market Cap / Share Price
EPS = Net profit / Number Of Share
EPS = _________________
Earning Per Share से हम कंपनी को कंपेयर कर सकते हैं यह हमें screener पर p&l मे भी मिल जाएगा
इसके लिए उदाहरण –
House 1 खरीदा ₹1,00,00,000 का और ₹5,00,000 कमाए rent से वार्षिक
Return 2%
House 2 खरीदा ₹50,00,000 का और ₹3,00,000 कमाए rent से वार्षिक
Return 6 to 7 %
House 3 खरीदा ₹25,00,000 का और ₹2,50,000 कमाए rent से वार्षिक
Return 10%
एक घर के हिसाब से 5,00,000 earning हुई
एक घर के हिसाब से 3,00,000 earning हुई
एक घर के हिसाब से 2,50,000 earning हुई
सिर्फ return कितना मिला उसको देख कर हम जज नहीं कर सकते की यह कंपनी good हे उसके लिए हमे कई ratio ओर देखना होते हे जो हमे बताएंगे की capital कितना लगाकर घर खरीदा था कोई लोन तो नहीं लिया था |
अब हमे पता नहीं की 1 करोड़ लगाए तो उसमे कितना लोन था या कितना capital, तो वो हम केसे जज करेंगे इसके लिए PE (Price to Earning Ratio) का भी हेल्प लेना होगा
PE Ratio – आप कितना गुना अमाउन्ट खर्च करने के लिए तैयार हो एक particular शेयर को खरीदने के लिए
Price Of Share = ———–
EPS = ——–
PE Ratio = Price of share / EPS
उदाहरण के लिए
House 1 : 1 करोड़ पर 5 लाख रिटर्न साल का 1,00,00,000 / 5,00,000
PE = 20
House 2 : 50 लाख पर 3 लाख रिटर्न साल का
PE = 16.66
House 3 : 25 लाख पर 2.5 लाख रिटर्न साल का
PE = 25/2.5 =10
House 3 में PE Ratio सबसे कम हैं यानि कम खर्च पर ज्यादा Earning मिल रही हैं वे stock जिनकी market मे value दिख नहीं रही , लेकिन वे value रखते हैं वह Price to Earning Ratio (PE) होता हैं जो की सबसे बेस्ट होता हैं
PE Ratio = current share price / EPS
(मान लो pe ratio 10 हैं तो माना हमने invest किया था 25 लाख रुपये , 2.5 लाख कमाने के लिए ओर pe ratio 20 हैं तो हमें invest करना होगा 50 लाख रुपये , 2.5 लाख कमाने के लिए)
20 pe X 2,50,000 कमान हैं = 50,00,000 invest करना पड़ेगा
10 pe X 2,50,000 कमान हैं = 25,00,000 invest करना पड़ेगा
इसी लिए जितना कम pe ratio होगा उतना कम investment मैं काम हो जाएगा
ROE & ROCE Ratio = ये Ratio , Company के Compounding Growth (Profitability) को कैल्क्यलैट करने के टूल हैं
ROE – Return On Equity
ROCE – Return On Capital Employed
ये दोनों हैं कंपनी के compounding growth को calculate करके दे रहे होते हैं फर्क सिर्फ यह हैं की roe मे लोन वाला part को consider नहीं करते जब की roce मे loan वाला Part को consider किया जाता हैं
Screener website में top पर हैं मिल जाएगा roce ओर roe क्यों की यह एक important डाटा होता हैं
इन ratio की जितनी ज्यादा value % होगी उतना अच्छा कंपनी ग्रोथ दिखा रही होगी ये दोनों जीतने ज्यादा होंगे उतना अच्छा return मिल सकता हैं roe और roce का नंबर आस पास हैं होता हैं
Roe = net income या net profit / share holder equity X 100
Share holder equity = share capital + reserves ये दोनों screener.in में balance sheet में होती हैं |
Roce = Ebit / Capital Employed
EBIT = Earning Before Interest & Profit Before Tax
जो भी actual profit हैं ओर जो भी ब्याज हम दे रहें हे वह ebit कहलाता हैं |
(Profit Before Tax और Earning Before Interest(Interest) भी दोनों screener मे p&l में मिल जाएंगे )
Capital employed = share holder fund (Share Capital + Reserves) +debts (borrowing) X 100
ये दोनों screener में balance sheet में मिल जाएंगे |
(roe एक तरह से net income पर depend करता हैं जैसे जैसे net profit बड़ता चल जाएगा roe बड़ता जाएगा चाहे profit हमने लोन लेकर हैं क्यों ना कमाया हो )
(Roce एक तरह से Earning Before Interest और Profit Before Tax
पर depend करता हैं, इसमें कितना लोन लिया हुआ हैं उसे calculate करके निकाला जाता हैं इसलिए यह ज्यादा अच्छा हैं )
Price to Book Value Ratio – Price to Book Value Ratio मतलब आप actual मैं company को कितना premium pay करने के लिए तैयार हो ,
Book value – company जब सब कुछ लोन चुका देती हैं कंपनी बिक जाती हैं कंपनी अपना सारी assets बेच कर कंपनी बंद करके मार्केट से निकालना चाहती हैं तो वह अपने शेयर होल्डर को जो price देकर जाती हैं वह हैं book value , बुक में जो लिखी होती हैं वह होती हैं book value जो कंपनी हमें देगी
जैसे कोई शेयर की actual 100 रु book value हैं लेकिन वह share 500 रु ट्रैडिंग price पर चल रहा हैं तो क्या हम 100 से 500 यानि की 5 गुना पैसा देकर उसको खरीदना चाहेंगे, यही 5 गुना price to book value हैं |
Book value निकालने का Formula –
Number Of Share = Market Cap / Current Market Price
Book Value = Net Worth (Share Capital + Reserves)/ Number of share
Price to Book Value Ratio मतलब आप actual मैं company को कितना premium pay करने के लिए तैयार हो
Debts to Equity Ratio – इसकी value कभी भी 1 से उपर नहीं जाना चाहिए
- Debt यानि लोन
- हमारी country में लोन लेना काफी खर्चीला हैं यानि यदि बिजनस लोन ले रहे हैं तो bank काफी high interest charge करते हैं
- जब हम बिजनस कर रहे होते हैं ओर काफी हाई लेवल पर business करने लगते हैं तो loan unavoidable होजाता हैं debt कही ना कही से तो लेना होता हैं क्यों की वह सब कुछ हम अपनी pocket से नही दे सकते हैं
- लोन हमेशा calculation के साथ लेना चाहिए , जैसे की हमने एक कंपनी start करना हैं उसके लिए हमने जमीन ली मान लो 10 करोड़ की , हम flat बनाएंगे उसमें कुछ पैसा और लगेगा , हम land खरीदने के लिए अपने पॉकेट से 2 या 3 करोड़ लगाएंगे अपने pocket से ओर बाकी लोन ले लेंगे बैंक से और फ्लैट बनाकर सेल कर देंगे और जो पैसा आएगा वह हम 1 साल के अंदर उतार देंगे ओर जो पैसा बचेगा वह हम अपने पास रहेंगे
- लोन जब भी लेना कम टाइम के लिए लो और तभी लेना जब हमे उससे फायदा हो रहा हो
- ज्यादातर जो कॉम्पनीय डुबी हैं वह बहुत ज्यादा कर्ज होने की वजह से
- बड़ी बड़ी कंपनी जो advertisement करते रहती हैं उनका actually में मार्केट मे कोई दम होता नही हैं
Debt to Equity Ratio = Total Debts / Total Equity
यह हमे screener पर से balance sheet में मिल जाएगा total करना हैं इनका
Total Debts = Long Term + Short term
Total Equity = Share Holders fund (share capital)
Or
Total Equity = (reserves or Surplus) + share capital
Share Capital = Total Share Holders Fund
Total Debt = Long Term(borrowing) + Short Term (Other Liabilities)
D/E Ratio = Total Debts / Total Equity
ये कभी भी एक रुपये से ज्यादा नही होना चाहिए
(जब भी यदि हम business करना चाहते हैं या किसी भी चीज के अंदर पैसा इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो कही से भी हम लोन ले रहे हैं तो हमारा ratio 1 से ज्यादा नही आना चाहिए , हमने जो पैसा डाला हैं और उसमे जो अपने जेब से पैसा डाल हैं वह हमेशा 1 से ज्यादा नही होना चाहियें )
Money control मैं यहाँ हम थोड़ा ज्यादा celerity से इसे calculate कर पाएंगे जैसे रिलायंस का स्टॉक सर्च किया , reliance के financial open किए यहाँ balance sheet पर click किया यहाँ सारी डीटेल या जाती हैं share capital , reserves & surplus
Ratio कैसे apply करते हैं (Ratio Application) – कॉनसी कंपनी हमारे लिए Best होगी ratio को analysis करना अलग अलग स्टॉक पर
Step 1 मार्केट में invest कब करना हैं =>
EPS को हम PE Ratio calculate करने के लिए use करते हैं
Pe ratio मतलब जैसे pe ratio 20 हैं means हम उस स्टॉक से पैसा कमाने के लिए 20 times पैसा ज्यादा देने के लिए तैयार हैं
Pe ratio मतलब किसी कंपनी से एक रूपये earn करने के लिए 20 गुना पैसा देने को तैयार हैं
Nifty मतलब अलग अलग सेक्टर की कंपनी का combination
मार्केट में Enter करने के लिए सबसे पहले nifty का pe निकालो
Google Search कर सकते हैं Nifty PE NSE 2022 यह Search करने पर nifty PE या जाएगा मानलों Pe 20-21 चल रही हैं मतलब वह safe हैं |
अभी Nifty PE 26.9 चल रहा हैं, यदी यह 29-30 तक चल जाता हैं तो वह crash होता हैं, मार्केट ओर यह crash होकर 18 से 19 तक या जाएगा तो या 29 से 30 तक हो अब पैसा नही लगाना हैं ओर जब pe 20 से 21 तक मे रहें तब पैसा लगाओ ताकि वह मार्केट bounce होने तक 27,28,29 तक या जाएगा ओर तब तक हम पैसा छाप चुके होंगे |
सेक्टर Open करें direct google से ‘nse 1 Sector Nifty’ यहाँ से सब sector list wise या जाएंगे इन सभी sector से हमे कोई 4-5 sector सिलेक्ट करने हैं ओर इनमे portfolio बनाना हैं
FMCG (Fast Moving Consumer Goods) => वे Product जो fast moving होते हैं जो हम use करते हैं जैसे – टॉफी , खाना – पिन , कॉस्टमेटिक्स यह सेक्टर सबसे safe होता हैं
मान लो sector choose किए और उनके स्टॉक के लिए analysis के लिए screener.in खोलेंगे अब सब stock search करके देखेंगे
Auto – Maruti
Bank – HDFC
Energy – Reliance
IT – TCS
FMCG – Hindustan Uniliver
Pharma – Sun Pharma
अलग अलग tabs में सारे stock open कर लेंगे screener में जिससे analysis कर सकें
PE Ratio
ROE Ratio
Roce Ratio
Net Profit
Reserves – Company ने कितना पैसा लगाया हैं जितना reserves और net profit में gap कम होगा उतना अच्छा होगा मान लो 10 रुपए लगा रही हैं ओर 7-8 रुपये profit निकाल रही हैं तो अच्छा होगा एसा नही की कंपनी 10 रुपये लगा रही हैं ओर 1 रुपये निकाल रही हैं तो वह कंपनी लॉंग टाइम चलेगी हैं नही
Peers मतलब same sector की company होती हैं
Maruti Share का analysis screener पर
Pe – 53.3 जो काफी ज्यादा हैं देख सकते हैं book value मतलब current से कितनी ज्यादा हैं
Roce – 5.20%
Roe– 4.4.%
Pros – Company is almost Debts Free
Quarterly Results – Net Profit = 487 करोड़
Profit & Loss – Net Profit 4200 करोड़ (साल का)
Balance Sheet – Reserves – 52,116 कंपनी ने इतना इन्वेस्ट किया ओर कंपनी को net profit कितना काम हैं इसलिए roe कम या रहा हैं इसी वजह से compound growth भी माइनस में या रही हैं
PE भी काफी ज्यादा हैं
ROE कम से कम 12,13 तो मिलना चाहिए
ROCE भी कम हैं
Reserves काफी ज्यादा हैं मतलब काफी ज्यादा capital लगा रखा हैं
Net Profit कम हो रहा हैं
इसलिए मारुति में इन्वेस्ट अभी नही करेंगे,
HDFC Bank Share का analysis screener पर
Stock PE 26.3
ROCE – 6.31% ROE 16.5%
यहाँ कहीं घपला हैं ROE ज्यादा और ROCE इतना कम
Nifty का pe और hdfc का pe match हो रहा हैं जो की काफी अच्छा हैं
लेकिन roce गड़बड़ हैं
Net Profit – 32828 करोड़
Compounding Growth 10 year 23% जो की Good हैं
Reserves – 209259
Borrowings- 1511418
(ROCE इतना कम इसीलिए था क्यों की इसने कर्जा लोन ले रखा हैं, जेब से capital means Reserves डाल रहा वो तो कम और borrowing कितना ज्यादा हो गया हैं| )
इसके लिए हमे कंपनी की debts मैं जाकर देखना होगा की यह लोन कैसे चुका रही हैं
लेकिन एक चीज hdfc मैं अच्छी हैं की यह dividend दे रही हैं 0.42% जो की अच्छा हैं
यहाँ थोड़ा invest कर सकते हैं long term मैं survive कर जाएगी
Sun Pharmaceuticals का analysis screener पर
Stock PE 31.6 जो की निफ्टी से ऊपर हैं
Dividend दे रहा हैं
Roce 13.9% जो की ठीक हैं
Roe 6.33% जो की analysis करना होगा
Pros – कंपनी ने लोन को चूकाकर कम किया हैं इसलिए roce बड़ा हुआ लग रहा हैं
P&L – Net Profit – 6004 करोड़
Balance Sheet – Reserves – 46,223 करोड़
फिर capital जितना लगाया उतना net profit नही बन रहा हैं
Compounding Growth 10 साल के हिसाब से 5% यह भी कम हैं जितना की कंपनी से उम्मीद करते हैं उससे तो |
इसने अभी अभी अपने आप को debts free किया हैं इसलिए roe कम या रहा हैं
Net profit – 6004
Reserves – 46223
Borrowing – 3869
इन्होंने उधारी कम की ही reserves means capital इतना लगाया और profit कम हैं तो हम समझ सकते हैं उधारी कम की हैं तो उसमें लग गया होगा
लेकिन इसका pe 20 से 21 या जाए तब इसमें invest कर देंगे
Hindustan Uniliver का analysis screener पर
यह एक FMCG कंपनी हैं जो regular rutting की चीजे बनाती हैं,
Stock pe 70.3 हवा मैं उड़ रहा हैं
Divident 1.11% जो की अच्छा हैं
Roce 39.2%और roe 29.2% ये भी अच्छा हैं
Borrowing 0 हैं
Reserves 47,439 करोड़
Net Profit 8194 करोड़
जो की बहुत अच्छा हैं compounding growth भी अच्छा हैं 10 साल मैं 15% रिटर्न दिया हैं
ये best company हैं लेकिन pe काफी ज्यादा हैं काफी महंगे दाम पर मिल रही हैं fmcg based हैं तो चलेगा तो सही
( लेकिन कभी कभी किसी कंपनी का pe काफी कम हैं जैसे 6
Fd करो तो उनका pe भी 18 होता हैं तो इसका इतना कम कैसे तो हमें देखना होगा की इस कंपनी पर कोई case तो नहीं हो गया या ceo छोड़ कर तो नी चला गया ये सब चीजे effect डालती हैं )
इसी प्रकार सभी सेक्टर वाइज़ हम analysis कर लेंगे |
Company Stocks Valuation –
Ratios से Company Decide कर ली अब इसे किस Price में खरीदना हैं वह देखते हैं और देखेंगे की अभी under valued चल रहा हैं की over valued । –
Company की actual में जो value हैं उसे हम जज करेंगे अपने हिसाब से , हम उस price पर खरीदेंगे जितनी उस कंपनी की actual valuation हैं हम hipe पर क्यों खरीदे |
Stock की actual valuation दो type से होता हैं –
- Relative Valuation
- Intrinsic Valuation
Valuation को निकालने के लिए उदाहरण –
Relative Evaluation =>
मान लो हमे एक घर खरीदना हैं , हम कैसे valuation करेंगे उसकी , उस घर के ओनर की demand हैं 1 करोड़ रुपये तो हम कैसे जज करेंगे की यह amount ठीक हैं या नही इस घर के लिए , की वह बहुत ज्यादा अमाउन्ट मांग रहा हैं , हम सबसे पहले उस घर को चेक करेंगे जैसे – पड़ोसी से जाकर पूछेंगे, आस पास के मकान होंगे उसकी कीमत पूछेंगे , आस पास की चीजों से relate करके देखेंगे , उत्तर मुखी या दक्षिण मुखी हैं तो प्राइस ज्यादा हैं , क्या पड़ोसी का तो 80 लाख का हैं बिका हैं या और कुछ हैं
इसी प्रकार से कोई शेयर खरीदने जा रहे हैं तो उसी same sector की कॉम्पनीयों के शेयर को देखेंगे की इसका ज्यादा प्राइस क्यों हैं इसका ROE, PE Ratio सब देखेंगे तब decide करेंगे की यह प्राइस सही हैं या नही, इसे हैं relative valuation कहते हैं |
Intrinsic Evaluation =>
हम इसमे देखेंगे की उस घर में कितनी ईटे लगी हैं , कितना सीमेंट लगा हैं , गवर्नमेंट का जमीन का actual rate क्या हैं उस DLC से कितना गुण ऊपर पैसा मांगा जा रहा हैं | तो हम इन debth calculation पर जाएंगे तब हम डीसीजन ले सकेंगे की यह तो 75 लाख का हैं तो वह 1 करोड़ कैसे मांग रहा हैं हम सब कुछ analysis करेंगे House tax, Water Tax, Water Contenerहो सकता हैं उनकी वजह से मांग रहा हो तो सब कुछ देखेंगे इसी प्रकार स्टॉक को mathematically ज्यादा analysis करते हैं हर ratio को निकालकर उनको deeply चेक करते हैं ,लेकिन हमारे पास इतनी कैल्क्यलैशन का समय नही होता इसीलिए intrinsic valuation बहुत complicated होती हैं
घर खरीदने जाएंगे तो कई बार future एक्स्पेक्टैशन भी देखेंगे , अभी जो रेंट या रहा हैं भविष्य मे इस area में बड़ेगा या नही
जैसे 1.5 करोड़ का 4 bhk खरीदा
60000 रेंट या रहा 10% बड़ेगा भी
और 10 साल में उस घर की कीमत भी बड़ेगी तो हम future expectation कर रहे हैं |
Relative analysis को relative valuation कहते हैं जैसे जो खरीदना हैं वह debt पर तो नही हैं , वह dividend दे रही के नही , हो सकता है वह नई company का हो यह सब relative analysis हमे इसमे देखना होती हैं
Intrinsic Evaluation =>
- क्या बुक वैल्यू, रियल वैल्यू है नहीं, क्योंकि वह शेयर बेचकर सारी assets बेचकर चला जाता है तो वह बुक वैल्यू होती है जैसे बुक वैल्यू ₹100 है वह सब कुछ बेच कर जाएं तो ₹100 शेयर का प्राइस है मार्केट में, यह कंपनी की रियल वैल्यू नहीं है |
- क्या मार्केट केप, रियल वैल्यू है नहीं वह तो बड़ा हुआ हैं मिलता है
- क्या होती है रियल वैल्यू -DCF
DCF (Discount Cash Flow) – इसी से हम डिसाइड करेंगे कि क्या है actual price इसे हम समझते हैं जैसे एक word सुना हैं कंपाउंडिंग , compounding का मतलब –
जैसे 100 रु हमने stock में लगाए और ₹10 के रेट के हिसाब से यह कंपाउंडींग इंटेरेस्ट लगता है तो यह ₹100 हर साल में अमाउंट पर लगकर बढ़ते चले जाएगा
मानलों 110 रु मिल रहा हैं मतलब
इतने रुपये हैं इतना प्रतिशत interest लगाकर इतना निकाल सकते हैं
100 10% 110
हमारे पास 100 रुपए हैं उसे लगाकर 10% के हिसाब से profit जो grow होगा 110 रु वह compounding growth होगी
अब यदि हमें वह पता हैं 110 रु कमा लेंगे 10% के हिसाब से तो invest कितना करू तो वह होता है discounted cash flow .
अब हमें यह पता है कि ₹110 कमा लूंगा 10 % के हिसाब से, तो कितने रुपए लगाऊ
की 10% के हिसाब से 110 बन जाए उसको निकालने के लिए dcf(discounted cash flow) हैं
Compounding का उल्टा discounting होता हैं
Cash flow क्या हैं – जो पैसा कंपनी के अकाउंट में जाता हैं , माना company के account में 100 करोड़ रु आते हैं साल भर में लेकिन इसमे से 99 करोड़ रुपये investment में खर्च और marketing में promotion में खर्च हो गए इसके पास 1 करोड़ बच रहा हैं जो 1 करोड़ बच रहा हैं वह फ्री कैश फ्लो हैं , जो salary , expenses , Investment सब देने के बाद बचत हैं वह |
Cash Flow – कंपनी के पास पैसा आया
Free Cash Flow – कंपनी के पास जो पैसा बचा
ये हैं discounted कैश फ़्लो जो कंपनी की असली औकात बताता हैं |
WACC -Weighted Average Cost Of Capital
इसमे दो तरह की cost आती हैं –
Cost Of Equity ( Return Which the investor will expect )
Cost Of Debt ( Return Which Company has to give )
जैसे कंपनी आई ओर कहा मुझे पैसा चाहिए ओर मान लो मेने invest कर दिया उससे कहकर की 40% हिस्सा मुझे दो और मुझे इसके equity शेयर देकर partner बना लो और उसने कहा ठीक हैं महीने का 20% लाकर में तुम्हें return दूंगा | ये expectation Deal हो गई यही coast of equity हैं मतलब जो investor expect कर रहे हैं की यहा से इतना return मिलेगा यह कोई bondation नही सिर्फ expectation हैं तो भी कंपनी के उपेर एक load तो हैं की investor का पैसा लगा हुआ हैं उसे return तो देना पड़ेगा
जो loan ले रहे हैं ओर loan का जो interest या रहा हैं वो तो देना पड़ेगा तो यह दोनों कंपनी के ऊपर एक बोझ हैं इन दोनों का जो average निकलेंगे उसे कहेंगे weighted average coast of capital इससे पता लगता हैं की company पर load कितना हैं
Discounted cash flow weighted average cost of capital का Use करके हम कंपनी की असली base line पकड़ लेते हैं उससे हमे पता लग जाता हैंकी कंपनी की असली औकात क्या हैं और उसने demand क्या कर रखी हैं
Discounted cash flow Intrinsic valuation
Over Value
Under value
यदि आज हम किसी स्टॉक में invest करना चाहते हैं तो पूरा analysis करेंगे उसकी p&l sheet balance sheet देखेंगे उसकी 10 साल की analysis करेंगे फिर उसकी value निकलेंगे
Discounted का मतलब हमे कल वाली value को पकड़कर आज की value निकालना हैं
DCF(Discounted Cash Flow) निकालने के लिए –
- Company की value निकालना हैं
- Equity Value() निकालना हैं, इसके लिए कंपनी की जो वैल्यू रहेगी इसमे से debts (borrowing ) को minus करना हैं |
- Number Of Share(Market cap/current price) में से equity value को divide कर देना हैं इसमे actual price या जाएगी |
- अब जो actual share price आएगी उसे अभी भी price से compare करके देखना हैं , यदि actual price अभी की price से कम हैं तो under values हैं और ज्यादा हैं तो over valued हैं |
Intrinsic Value & PE Ratio – Company की actual value कैसे निकली जाती हैं |
हम उस कंपनी को पकड़े जो under value हैं , एक example से इस intrinsic value और pe Ratio को समझते हैं |
जैसे एक बंधा पेट्रोल-पम्प बेच रहा हैं और हमें खरीदना हैं , पेट्रोल-पम्प अच्छा चल रहा लेकिन उसे और कोई family issue की वजह से बेचना हैं, तो हम उसे खरीदने से पहले सबसेपहले financial statement मंगवाएंगे |
इसी प्रकार से Stock में जब हम balance sheet या p&l खोलते हैं तो वहाँ कंपनी का financial statement मिलता हैं जिसमें उसके खर्चे वगेरा सब दिखेंगे |
Cash Flow देखेंगे (जो पैसा कंपनी के पास actual में आया सब खर्चे करने के बाद जो बच रहा वो पैसा )
Profit और cash flow में difference होता हैं | Net Profit जो कंपनी बताती हैं वो reality में नही होता |
जैसे पेट्रोलपम्प के profit की बात करें तो बड़े बड़े जो ट्रांसपोर्टर वगेरा होते हैं वह month में या दो तीन महीने में payment करते हैं और पेट्रोलपम्प वाला उसे प्रॉफ़िट में consider करता हैं लेकिन वह उधार हैं , reality cash flow वह होता हैं जो daily cash में पैसा आता हो |
जितना पैसा सामने वाला पेट्रोलपंप बेचने में मांग रहा हैं वह फायदेमंद हैं या नहीं आप actual में इस पेट्रोलपम्प की कितनी कीमत देना चाहते हैं
हमने पुछा कंपनी(Stock) का actual turn over कितना हैं
Free Cash Flow – जब सारा खर्चा कंपनी कर देती हैं machinery, salary ओर भी जो चीजे खरीदनी या चुकानी हैं उसके बाद जो actual में पैसा बचता हैं उस पैसे को ओर आगे company कुछ खरीदने के लिए use करती हैं या अपने घर में कुछ खरीदके रखने में use करती हैं मतलब जो पैसा बच रहा हैं वह हैं फ्री कैश फ़्लो |
Cash Flow – जो पैसा actual में कंपनी के पास आ रहा हैं ओर profit की बात करें तो profit और cash flow मैं difference होता हैं , जो Net Profit हमें कंपनी बताती हैं , वो actual में profit होता भी नहीं हैं
जैसा पेट्रोलपम्प में देखा बड़े बड़े ट्रांसपोर्टेज उधार में पेट्रोल भराते हैं और month , 2 month , 6 month में एक बार payment clear करते हैं |
हमने पेट्रोलपम्प वाले से पुच की तुम्हारा annual turn over कितना हैं उसने खा 12 लाख हैं साल भर का तो |
इस 12 लाख में credit (उधार) में कितना पैसा चल रहा , कितना पैसा तो आया हैं नही हैं, 2 लाख उधार हैं लेकिन आ जाएगा |
हमने देखा कैश flow तो 10 लाख हैं साल का जो reality में इसके पास या रहा हैं |
में जो expect करता हूँ At Least FD में डालने पर 6 या 5% मिलता हैं , साल का वही पैसा mutual fund में डाल देता हूँ तो 13 से 14 % मिल जाएगा |
किसी Business (Stock) में invest कर रहें हैं तो मुझे यह पता होना चाहिए कितना return expect करूंगा | मेने माना की 15 से 20 % तो चाहिए कम से कम
अब इस कंपनी की आज की intrinsic value (Real Value) निकलेंगे की हैं कितनी आखिर शेयर की रियल वैल्यू
जैसे 15% expectation रखते हुए निकालते हैं
10,00,000 / 0.15 = 66,66,666.67 /- इतने में कंपनी खरीदूँगा यही intrinsic value होगी
कंपनी में जो भी पैसा या रहा हैं उसे हम अपने expected return से divide कर देना हैं तो intrinsic value मिल जाएगी |
15% के हिसाब से हर साल 10 लाख भी मिलते हैं तो ठीक हैं
जो भी पैसा हम डाल रहें हैं कितने साल में पैसा वापस या जाए PE Value इसी प्रकार से निकलेंगी
66,66,666.67 / 10,00,000 = PE Value
6.66 = PE Value
6 या साढ़े 6 साल में पैसा या जाएगा |
हमने कहाँ जो हम चाहते हैं उस हिसाब से इस पट्रोलपम्प की intrinsic value 66,66,666.67 हैं जो में चाहता हूँ |
उसने कहा नही मुझे ज्यादा पैसा चाहिए लेकिन यदि हमे उसको ज्यादा पैसा देकर खरीदना हैं तो हमे अपने expectation कम करनी पड़ेगी 15% से कम करके सिर्फ 12% हैं expect कर लेते हैं
10,00,000 / 0.12 = 83,33,333 अब इतनी आ गई कंपनी की actual intrinsic value
अब इसका pe Ratio निकलते हैं 8.33
जैसे पहले PE Ratio 6.66 था अब 8.33 आया मतलब जैसे-जैसे pe value बड़ती चली जा रही हैं वैसे-वैसे मेरा expected return घटता चला जा रहा हैं
इसलिए pe ratio जितनी कम होगी उतना अच्छा होगा हमारे लिए
PE Value 13,15,16 यह एक बड़िया PE Value होती हैं लेकिन PE Value 30,40,50 रिस्की होता हैं
मतलब Profit को अपने expected return से divide किया तो एक value मिली उस value को profit से divide करते हैं तो pe ratio मिल जाता हैं |
Net Cash Flow
Free Cash Flow (Net cash flow में से Machinery expectation घटा देते हैं )
PE Ratio – company का जो भी turn over(cash flow) होगा उसमें से हमारे जो भी expected return हैं जो हम मान कर चल रहें हैं उससे divide कर देते हैं तो हमे आज की जो value हैं वह मिल जाएगी उस आज की value को जो भी हमने profit माना हैं उससे divide कर देंगे तब जो वैल्यू हमे मिलेगी वह pe ratio होगी जो हमें हेल्प करेगी की stock लेना या नही लेना
DCF और PE Ratio से पता लग जाएगा की कंपनी सही हैं या गलत
DCF में calculate करेंगे तो last 5 year का growth देखेंगे , माना की last 5 year का growth 18% हैं अब आने वाले 5 साल की growth 15% expect करेंगे आने वाले 6 से 10 साल की growth 10% expectation होगी 10 साल से बाद की growth 5% के हिसाब से calculate करेंगे
Portfolio Management , BETA Value & Correlation –
Investor – सही समय पर सही चीजों में इन्वेस्ट जो लोग जानते हैं वही इन्वेस्टर कहलाता है इन्वेस्टर वह होता है जिसे सही तरीका पता होता है पैसा invest करने का |
Portfolio Management –
- Basic
- Modern Portfolio Theory
- Risk & Beta Concept
- Diversification in Portfolio
- Balancing Portfolio
Portfolio Management में तीन step आती हैं –
- Assets Allocation – हम basicly कितना amount invest करेंगे और किस assets में करेंगे , अलग अलग assets में अपने stock को divide कर सकते हैं
हमारी जितनी age होगी उसे 100 में से minus करना हैं जो आएगा उतना percentage हमे invest करना होगा वह भी अलग अलग जगह
जैसे 100 – 30 = 70%
Gold
Stock
FD
Business
इस प्रकार ये 100000 में से 70000 हमे अलग अलग assects में इन्वेस्ट करना हैं , Gold को हमेशा nifty 50 से relate करते हैं
- Diversification – अलग अलग sector के stock में amount invest करना हैं , जैसे 50000 हैं तो अलग अलग sector में डालेंगे | Auto, Pharma, FMCG, Bank etc.
- Rebalancing – हमने जो share खरीद रखें हैं उसमे से over value वालों को निकाल देंगे उसकी जगह और कोई under value stock खरीदना हैं |
Risks – Risk हमे manage करना होता हैं इसे हमने दो part में divide किया हैं
- systematic Risks – यह मार्केट Related Risk होती है इसका मतलब मार्केट cresh हो रहा है तो यह गिर जाता है इसे मैनेज किया जा सकता है फ्यूचर एंड ऑप्शंस के जरिए यह Systematic Risk होता है
- Unsystematic Risks – यह कंपनी की इंटरनल इश्यूज की वजह से होता है जैसे किसी कंपनी में Issue हो गया किसी ने लीगल केस फाइल कर दिया, कोई loss इनको मार्केट में ज्यादा हो गया, वह सभी चीजें जो इंटरनल risk कंपनी में होते हैं और मार्केट में डाउन जाते हैं तो उसे MPT की Theory से मैनेज कर सकते हैं|
MPT(Modern Portfolio Theory) – यह theory कहती हैं की हमे यदि unsystematic risk manage करना हैं उसके लिए low risk – low return से portfolio मैनेज करना हैं इससे हमे manage करना होता हैं इसमे risk कम रहे चाहे return कम मिल जाए |
Beta Value – Market के साथ Stock की volatility को मेजर करती हैं की stock market के साथ केसे move कर रहा हैं
Market मतलब nifty हम देखते हैं की nse की वेबसाईट में यह plus percentage में हैं या minus में , और उसके हिसाब से स्टॉक की वैल्यू क्या हैं
जैसे मार्केट 1% ऊपर हैं और कंपनी का स्टॉक 1% नीचे हैं तो उस केस मे हम जो beta value देखेंगे वह होगी -1, यदि कही beta value -1 मिली तो इसका मतलब यह स्टॉक जो हैं मार्केट के साथ opposite move कर रहा हैं इसी प्रकार से मार्केट 1% ऊपर हैं और stock भी 1% ऊपर तो यह beta value 1 हो जाएगी
यदि beta value किसी स्टॉक की 0 होती हैं तो इसका मतलब यदि मार्केट 1% ऊपर गया हैं तो stock के साथ क्या होगा हमे नहीं पता
Beta value 1 से ज्यादा कम भी हो सकती हैं , यदि किसी stock की beta वैल्यू 0.7% हैं और market 1% बड़ गया तो यह स्टॉक बहुत कम ऊपर नीचे हो रहा मतलब इसकी volatility बहुत कम हैं |
इसी प्रकार किसी stock की beta value 1.7 % हैं और market 1% ऊपर जाता हैं तो stock में बहुत ज्यादा volatility हैं ऊपर नीचे बहुत ज्यादा होगा
Long Term Investment के लिए Beta Value एक Important Feature होता हैं
Correlation = Trader जो होते हैं वह stock की जो कोरिलेशन वैल्यू आती हैं उसके ऊपर deside करेंगे की इस कंपनी में trade करना हैं या नही यह एक टूल हैं जो दो अलग अलग assets का movement बताता हैं
जैसे Gold अगर ऊपर जा रहा तो stock कितना ऊपर जा रहा ,Gold अगर नीचे या रहा तो stock कितना नीचे या रहा |
मतलब ये किन्ही दो चीजों को compare करके बताता हैं की एक के हिसाब से दूसरा कितनी तेजी से भागा हैं या गिरा हैं इसकी value -1 से 1 के बीच रह सकती हैं
Beta – Nifty का compression stock के साथ बता रहा था
Correlation – किसी भी दो stock का comparison कर सकते हैं
उदाहरण के लिए –
- Nifty 1% ऊपर जाता हैं और Gold भी 1% ऊपर हैं तो compare कर सकते हैं यहाँ , और यदि same Nifty 1% down जाता हैं और gold भी 1% Down जाता हैं तो यह यदि 1 साल में बार बार हो रहा हैं तो यह दोनों एक दूसरे के corelated हे एक जैसे move कर रहे हैं तब correlated की value 1 होगी
यदि इसी प्रकार nifty 1% ऊपर gold 1% नीचे तो correlated वैल्यू -1 होगी
- Nifty 1% ऊपर जाता ओर gold 0.9% हैं ऊपर जाता और यदि निफ्टी 1% नीचे आता और गोल्ड भी 0.9% नीचे आए तो उस condition में correlated value 0.9 होगी
Correlated यह बताता हैं की दो स्टॉक एक दूसरे के साथ कैसे move कर रही हैं
Trader होगा तो वह ज्यादा correlateion value को देखेगा , investor होगा तो वह कम correlation वैल्यू को देखेगा
जैसे स्टॉक हैं
X Y Z
1% 0.9 0.3
X 1% ऊपर जा रहा तो Y 0.9% ऊपर जा रहा होगा इनका correlation अच्छा हैं
Y 1% ऊपर जा रहा होगा तो Z सिर्फ 0.3% ऊपर गया होगा , इसी प्रकार y 1% नीचे या रहा होगा तो z सिर्फ 0.3% नीचे या रहा होगा
Investment Purpose से y और z स्टॉक सही हैं क्यों की 100 रु x और 100 रु y में डाले तो यदि x 1% नीचे या गया तो y भी 0.9% नीचे या जाएगा जो की investor के लिए safe नही हैं
यहाँ पर हम ऐसे stock select करेंगे जो negative correlated हैं एक की value ऊपर तो दूसरे की नीचे होगी , जैसे kotak और sunpharma
Kotak जब बड़ रहा था तो sunpharma थोड़ा down था और kotak जब down चल रहा तो sunpharma ने movement डी हैं
Correlation Fector कैसे करें उसके लिए कुछ रिपोर्ट NSE की वेबसाईट से download करेंगे
Stock Search किया
Kotak mahendra Bank
Historical Data
More Then 3 Month data
जितना लंबा data होगा ठीक होगा हमारे लिए
Enter Symbol – Kotak Bank
Select Series – EQ
Period 0 for past : 365 days
Get Data
यहाँ से Close Price की list को copy करके Excel में past कर देंगे जितने भी stock compaire करना हैं उनकी list Excel में डाटा wise copy कर लो
A पर हमने Sunpharma की closing price को रखा
B पर हमने HDFC की closing price को रखा
C पर हमने Kotak की closing प्राइस को रखा
यहाँ हम correlated का formula लगाएंगे
= CORREL(A1:A248,B1:B248)
यहाँ 0.6 आया
= CORREL(A1:A248,C1:C248)
यहाँ 0.2 आया जो की अच्छा हैं इन्हे साथ रखके
Sunpharma और Kotak का कोरिलेशन सही हैं , एक ऊपर तो दूसरा थोड़ा सा नीचे और एक नीचे तो दूसरा थोड़ा सा ऊपर होता हैं
Traders का कम्पेरिजन best रहेगा kotak और hdfc को कोरिलेशन
Things to check before investing –
जल्द से जल्द अपने आप को financial free करो ताकि हर समय बीता सको
7 चीजे चेक करे investing से पहले
- Company की सारी detail Wikipedia पर check करें | यहा contents मिल जाएगा search इस प्रकार से करना हैं company का नाम लिखना पीछे विकिपिडिया लिख देना
जैसे google search किया reliance Wikipedia
Company की पूरी जानकारी होना चाहिए की वह कंपनी किस किस एरिया पर काम कर रही हैं
जैसे आने वाले समय में electric vhicle का schope बड़ना मतलब इसमे जो जो भी part लगते हैं उन company की भी growth होगी जैसे battery चाहिए होगी उस battery में लगने वाली चीजे rod वगेरा और भी जो कुछ हैं जो भी कंपनी बनती होगी सभी का scope बड़ेगा
कंपनी की dependency किन किन चीजों मे हैं ये सब सर्च करने पर हैं पता लगेगा
कंपनी कैसे वर्क कर रही हैं इसका basic management कैसा हैं सब कुछ Wikipedia पर मिल जाएगा
कोई भी एक stock 10 छोटी छोटी कंपनी पर डिपेंड करता हैं , पेट्रोल का प्राइस भी ऊपर नीचे होता हैं तो बड़ी बड़ी कंपनी के स्टॉक हिल जाते हैं क्यों की वह उन पर हैं देपाण्ड करती हैं चाहे वह ट्रांसपोटेशन हो या ओर कोई कंपनी |
- Chart pattern – company का chart pattern देखे बिना invest कर देते हैं वह देखना हैं की कहा जा रहा हैं , Upertrand में हैं या नही , पिछले साल का max यह भी google search कर सकते हैं जैसे tata stock प्राइस सर्च किया और chart में max select किया यहाँ पता लग जाएगा long time 5 year या 10 year में यह कैसा perform कर रहा हैं
- Promoter Holding – Company के owner जो होते हैं उनके पास share 50% से ऊपर होना चाहिए वह कंपनी अच्छी होती हैं |
- Promoter Pledge – promoter ने अपना share गिरवी रख दिए means बैंक में pledge कर दिए
यह हम यहाँ चेक कर सकते हैं Money Control पर नीचे share holding पर जाएंगे वहाँ चार्ट मिल जाएंगे
Stock promoter public
TCS 72.05
जब तक promoter को फायदा होता रहेगा वह अपना share पब्लिक को क्यों देगा |
यही नीचे promoter pledge दिख जाएगा
0.47%
यह हम nse की website पर भी check कर सकते हैं
हमने TCS Search किया Sharing Holding Pattern
यहाँ नीचे promoter pledge भी दिख जाएगा
A B C
72.19 0.35 0.47
- Debts – Company ने लोन कितना लिया हैं यह हमे screener पर balance sheet पर दिख जाएगा या google search कर सकते हैं TCS Balance Sheet
Total Debts
Mar 2021 mar 2020 mar 2019 mar 2018 mar 2017 mar 2016
5077 5262 39 225 250 178
तीन साल में धीरे धीरे कमाकर 2019 तक लगभग उतार दिया और इसलिए bank ने इन्हे और लोन दे दिया क्यों की company और growth कर रही हैं
- एन कॉम्पनीयों ने उस stock में कितना निवेश किया जैसे MF/ Insurance Companies/ Big Investor Holding/ Foreign Investors
यह सब हम money control पर या google पर search कर सकते हैं जैसे TCS Share Holding
72.2% 0.5% 15.4% 3.1% 23.3%
Promoter Holding Promoter Pledge FII Holding MF Institution Holding
ये सभी चीजे गूगल से सर्च करना होती हैं बाकी तो mathematically Pe Ratio वगेरा सब हमे calculate करना हैं होता हैं |
Financial Planning कैसे करें –
- Personal Finance Planning – हमारी जो जो जरूरते होती हैं वह हमे एक पेज पर लिखना हैं इससे पता लगेगा की कितना खर्च हो जाता हैं एक amount हम fix कर देते हैं की monthly कितना खर्च हमे करना हैं इससे ज्यादा हमें नही करना हैं
यह भी note करना हैं की क्या क्या हम चाहते हैं उन चीजों का amount कितना हैं जैसे कपड़े , Iphone , आदि सारी चीजे जो खरीदना चाहते हैं वह सब
- Insurance Planing – जो भी हम portfolio बनाते हैं वह हमे high risk – high return नही बनाना हैं
- सबसे पहले life insurance कराना हैं और उसका करना हैं जिसके ऊपर लोग depend हैं
- Medical insurance – यह घर के सभी member का होना चाहिए 10 से 12 हजार साल का
- Retirement Planning – Nps की एक स्कीम हैं government की | इसमे हर साल कुछ पैसा जमा करना होता हैं इसमे जब retired हो जाते हैं तो 60% पैसा मिल जाता हैं और बाकी monthly आते रहता हैं यह एक अच्छा रिटर्न दे देता हैं , इसमे 50000 तक में कोई टैक्स नहीं लगता
- Money Grow Planning –
- Mutual Fund में पैसा डालो
- Sip या लमसम पैसा लगाओ
- Stock में पैसा डालो
Dividends क्या होता हैं –
जैसे FD करते हैं 100 रु की कराई तो एक साल में 5% के हिसाब से 105 बैंक देगा इसी प्रकार dividend एक एसा amount हैं जो कंपनी एक particular time में बहुत अच्छा पैसा कमा लेती हैं तो वह अपना कुछ amount अपने share holder को दे देती हैं ये कभी फिक्स नही होता company पर depend करता हैं की अच्छा profit हो रहा हैं तो वह चाहे तो अपने share holder को दे , यह dividend करो मिलता हैं क्यों की कंपनी चाहती हैं की उनके जो शेयर होल्डर हैं उनके सामने उनकी reputation अच्छी बनी रहे , कंपनी per share के हिसाब से dividend देती हैं और तब देती हैं जब बहुत अच्छा profit gain कर लेती हैं यह अमाउन्ट direct bank account में जाता हैं
दो तरह के dividend होते हैं
- Interim Dividend – कंपनी 1 साल में कितनी बार दे सकती है और यह सिर्फ कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के पास होता है इतना अमाउंट देते हैं शेयर होल्डर को
- Final Dividend – कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर और शेयर होल्डर की परमिशन के बगैर नहीं दिया जाता और साल में एक बार दिया जाता है
NSE पर चेक कर सकते हैं की कोण सी कंपनी कितनी बार dividend देती हैं
जब भी company dividend देती हैं company की face value percentage में fix करती हैं
Nse पर सर्च किया irctc
Company Information में गए यहाँ नीचे लिखा होगा
Dividend – Rs 5 per share
कंपनी जब भी डिविजन देती है कंपनी के अभी के शेयर प्राइस पर नहीं देती हो उसकी एक्चुअल फेस वैल्यू पर देगी
जब भी कंपनी Dividend डिक्लेअर कर देती है वह 30 दिनों के अंदर अपने अकाउंट में या जाना चाहिए यदि कंपनी ने डिक्लेअर कर दिया फिर उसे Dividend देना हैं होगा
Dividend डिक्लेयर करने के बाद यदि किसी वजह से डिले हो जाता हैं तो company के director को 1000 per day fine pay करना होता हैं साथ में उसे दो साल की सजा भी हो जाती हैं और उसे 18% dividend additional pay करना होता हैं इसलिए dividend को delay नही किया जाता
Google पर search कर सकते हैं company which going dividend यहाँ लिस्ट या जाएगी इसमें से स्टॉक select करेंगे उनका balance sheet , उनका history ये सब जानकारी देखेंगे
Ex-Date ये हमें ध्यान रखना हैं इससे एक दिन पहले शेयर खरीदना यह nse की website पर मिल जाएगी या google पर
How to decide when to sell – जो भी share खरीदा उसे बेचना कब हैं किस शेयर को कितने लंबे time तक hold करना हैं
- कंपनी की अच्छे से analysis करके calculation कर ले फिर हैं उसे sell करें
- कभी भी loss में नही बेचे क्यों की स्टॉक की वैल्यू up – down होती रहती हैं पेशेनस रखें
- जो शेयर से हमने money बनाई हैं हमे यह पता होना चाहिए की कब उसे बेचना हैं कब नहीं बेचना डाउट वाली कंपनी को नहीं पकड़े
- हर ipo में पैसा नहीं डाले उसका analysis करें पहले
- जैसे जैसे time बदल रहा हैं टाइम के साथ कंपनी update होना चाहिए , टाइम के साथ grow होना चाहिए की लोगों को यह चीज चाहिए आगे
- हम उनमे भी invest कर सकते हैं जो short term में growth देते हैं
Long Term Trading में कब Exit करें – Long Term Trading में जैसे कोई शेयर जो काफी लंबे time से 900 से 1000 में चल रहा था जो मार्केट में डीप आया और वह 400-500 का हैं रह गया लेकिन हमे यह पता हैं की वह वापस 900-950 तक या जाएगा क्यों की हमे यह पता हैं की उआक previous रिकार्ड 900-1000 का हैं जो की हमने ग्राफ में देखके हैं invest किया हैं तो उस पर rsi technical indicator लगा कर देखा की यह स्टॉक कम कैसे हुआ
Rsi यदि 30 को टच करता हैं तो हमे तुरंत शेयर को खरीद लेना हैं जैसे हैं उस कंपनी का शेयर दोबारा से अपनी lie time high मतलब 70 को टच करें तो बेच देंगे और 500 का शेयर 900 तक आए तो बेच कर निकल जाना हैं
Investor को share बेचना हैं तो market में जो शेयर काफी लंबे टाइम से एक हैं प्राइस पर चल रहा हैं और कोई एसा शेयर मिला जो 100 से 400 हो गया कुछ सालों में ओर उसके fundamental भी अच्छे हो तो वह हम पैसा लगा सकते हैं