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जादुई मुर्गी
एक दिन, एक निर्धन व्यक्ति एक किसान के पास गया और एक मुर्गी के बदले, उससे एक बोरी चावल ले आया। किसान की पत्नी को जब पता चला कि उसके पति ने एक साधारण मुर्गी के बदले बोरी भर चावल दे दिए तो वह बहुत नाराज हुई।
हालाँकि, अगले दिन सुबह किसान की पत्नी मुर्गी के पास गई तो उसे एक सोने का अंडा मिला । जादुई मुर्गी हर दिन सोने का एक अंडा देने लगी । कई सप्ताह तक ऐसा चलता रहा। जल्द ही वह किसान गाँव में सबसे धनी हो गया ।
हालाँकि किसान की लालची पत्नी इससे संतुष्ट नहीं थी । एक दिन जब किसान घर पर नहीं था, तो वह एक बड़ा चाकू ले आई और मुर्गी का पेट काट डाला।
वह सोच रही थी कि मुर्गी के पेट से एक साथ सारे सोने के अंडे मिल जाएँगे। जब उसे एक भी अंडा नहीं मिला तो उसे बहुत निराशा हुई। अब उसे हर दिन जो अंडा मिलता था, वह उससे भी हाथ धो बैठी।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

गधा और धोबी
एक निर्धन धोबी था । उसके पास एक गधा था। गधा काफी कमजोर था क्योंकि उसे बहुत कम खाने-पीने को मिल पाता था। एक दिन, धोबी को एक मरा हुआ बाघ मिला।
उसने सोचा, “मैं गधे के ऊपर इस बाघ की खाल डाल दूँगा और उसे पड़ोसियों के खेतों में चरने के लिए छोड़ दिया करूँगा। किसान समझेंगे कि वह सचमुच का बाघ है और उससे डरकर दूर रहेंगे और गधा आराम से खेत चर लिया करेगा। ”
धोबी ने तुरंत अपनी योजना पर अमल कर डाला। उसकी योजना काम कर गई । एक रात, गधा खेत में चर रहा था कि उसे किसी गधी की रेंकने की आवाज सुनाई दी।
उस आवाज को सुनकर वह इतने जोश में आ गया कि वह भी जोर-जोर से रेंकने लगा। गधे की आवाज सुनकर किसानों को उसकी असलियत का पता लग गया और उन्होंने गधे की खूब पिटाई की !
इसीलिए कहा गया है कि अपनी सच्चाई नहीं छिपानी चाहिए ।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

चतुर किसान
एक बार एक किसान एक बकरी, घास का एक गट्ठर और एक शेर को लिए नदी के किनारे खड़ा था। उसे नाव से नदी पार करनी थी लेकिन नाव बहुत छोटी थी कि वह सारे सामान समेत एक बार में पार नहीं जा सकता था।
वह अगर शेर को पहले ले जाकर नदी पार छोड़ आता है तो इधर बकरी घास खा जाएगी और अगर घास को पहले नदी पार ले जाता है तो शेर बकरी को खा जाएगा ।
अंत में उसे एक समाधान सूझ गया। उसने प बकरी को साथ में लिया और नाव में बैठकर नदी के पार छोड़ आया। इसके बाद दूसरे चक्कर में उसने शेर को नदी पार छोड़ दिया लेकिन लौटते समय बकरी को फिर से साथ ले आया।
इस बार वह बकरी को इसी तरफ छोड़कर घास के गट्ठर को दूसरी ओर शेर के पास छोड़ आया। इसके बाद वह फिर से नाव लेकर आया और बकरी को भी ले गया। इस प्रकार, उसने नदी पार कर ली और उसे कोई हानि भी नहीं हुई।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

हाथी और गौरैया
एक दिन, एक जंगली हाथी ने एक पेड़ की डाली तोड़ी, जिससे उस पर बना गौरैया का घोंसला टूट गया और उसमें रखे अंडे फूट गए।
गौरैया का रोना सुनकर एक कठफोड़वा वहाँ आया और उससे रोने का कारण पूछने लगा। गौरैया ने उसे सारी बात बताई। कठफोड़वा बोला, “चलो, मक्खी की सलाह लेते हैं।”
वे मक्खी के पास गए और उसे गौरैया की दर्द भरी कहानी सुनाई। मक्खी ने मेंढक की सहायता लेने की सलाह दी। गौरैया, कठफोड़वा और मक्खी, तीनों मेंढक के पास गए और उसे पूरी बात बताई।
मेंढक बोला, “हम सब एकजुट हो जाएँ तो हमारे सामने हाथी क्या कर लेगा? जैसा मैं कहता हूँ, वैसा ही करो। मक्खी, तुम दोपहर में हाथी के पास जाना और उसके कानों में कोई मीठी सी धुन सुनाना ।
जब वह धुन में मग्न होकर अपनी आँखें बंद कर ले तो कठफोड़वा उसकी आँखें फोड़ देगा। वह अंधा हो जाएगा और जब उसे प्यास लगेगी तो वह पानी की खोज करेगा ।
तब मैं दलदल के पास जाकर वहाँ से टर्र-टर्र करने लगूगा । वह समझेगा कि वहाँ पानी है और वह वहीं पहुँच जाएगा और दलदल में फँसकर मर जाएगा।”
चारों ने मेंढक की योजना के अनुसार अपने-अपने काम अच्छी तरह से किए और बिना सोचे-समझे काम करने वाला हाथी मारा गया ।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

दो बिल्लियों की कहानी
एक निर्धन वृद्ध महिला एक छोटी-दुबली बिल्ली के साथ एक झोपड़ी में रहती थी। बिल्ली बचे-खुचे टुकड़ों और कभी-कभार मिलने वाले पतले से दलिया से ही अपना पेट भरती थी।
एक दिन सुबह, दुबली बिल्ली ने सामने वाले मकान की दीवार के पास एक मोटी बिल्ली देखी। दुबली बिल्ली ने मोटी बिल्ली को आवाज लगाई, “अरे सहेली, ऐसा लगता है कि तुम तो हर दिन दावत के मजे उड़ाती हो। मुझे भी बता दो तुम्हें इतना सारा खाना कहाँ से मिल जाता है।”
मोटी बिल्ली ने जवाब दिया, “राजा की चौकी पर, और कहाँ मिलता है! हर दिन जब राजा खाना खाने बैठता है, तो मैं उसकी चौकी के नीचे छिप जाती हूँ और वहाँ पर गिरने वाले स्वादिष्ट टुकड़े चुपके से उठा उठाकर खाती रहती हूँ।
दुबली बिल्ली आह भरकर रह गई। मोटी बिल्ली ने फिर कहा, “मैं 1. तुम्हें राजा के महल में कल ले चलूँगी। लेकिन याद रखना, वहाँ पर तुमको छिपकर रहना पड़ेगा।”
“अरे वाह! धन्यवाद!” बोलकर बिल्ली खुशी के मारे म्याऊँ-म्याऊँ चिल्लाने लगी और अपनी मालकिन को बताने चल दी।
वृद्ध महिला ने जब उसकी बात सुनी तो वह प्रसन्न नहीं हुई और समझाने लगी, “मेरी विनती है कि तुम यहीं पर रहो और यहाँ मिलने वाले दलिए से ही संतुष्ट रहो। अगर वहाँ पर राजा के नौकरों-चाकरों ने तुम्हें चोरी करते देख लिया तो क्या होगा?”
लेकिन दुबली बिल्ली लालच में फंस चुकी थी। उसने महिला की एक न सुनी। अगले दिन दोनों बिल्लियाँ महल की ओर चल दीं।
उधर, एक दिन पहले ही राजा के भोजन -कक्ष में बहुत सारी बिल्लियाँ घुस आई थीं। इससे नाराज होकर राजा ने आदेश दिया था कि महल में घुसने वाली हर बिल्ली को वहीं पर जान से मार दिया जाए।
जब मोटी बिल्ली चुपके-चुपके महल के द्वार से घुस रही थी, तो एक दूसरी बिल्ली ने उसे राजा के आदेश के बारे में बताकर खतरे से सावधान किया।
उसकी बात सुनकर मोटी बिल्ली तुरंत वहाँ से भाग गई। उधर, दुबली बिल्ली चुपके-चुपके भोजन-कक्ष तक पहुँच चुकी थी। उत्साह में आकर उसने एक रोशनदान से छलाँग मारी और अंदर घुस गई।
वह एक बर्तन में रखा मछली का टुकड़ा उठाने ही वाली थी कि राजा के नौकर ने उसे देख लिया और मार डाला।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

बलशाली मछली
बहुत समय पहले की बात है। एक दयालु और नेक मछली थी। तभी भयानक सूखा पड़ा। संकट समझकर नेक मछली ने अपनी और अपने साथियों की जान बचाने का निश्चिय किया।
एक दिन, हर तरह के खतरों का सामना करते हुए नेक मछली कीचड़ में जगह बनाती हुई सतह पर आई । उसने वर्षा के देवता इंद्र से प्रार्थना की, “हे देव! हमारे पाप क्षमा कर दो। कृपया बारिश को भेजकर हमें इस संकट से निकालो।”
उसकी यह गुहार सुनकर स्वर्ग से लेकर नर्क तक, हर किसी के मन में दया पैदा हो गई। इंद्र ने वर्षा को पृथ्वी पर भेज दिया और महान नेक मछली तथा उसके साथी बच गए।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

गधा और गाड़ी वाला
एक गाड़ी वाला अपने गधे को गाड़ी में जोते जा रहा था। अचानक गधा रस्सी तोड़कर गाड़ी से भाग निकला। वह अंधाधुंध भागता गया और ऊबड़-खाबड़ रास्ते पर निकल गया।
वह बिना सोचे-समझे भागे जा रहा था। भागते-भागते वह एक ऊँचे टीले पर पहुँच गया, जहाँ से वह आगे कदम बढ़ाने ही वाला था कि उसके मालिक ने उसकी पूँछ पकड़ ली और उसे पीछे खींच लिया।
गधे ने छुड़ाने का बहुत प्रयास किया, लेकिन मालिक भी पूरी ताकत से उसे पीछे खींच रहा था। मालिक गधे को गिरने से बचाना चाहता था लेकिन गधे को यह बात समझ में नहीं आ रही थी।
आखिरकार, मालिक ने उसे छोड़ दिया। “ले, अगर तू जाना ही चाहता है, तो फिर तेरी इच्छा। हठ करने वाले को बाध्य नहीं करना चाहिए।” मालिक से छूटते ही गधा आगे बढ़ा और टीले से नीचे गिरकर मर गया।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

कछुए ने बचाई अपनी जान
रोम में एन्ड्रोक्लीज़ नामक गुलाम अपने मालिक से परेशान होकर जंगल में भाग गया। वहाँ उसकी मुलाकात एक घायल शेर से हुई। शेर बार बार अपना पंजा उठा रहा था।
पहले तो एन्ड्रोक्लीज़ डरा फिर साहस कर उसके पास गया और उसके पंजे में फँसा काँटा उसने निकाल दिया। शेर ने उसके हाथों को चाटकर आभार प्रकट किया और फिर जंगल में चुपचाप चला गया।
एक दिन मालिक के आदमियों ने एन्ड्रोक्लीज़ को ढूंढ निकाला और पकड़कर सम्राट् के पास ले गए। सम्राट ने उसे भूखे शेर के सामने डलवाने की आज्ञा दी।
सारी जनता के सामने एन्ड्रो क्लीज को एक खुले मैदान में लाया गया। एक भूखा शेर दौड़ता हुआ आया पर एन्ड्रोक्लीज़ पर आक्रमण की जगह उसका हाथ चाटने लगा। वस्तुतः यह वही शेर था जिसके पंजे से एन्ड्रोक्लीज़ ने काँटा निकाला था। वह एन्ड्रोक्लीज़ को पहचान गया था।
आश्चर्यचकित सम्राट को एन्ड्रोक्लीज़ ने पूरी घटना सुनाई। सम्राट् ने उसे क्षमा कर आजाद कर दिया और शेर को जंगल में छुड़वा दिया।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा : सभी के प्रति सहृदयता का भाव रखना चाहिए।

नाजुक चूजा
एक बार की बात है, एक नाजुक चूजा जंगल में सैर के लिए निकला। वह देवदार के पेड़ के नीचे से जा रहा था तभी अचानक एक फल उसके सिर पर आ गिरा।
नाजुक चूजे ने समझा कि हो न हो आसमान गिर रहा है। भयभीत होकर वह दौड़ने लगा। उसने जंगल के राजा शेर को यह बताने का निर्णय किया और तेजी से दौड़ने लगा। उसे बेतहाशा भागते देखकर मुर्गी ने पूछा, “अरे! ओ नाजुक चूजे, कहाँ दौड़े जा रहे हो?”
हाँफता-हाँफता नाजुक चूजा बोला, “आह! आसमान गिर रहा है, भागो… मैं शेर भाई को सूचित करने जा रहा हूँ।” मुर्गी भी नाजुक चूजे के साथ हो ली।
मार्ग में उनकी मुलाकात बत्तख से हुई। सारी बातें जानकर वह भी इनके साथ दौड़ने लगी। चलते-चलते उन्हें लोमड़ी मिली। उसने पूछा, “अरे भाई, तुम सब कहाँ जा रहे हो?” उन तीनों ने कहा, “हम लोग शेर को बताने जा रहे हैं कि आसमान गिर रहा है।”
लोमड़ी उन तीनों को शेर के पास ले गई। शेर सभी के साथ उस पेड़ के नीचे आया तभी फिर से देवदार का एक फल नाजुक चूजे पर गिरा और वह घबराकर चिल्लाया, “आह! वह देखो, आसमान गिर रहा है।” यह सुनकर सभी एक साथ हँसने लगे।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा : बिना समझे अपफवाहें न फैलाएं।

चींटी और टिड्डा
गर्मियों के दिन थे। एक मैदान में एक टिड्डा अपनी ही मस्ती में झूम-झूम कर गाना गा रहा था। तभी उधर से एक चींटी गुजरी। वह एक मक्के का दाना उठाकर अपने घर ले जा रही थी।
टिड्डे ने उसे बुलाया और कहा, “चींटी रानी, चींटी रानी, कहाँ जा रही होघ? इतना अच्छा मौसम है… आओ बातें करें… मस्ती करें…”
चींटी ने कहा, “टिड्डे भाई, मैं सर्दियों के लिए भोजन इकट्ठा कर रही हूँ। बहुत काम पड़ा है… मुझे क्षमा कर दोए मैं बैठ नहीं सकती।”
टिड्डे ने फिर कहा, “अरे! सर्दियों की चिंता क्यों करती हो? अभी तो सर्दी आने में बहुत देर है…” पर चींटी मुस्कराकर चलती रही। उसे अपना काम पूरा करना था।
शीघ्र ही सर्दियाँ आ गईं। टिड्डे के पास खाने के लिए कुछ नहीं था जबकि चींटी अपने इकट्ठे किए अनाज को आराम से बैठकर खा रही थी। टिड्डे को अब आभास हुआ कि कठिन दिनों के लिए उसे भी पहले से ही तैयारी कर लेनी चाहिए थी।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा : आज किए गए कार्य का फल आने वाले समय में मिलता है।

गधा, लोमड़ी और शेर
एक बार एक लोमड़ी और एक गधे में दोस्ती हो गई। दोनों ने मिलकर आपस में एक समझौता किया। उन्होंने सदा एक दूसरे की सहायता करने का वादा किया। एक दिन दोनों साथ मिलकर भोजन ढूँढने के लिए जंगल में गए।
वहाँ उनकी मुलाकात एक शेर से हुई। लोमड़ी चतुराई से शेर के पास गई। उसने शेर से कहा, “महाराज! यदि आप मुझे कोई नुकसान नहीं पहुँचाएंगे तो मैं गधे को आपके पास ले आऊगीं। आप को अपना भोजन मिल जाएगा और मुझे भी।”
शेर ने लोमड़ी की बात मान लिया। लोमड़ी गधे को अपनी बातों में उलझाकर एक गहरे गड्ढे की ओर ले गई। बात करते करते बेचारे गधे ने ध्यान नही दिया और वह गडे मे गिर गया।
शेर अवसर की तलाश में ही था। सबसे पहले उसने लोमड़ी पर हमला करके उसे मार डाला। छककर उसने लोमड़ी का भोजन किया। बाद में उसने आराम से गधे को भी मारा और खा लिया।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा : मित्रा को धेखा देने वाला स्वयं अपनी ही बर्बादी को आमंत्रित करता है।

नीलकंठ और मोर
एक समय की बात है… एक नीलकंठ ने मोरों को नाचते हुए देखा। वह उनके सुंदर पंखों से मोहित हो गया। वह घूमता-घूमता मोरों के रहने की जगह पहुँचा।
वहाँ उसने मोरों के ढेर सारे पंख गिरे हुए देखे। नीलकंठ ने सोचा कि यदि मैं इन पंखों को लगा ले तो मैं भी मोरों की तरह सुंदर बन जाऊँगा।
यह सोचकर उसने सभी पंखों को उठाया और अपनी पूँछ के चारों ओर रखकर बाँध लिया। फिर ठुमकता हुआ वह मोरों के बीच पहुँचा और उन्हें घूम-घूमकर दिखाने लगा।
मोरों ने उसे पहचान लिया और चोंच से मारना शुरु कर दिया। चोंच मारने के साथ वे बँधे हुए पंखों को भी खींचते जाते थे। सारे पंख निकालकर ही वे शांत हुए।
नीलकंठ के भाई-बंधु दूर से यह तमाशा देख रहे थे। नीलकंठ दुखी मन से अपने भाई बंधु के बीच पहुँचा। सभी उससे नाराज थे उन्होंने कहा, “सुंदर पक्षी बनने के लिए मात्र सुंदर पंख आवश्यक नहीं है। ईश्वर ने सबको अलग-अलग सुंदरता दी है।”
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा : स्वाभाविक रहें, और दूसरों की नकल न करें।

गंजा आदमी और मक्खी
एक समय की बात है… गर्मी की दोपहर थी। एक गंजा आदमी सुबह से काम करते-करते थककर आराम करने बैठा था। एक मक्खी कहीं से उड़ती हुई आई और उसके आस-पास मंडराने लगी।
गंजा आदमी उसे उड़ाता पर बार-बार वह उसके माथे पर बैठ जाती और उसे काट लेती। परेशान होकर उसने एक जोर का पंजा उसे मारा।
मक्खी तो उड़ गई पर अपना ही हाथ उसे सिर पर जोर का लगा। कुछ पलों बाद मक्खी फिर से आकर काटने लगी। सिर पर बैठने पर गंजे ने उसे फिर से जोर से मारा।
मक्खी इस बार भी बच गई। कुछ देर शांत रही। शीघ्र ही मक्खी ने फिर से भिनभिनाना शुरु कर दिया। गंजा व्यक्ति समझ गया। उसने कहा, “दुष्ट शत्रुओं पर ध्यान देने से व्यक्ति अपना ही नुकसान करता है उस पर ध्यान न देने में ही भलाई
है…” थोड़ी देर बाद मक्खी उड़कर किसी और को सताने चली गई।
Moral of Short Stories In Hindiशिक्षा : दुष्ट शत्रुओ पर ध्यान देने से व्यक्ति अपना ही नुकसान करता है।

चमगादड़, पक्षी और पशु
एक बार पशुओं और पक्षियों के बीच में किसी बात को लेकर अनबन हो गई। युद्ध की ठन गई। दोनों ओर की सेना इकट्ठी हो गईं।
चमगादड़ बेचारा परेशान… वह समझ ही नहीं पा रहा था कि किसकी ओर जाए। उसे सोच में पड़ा देखकर पक्षियों ने आमंत्रित करते हुए कहा, “हमारे साथ आ जाओ” चमगादड़ ने उत्तर दिया, “अरे भाई, मैं तो पशु हूँ।”
पशुओं ने उसे अकेला देखा तो अपनी ओर आने के लिए कहा। चमगादड़ ने कहा, “मैं तो पक्षी हूँ।” सौभाग्य से दोनों पक्षों में अनबन समाप्त हो गई और युद्ध नहीं हुआ। दोनों पक्षों में दोस्ती हो गई।
चमगादड़ अब पक्षियों के दल के पास गया पर उन्होंने उसे अपने दल में लेने से मना कर दिया। हारकर वह पशुओं के पास पहुँचा तो उन्होंने भी नहीं स्वीकारा।
उसने समझ लिया कि आवश्यकता पड़ने पर साथ नहीं देने से कोई भी मित्र नहीं रहता है। उसके बाद से ही चमगादड़ अकेले रहने पर मजबूर हो गया।
Moral of Short Stories In Hindiशिक्षा : समय पर साथ नहीं देने पर कोई मित्र नहीं होता।

बकरी और लोमड़ी
एक समय की बात है, एक लोमड़ी जंगल में घूमते-घूमते एक कुएँ के पास पहुँची। कुएँ के चारों ओर दीवार नहीं थी। लोमड़ी ने ध्यान नहीं दिया और भीतर गिर गई। हालांकि कुआँ बहुत गहरा नहीं था पर लोमड़ी बाहर नहीं निकल पा रही थी। निराश होकर वह वहीं बैठ गई।
तभी ऊपर से एक बकरी जाती दिखाई दी। बकरी ने लोमड़ी को कुएँ में देखकर पूछा, “अरे बहन, तुम भीतर क्या कर रही हो?”
लोमड़ी ने कहा, “बकरी बहन! तुम्हें पता नहीं है… शीघ्र ही भयंकर सूखा पड़ने वाला है। यहाँ कोई और आए उससे पहले ही मैं भीतर आ गई।
कम से कम यहाँ पानी तो है। तुम भी क्यों नहीं भीतर आ जाती हो?” बकरी ने सोचा कि लोमड़ी बहुत अच्छी सलाह दे रही है और वह भी कुएँ में कूद गई। बकरी के कुएँ के भीतर पहुँचते ही लोमड़ी उछलकर बकरी
की पीठ पर चढ़ी और फिर बाहर निकल आई। उसने बकरी से कहा, “अलविदा बहन, मैं तो चली” और लोमड़ी सिर पर पैर रखकर भाग गई।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा: आँख मूंदकर विश्वास मत करो।

लोमड़ी और अंगूर
एक बार जंगल में लोमड़ी भोजन की खोज में घूम रही थी। गर्मी से परेशान लोमड़ी एक बगीचे में पहुँच गयी। पास ही उसे अंगूर का एक बाग दिखा। ढेर सारे अंगूर गुच्छों में लटके हुए थे। उसे बहुत प्यास लगी थी। तभी उसे अंगूर का एक पका गुच्छा लटका हुआ दिखाई दिया।
पके अंगूर देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी भर आया। उसने सोचा, “आहा! कितने अच्छे अंगूर हैं, इनसे मेरी प्यास बुझ जाएगी।”
वह थोड़ा पीछे गई, निशाना साधा और दौड़कर उछली पर अंगूर तक न पहुँच पाई। उछल-उछल कर गुच्छा पकड़ने की कोशिश करी पर सफल न हो सकी।
अंगूर का गुच्छा उसकी पहुँच से बस जरा सा बच जाता था। उछल-उछल कर बेचारी लोमड़ी थक गई। अंत में वह वापस जाने लगी। जाते-जाते उसने यह सोचकर संतोष किया, “ये अंगूर खट्टे हैं! इन्हें पाने के लिए अपना समय बर्बाद करना व्यर्थ है।”
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा : इच्छित वस्तु न मिलने पर मूर्ख उसकी बुराई करने लगते हैं।

सारस और लोमड़ी
एक समय की बात है, एक सारस और एक लोमड़ी में गाढ़ी मित्रता थी। लोमड़ी बहुत चालाक थी पर सारस सीधा-साधा प्राणी था। एक दिन लोमड़ी ने सारस को भोजन के लिए आमंत्रित किया।
सारस मित्र के घर आया। लोमड़ी ने सूप बनाया था। उसने एक छिछली तश्तरी में सूप परोसा। लोमड़ी ने अपनी जीभ से चाटकर सूप का भरपूर आनंद लिया पर सारस मात्र अपनी चोंच का अगला भाग ही गीला कर पाया। उसे भूखा ही वापस जाना पड़ा।
लोमड़ी ने कहा, “क्षमा करना, क्या तुम्हें सूप अच्छा नहीं लगा?” सारस ने कहा, “क्षमा मत मांगो, ऐसी कोई बात नहीं है। तुम कल मेरे घर भोजन पर आना।”
सारस ने लोमड़ी को सबक सिखाने की सोची। अगले दिन लोमड़ी सारस के घर खाना खाने गई। सारस ने भी ही सूप बनाया था। उसने एक लंबी सुराहीदार गर्दन वाले बर्तन में सूप परोसा।
लोमड़ी का मुँह भीतर जा ही नहीं पाया और वह किसी भी प्रकार सूप नहीं चख पाई और भूखी रह गई। सारस ने आराम से सूप पिया। लोमड़ी को अपने किए का फल मिल गया था।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा : जैसे को तैसा मिलता है।

मेंढक और बैल
एक जंगल में एक मेंढक अपने बच्चों के साथ रहता था। वह मेंढक खा पीकर खूब तगड़ा हो गया था और सदा डींग हाँकता था कि वही सबसे बड़ा है।
एक दिन बच्चों ने एक बड़े से जानवर को देखा। वह एक किसान का बैल था। जंगल में देखकर उन्होनें सोचा, “यह प्राणी तो पहाड़ की तरह बड़ा है। इसके सिर पर सींग हैं और पीछे एक लंबी सी पूँछ है… लगता है संसार का सबसे बड़ा प्राणी है।”
यह बात बच्चों ने अपने पिता से बताई। मेंढक ने सोचा कि वह मुझसे बड़ा कैसे हो सकता है? उसने एक लंबी साँस खींची, स्वयं को फुलाया और पूछा, “क्या वह इतना बड़ा था?”
बच्चों ने कहा, “इससे भी बड़ा।” मेंढक ने पुनः एक गहरी साँस भीतर भरी, स्वयं को और फुलाया और पूछा, “इतना बड़ा?” बच्चों ने कहा, “इससे भी बड़ा।”
मेंढक ने और जोर से गहरी साँस भरी, स्वयं को फुलाया पर इस बार वह स्वयं ही फट गया।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा : घमंड पतन का कारण बनता है।

शेर और लोमड़ी
एक बार जंगल का राजा शेर बीमार हो गया। कमजोरी के कारण शिकार करने में असमर्थ शेर ने एक चाल चली। अपनी वसीयत सुनाने की इच्छा से उसने अपने राज्य के सभी जानवरों को अपनी गुफा में बुलाया।
सबसे पहले एक बकरी आई और अपने महाराज के पास गई। अगले दिन एक पेड़ आया और फिर एक बछड़ा राजा की वसीयत सुनने गया। भाग्यवश शेर स्वस्थ हो गया और गुफा से बाहर आया। बाहर उसने एक लोमड़ी को बैठे देखा।
शेर ने कहा, “मैं भीतर तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा था… तुम आई क्यों नहीं?” लोमड़ी ने कहा, “महाराज! मैं तो आपके पास ही आई थी।
यहाँ पर मुझे बहुत सारे खुर के निशान दिखे जो भीतर की ओर गए हैं पर बाहर आता हुआ एक भी नहीं मिला।
इसलिए मैं यहीं बैठकर किसी के बाहर आने की प्रतीक्षा करने लगी।” ऐसा कहकर लोमड़ी भाग गई और शेर गुर्राता रह गया।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा : शत्रु के जाल बाहर निकलना आसान नहीं।

कृतघ्न शेर
एक बार एक शेर पिंजरे में फंस गया। उसने निकलने की बहुत कोशिश की लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। तभी उसे बगल के रास्ते गुजरता हुआ एक आदमी दिखा।
शेर ने उससे सहायता माँगी और वादा किया कि वह बाहर निकलने पर उसे नहीं खाएगा। शेर की बात पर विश्वास कर, उस आदमी ने पिंजरा रोल दिया।
शेर बाहर आ गया लेकिन बाहर आते ही वह अपना वादा भूल गया। अब वह उस आदमी को खाना चाहता था! वह आदमी घबरा गया और अपनी जान बचाने का तरीका सोचने लगा।
उसने सुझाव रखा कि वे अपने मामले को सुलझाने के लिए किसी की सहायता लेते हैं। वहीं से निकल रहे एक सियार से उन दोनों ने फैसला करने का अनुरोध किया।
सियार बहुत चतुर था। उसने कहा कि जो-जो हुआ. वह सब उसके सामने फिर से करके दिखाओ। शेर फिर से पिंजरे में घुस गया और सियार के कहे अनुसार,
उस आदमी ने जल्दी से पिंजरा बंद कर दिया और उस पर ताला लगा दिया। इसके बाद वह आदमी और बह सियार, दोनों वहाँ से भाग निकले और कृतघ्न शेर फिर से पिंजरे में बंद रह गया।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

मुर्गी और बाज
एक बाज और एक मुर्गी आपस में बातें कर रहे थे। बाज ने मुर्गी से कहा, “तुम सबसे अधिक अहसानफरामोश पक्षी हो।” “ऐसा क्यों कह रहे हो?” मुर्गी ने गुस्से से पूछा।
बाज ने जवाब दिया, “तुम्हारा मालिक तुम्हें खाना खिलाता है लेकिन जब वह तुम्हें पकड़ने के लिए आता है, तो तुम इस कोने से उस कोने तक उड़ने लगती हो।
मैं तो जंगली पक्षी हूँ, फिर भी मैं दयालु लोगों का ख्याल रखता हूँ।” मुर्गी धीरे से बोली, “अगर तुम किसी बाज को आग पर भुनते हुए देखो, तो तुम्हें कैसा लगेगा ?
मैंने यहाँ सैकहों मुर्गे-मुर्गियों को आग पर भूने जाते हुए देखा है। अगर तुम मेरी जगह होते,
तो तुम भी अपने मालिक को कभी अपने पास नहीं आने देते। मैं तो सिर्फ इस कोने से उस कोने तक उड़ती ही हूँ, पर तुम तो पहाड़ियों पर उड़ते फिरते।”
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

चूहा बन गया शेर
एक दिन, एक साधु ने देखा कि एक बिल्ली चूहे को खदेड़ रही थी। साधु ते अपनी अलौकिक शक्तियों से उस चूहे को बिल्ली बना दिया और उसकी जान बच गई।
एक दिन उस बिल्ली के पीछे एक कुत्ता दौड़ पड़ा। अब साधु ने उसको कुत्ता बना दिया। एक बार, उस कुत्ते पर शेर ने हमला कर दिया।
साधु ने तुरंत उस कुत्ते को शेर बना दिया। जो गाँव वाले इस नए शेर का रहस्य जानते ये, वे उसका मजाक उड़ाते थे। उनके लिए वह एक पिद्दी-सा चूहा ही था,
जो शेर बना फिरता था! अब इस शेर ने सोचा कि जब तक यह साधु जीवित रहेगा, सब लोग उसका ऐसा ही मज़ाक उड़ाते रहेंगे। साधु ने इस शेर को अपनी ओर आते देखा,
तो उसके इरादे समझ गया। साधु बोला, जाओ, तुम फिर से चूहा ही बन जाओ। तुम अहसानफरामोश हो और शेर बनने लायक नहीं हो।”
और इस प्रकार वह शेर फिर से सिकुड़कर दुबारा चूहा बन गया।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

झूठा दोस्त
एक हिरन और एक कौआ पक्के दोस्त थे। एक दिन कौए ने हिरन को एक सियार के साथ देखा। सियार बहुत चालाक जानवर माना जाता है।
कौए ने अपने दोस्त हिरन को समझाया कि सियार पर भरोसा नहीं करना चाहिए। हिरन ने कौए की सलाह पर ध्यान नहीं दिया और सियार के साथ एक खेत में चला गया।
हिरन वहाँ लगे जाल में फस गया। सियार उससे कहने लगा, “मैं तो किसान को बुलाने जा रहा हूँ। वह आएगा और तुम्हें मार डालेगा।
मुझे भी वह तुम्हारे गोश्त का हिस्सा देगा।” हिरन चिल्लाने लगा। कौए ने अपने दोस्त के चिल्लाने की आवाज़ सुनी तो तुरंत उसकी सहायता के लिए आ गया।
उसने हिरन से कहा कि वह ऐसे लेट जाए, जैसे वह सचमुच मर गया हो। थोड़ी ही देर में, सियार की आवाज सुनकर किसान वहाँ आ पहुँचा।
उसने देखा कि जाल में हिरन तो मरा पड़ा है। उसने जाल खोल दिया। जाल खुलते ही हिरन को मौका मिल गया और वह तुरंत उछलकर वहाँ से भाग गया।
गुस्साए किसान ने सियार की पिटाई कर दी और उसे वहाँ से भगा दिया।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

शैतान मेमना
एक बकरी अपने शैतान बच्चे के साय रहती थी। एक दिन सुबह, उछलते-कूदते मेमना जंगल की ओर चला गया। उसकी माँ ने बच्चे को काफी मना किया कि वह घने-अंधेरे जंगल में अकेले न जाए।
उसने कहा, “वहाँ बहुत सारे जंगली और खतरनाक जानवर होंगे। बेटे, वहाँ अकेले मत जाओ।” माँ, चिंता मत करो। मैं ज्यादा दूर नहीं जाऊँगा.” मेमने ने जवाब दिया।
नन्हा मेमना उछल-कूद करते हुए खेल में मग्न हो गया और उसे पता ही नहीं चला कि वह जंगल में कितने दूर आ गया है। जल्द ही अंधेरा हो गया।
अब वह वापस अपनी माँ के पास जाना चाहता था, लेकिन बेचारा इरा-घबराया मेमना रास्ता भूल गया! वह गुम हो चुका था और उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे।
वह अपनी माँ को पुकारते हुए चिल्लाने लगा। उसे अपने आरामदायक घर की याद सताने लगी। उसे महसूस हुआ कि उसने अपनी माँ की बात न मानकर बड़ी गलती कर दी।
तभी, एक भेडिया वहाँ आ पहुँचा औट बोला, अरे! आज रात तो मैं इसी मेमने का स्वादिष्ट गोश्त खाऊँगा!” भेड़िया ने झपटकर मेमने को दबोच लिया। वेचारे मेमने को अपनी माँ की बात न मानने का दंड भुगतना पड़ा।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

बोलने वाली गुफा
एक जंगल में एक शेर रहता था। एक दिन वह आराम करने के लिए जगह तलाश कर रहा था, कि उसे एक बड़ी गुफा दिखाई दी। शेर ने अंदर देखा, उसे कोई नहीं दिखा।
शेर को लग तो रहा था कि कोई न कोई तो इस गुफा में अवश्य रहता है, लेकिन उसे वह गुफा इतनी पसंद आई कि उसका मन उसी में रहने का करने लगा।
वह गुफा एक सियार की थी। योड़ी ही देर में शाम हो गई और सियार अपनी गुफा में आ गया। गुफा के बाहर उसे शेर के पैरों के निशान दिखाई दिए।
सियार बहुत होशियार था। वह सतर्क हो गया। वह शेर का शिकार नहीं बनना चाहता था। गुफा में शेर है या नहीं, यह पता करने के लिए सियार ने एक चाल चली।
वह जोर से चिल्लाया, “ओ गुफा! अगर तुमने रोज की तरह मुझसे बात नहीं की, तो मैं यहाँ से चला जाऊंगा।”
शेर ने सियार की आवाज सुनी तो उसके मन में लालच आ गया। उसकी गुफा के बदले जवाब देने का निश्चय किया। उसने दहाड़ मार दी। शेर की दहाड़ सुनकर चतुर सियार समझ गया और जान बचाकर भाग गया।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

किंग कोबरा और चीटियां
बहुत समय पहले की बात है, एक भारी किंग कोबरा एक घने जंगल में रहता था शिकार करता था और दिन में सोता रहता था।
धीरे-धीरे वह काफी मोटा हो गया और पेड़ वह रात में के जिस बिल में वह रहता था, वह उसे छोटा पड़ने लगा। वह किसी दूसरे पेड़ की तलाश में निकल पड़ा।
आखिरकार, कोबरा ने एक बड़े पेड़ पर अपना घर बनाने का निश्चय किया, लेकिन उस पेड़ के तने के नीचे चीटियों की एक बड़ी बाँबी थी,
जिसमें बहुत सारी चीटियाँ रहती थीं। वह गुस्से में फनफनाता हुआ बीवी के पास गया और चीटियों को हॉँटकर बोला, “मैं इस जंगल का राजा हूँ।
मैं नहीं चाहता कि तुम लोग मेरे आस-पास रहो। मेरा आदेश है कि तुम लोग अभी अपने रहने के लिए कोई दूसरी जगह तलाश लो।
अन्यथा, सब मरने के लिए तैयार हो जाओ!” चीटियों में काफी एकता थी। वे कोबरा से बिलकुल भी नहीं डरी। देखते ही देखते हज़ारों चीटियाँ बाँबी से बाहर निकल आई।
सबने मिलकर कोबरे पर हमला बोल दिया। उसके पूरे शरीर पर चीटियां रेंग-रेंग कर काटने लगी! दुष्ट कोबरा दर्द के मारे चिल्लाते हुए वहाँ से भाग गया।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

दुष्ट बिल्ली
एक गोरिया ने एक पेड़ पर खाली छेद में अपना घर बनाया। एक दिन, वह भोजन की तलाश में निकली और फिर कई दिन तक नहीं लौटी।
इस बीच, एक खरगोश वहाँ आया और उसका घर खाली देखकर, उसमें रहने लगा। काफी दिनों बाद गोरिया लौटी तो खरगोश ने वह घर खाली करने से इन्कार कर दिया।
गौस्या बोली, “चलो किसी से अपना फैसला करवाते हैं। वह जैसा कहेगा, हम दोनों वैसा ही करेंगे।” इस बीच, एक दुष्ट बिल्ली को उनके झगड़े के बारे में पता चल गया।
यह उन दोनों के पास आ गई। दोनों ने उन्हें अपने झगड़े के बारे में बताया। बिल्ली बड़ी मीठी आवाज में बोली, “मैं बहुत बड़ी हो गई हूँ और मुझे ठीक से सुनाई नहीं देता।
पास आकर अपनी बात समझाओ।” जब बेचारी गौरैया और खरगोश उसके पास आ गए, तो बिल्ली जे झपटकर दोनों को दबोच लिया और उन्हें मारकर खा गई! अगर तुम लोग भी लड़ोगे तो तुम्हारी शक्ति कम हो जाएगी और दूसरे इसका लाभ उठा ले जाएंगे।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

Short Stories in Hindi based on Bad Grouping – बुरी संगत
एक किसान कौओं से बहुत परेशान था। दुष्ट कौए आते और रोज उसकी फसल खा जाते उन कौओं को भगाने के लिए किसान ने खेत में कुछ विजूका भी लगाए लेकिन कौए इतने चालाक थे कि वे बिजूका को भी नोंच-फाड़ देते थे।
एक दिन, किसान ने अपने खेत में जाल फैला दिया। जाल के ऊपर उसने अनाज फैला दिया। कौआ जाल में फस गए। जाल में फंसे कौओं ने किसान से दया की भीख माँगी लेकिन किसान बोला, “मैं तुम लोगों को जिंदा नहीं छोडूंगा।
अचानक किसान को एक दर्दभरी आवाज सुनाई दी। उसने ध्यान से जाल में देखा। उसे दिखाई दिया कि कौओं के साथ एक कबूतर भी फैसा किसान कबूतर से बोला, “तुम इन दुष्ट कौओं के साथ क्या कर रहे थे?
अब तुम भी अपनी इसी बुरी संगत की वजह से अपनी जान गंवा बैठोगे।” और फिर किसान ने उन कौओं और कबूतर को अपने शिकारी कुत्तों को खिला दिया। किसी ने सच ही कहा है, बुरी संगत हमेशा हानिकारक होती है।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

उत्सुक बच्चा
एक बार, एक बच्चा जंगल में घूम रहा था। उसने एक बड़ा और भारी बक्सा देखा। उसने उसे खोलने की बहुत कोशिश की परंतु नहीं खोल पाया।
वह सोचने लगा कि उसमें क्या होगा। पहले उसने सोचा उसे बहुत धन होगा। फिर उसने सोचा कि उसमें खज़ाने का नक्शा होगा। तभी उसने वहाँ पर भविष्य बताने वाले की झोंपड़ी देखी। लड़का उसके पास गया।
भविष्य बताने वाले ने बक्सा सूंघा और कहा-“इसके अंदर कोई अच्छी चीज है।” लड़के ने पूछा- वह क्या है?” भविष्य बताने वाले ने कहा- “मैं तुम्हें इतना ही बता सकता हूँ।
लड़का उदास हो अपने घर की ओर मुड़ गया। लेकिन वह इतना उत्सुक था कि उससे रहा न गया और उसने उस बक्से पर पत्थर दे मारा। बक्सा टूट गया और उसमें से मीठा पेय बह निकला। बच्चा बहुत पछताया क्योंकि वह इस पेय को नहीं पी पाया था।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

कुत्ता चला विदेश
एक नगर में चित्रांगन नामक एक होशियार कुत्ता रहता था। एक साल उस नगर में भयानक अकाल पड़ा। चित्रांगन को खाने के लाले पड़ गए।
परेशान होकर वह कहीं दूर के नगर में चला गया। नई जगह पर खाने-पीने की कोई कमी नहीं थी। वह एक घर के पिछवाढे में रहता और यहां मनपसंद खाना खाता।
एक दिन, कुछ वहीं के कुत्तों ने उसे देख लिया। उसे देखते ही वे समझ गए कि यह कुत्ता तो बाहर से आया है उन कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया।
सारे कुत्ते उस पर भोंकते हुए टूट पड़े और उसे जगह-जगह से बुरी तरह घायल कर दिया। आखिरकार, किसी तरह वह उन कुत्तों के चंगुल से छूट पाया।
अब वह सोचने लगा, “यह जगह छोड़ देने में ही भलाई है। मेरे नगर में भले ही अकाल पड़ा हो, लेकिन कम से कम वहाँ मेरे साथी तो हैं।”
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

Short Stories in Hindi with God – भगवान की इच्छा
एक बार एक लुहार था जिसकी दो बेटियाँ थीं। एक का नाम था काजल जो सुंदर परंतु घमंडी थी। दूसरी का नाम था कोयल जो काजल से कम सुन्दर थी, लेकिन वह बहुत दयालु थी।
उनका पिता हमेशा कहता-“मैं काजल का विवाह किसी राजकुमार से करूंगा।” जब लोग कोयल के बारे में पूछते तो वह कहता-“जो भी पहला आदमी उसका हाथ मांगने आएगा, उसी के साथ उसका विवाह कर दूंगा।”
कोयल ने कभी भी अपने पिता के शब्दों का बुरा नहीं माना। उसका मानना था कि सभी काम भगवान की इच्छा से होते हैं। एक दिन एक सुंदर युवक उनके घर आया।
उसने लुहार से कोयल का हाथ मांगा। लुहार खुशी से राजी हो गया अगले दिन एक और युवक आया और बोला-“मैं राजकुमार हूँ और मैं काजल से शादी करना चाहता हूँ।” लुहार बहुत खुश हुआ।
दोनों बहनों की शादी एक ही दिन हो गई। तब पिता को पता चला कि काजल का पति नाम का ही राजकुमार था। जबकि कोयल का पति वास्तव में एक राजकुमार था। यह जानकर लुहार को बहुत दुख हुआ, लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

Moral Short Stories in Hindi of a Servant – मूर्ख समुराई और नौकर
तुम्हें पता है समुराई कौन होता है? समुराई जापान में सेना का एक अफसर होता है। बहुत पहले एक समुराई अपने घर लौट रहा था। वह अपने लिए एक नौकर ढूंढ रहा था, जो उसका सामान उठा सके।
रास्ते में उसे एक और समुराई मिला। दोनों दोस्त बन गए। उन्होंने एक साथ सफर करने का फैसला किया। भाग्य से उन्हें एक नौकर भी मिल गया। नौकर ने उनका सामान और तलवारें उठा रखी थीं।
समुराइयों के पास बात करने को जब कुछ नहीं बचा, तो वे दोनों नौकर का मज़ाक उड़ाने लगे। पहले तो नौकर ने बुरा नहीं माना। परंतु लगातार अपमान से उसे चिड़ होने लगी।
उसने तलवार निकाली और बोला-“मुझे अपना पैसों का बैग दो। समुराइयों को उसकी बात माननी पड़ी। नौकर ने उनका सामान और तलवारें कुएँ में फेंक दिए। वह बोला- अपना सामान स्वयं निकालो।
मैं ये पैसे के बैग उठाकर खुश हूँ।” यह कहकर वह भाग गया। दोनों अमराइयों के पास अब कुछ नहीं बचा था। दोनों की मर्खता के कारण ही यह सब हुआ था।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

कछुए की इच्छा
एक जंगल में एक कछुआ रहता था। वह जब भी पक्षियों को उड़ते देखता तो उदास हो जाता ।वह सोचता,”काश! मैं भी इन पक्षियों की तरह उड़ पाता।” एक दिन वह अपनी मित्र चील के पास जाकर बोला,
“क्या तुम मुझे उड़ना सिखा सकती हो।” चील हँसते हुए बोली, “नहीं। तुम कैसे उड़ सकते हो? तुम्हारे तो पंख ही नहीं हैं।” चील ने कछुए को समझाने की बहुत कोशिश की, पर वह मानने को तैयार ही नहीं था।
वह चील से बोला, “मैं कुछ नहीं जानता। बस, तुम मुझे आकाश में उड़ना सिखाओ।” हारकर चील उसे चोंच में पकड़कर आकाश में ले गई और वहाँ जाकर बोली,
“अब उड़ने की कोशिश करो।” जैसे ही उसने चोंच खोली, कछुआ धड़ाम से जमीन पर आ गिरा और मर गया।
शिक्षा : किसी बात के लिए हठ करना उचित नहीं होता।

चोर की माँ
एक छोटा बच्चा हर रोज स्कूल जाता था। एक दिन वह अपने एक सहपाठी की किताब चुराकर घर ले आया। घर आकर उसने वह किताब अपनी माँ को दिखाते हुए कहा, “देखो माँ! मैं कितनी सुंदर किताब चुराकर लाया हूँ।”
किताब देखकर माँ बहुत प्रसन्न हुई और बोली, “शाबाश बेटा! तुम बहुत चतुर हो।” इस तरह बच्चा हमेशा बाहर से कोई न कोई वस्तु चुराकर लाता और माँ उसे समझाने की बजाय और बढ़ावा देती।
आखिर में बड़ा होकर वह एक नामी चोर बन गया। एक दिन पुलिस उसे पकड़कर ले जाने लगी तो उसकी माँ रोते हुए उसके पीछे चल पड़ी। चोर ने सिपाही से एक क्षण रुकने के लिए कहा।
फिर वह अपनी माँ की ओर घूमा और एक जोरदार तमाचा जड़ दिया। फिर बोला, “माँ! अब रो मत, क्योंकि मुझे चोर बनाने में तुम्हारा हाथ है। यदि तुमने बचपन में मुझे चोरी करने पर सजा दी होती तो आज यह नौबत न आती।”
शिक्षा : कभी भी गलत काम को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।

मेढकों की लड़ाई
एक कुएँ में बहुत सारे मेंढक रहते थे। एक बार दो मेंढकों में लड़ाई होने लगी। शेष मेंढक दोनों में से किसी-न-किसी का पक्ष लेने लगे। इस प्रकार मेंढकों के दो समूह बन गए। उनकी लड़ाई बढ़ती चली गई।
एक दिन मेंढकों का एक समूह एक साँप के पास सहायता के लिए गया। उनका मुखिया साँप से बोला, “हम एक कुएँ में रहते हैं। वहाँ पर रहने वाले कुछ मेंढक हमारे दुश्मन हैं।
हम तुमसे विनती करने आए हैं कि तुम चलकर हमारे कुएँ में रहो और उन्हें मारकर खा जाओ। इस प्रकार तुम्हें आसानी से भोजन प्राप्त हो जाएगा और हमें भी अपने दुश्मनों से छुटकारा मिल जाएगा।”
यह जानकर साँप उनके साथ कुएँ में रहने के लिए खुशी-खुशी चल दिया। अब साँप ने दुश्मन मेंढकों को खाना शुरू कर दिया। जल्दी ही वह सारे दुश्मन मेंढकों को खा गया। तब दूसरे समूह के सरदार ने साँप से कुआँ छोड़कर जाने को कहा।
लेकिन साँप ने उसकी बात मानने से इंकार कर दिया। अब वह मुफ्त के भोजन का आदी जो हो चुका था। इसलिए वह कुएँ में ही रहा और धीरे-धीरे सारे मेंढकों को मारकर खा गया। इस प्रकार, व्यर्थ की लड़ाई में सभी मेंढक अपनी जान गंवा बैठे।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

सोच
एक दिन एक बुजुर्ग व्यक्ति एक समारोह में शामिल होने रहा जा था। ठीक उसी समय एक युवक अपनी मंगेतर से मिलने जा रहा था। रास्ते में उनमें बातचीत होने लगी और थोड़ी ही देर में वे काफी घुलमिल गए।
वह युवक बोला, “हे महानुभाव! मेरी इच्छा है कि आप मेरे साथ मेरी मंगेतर से मिलने चलें।” लेकिन उस बुजुर्ग व्यक्ति ने मना करते हुए कहा, “नहीं धन्यवाद। मैं एक धार्मिक समारोह में जा रहा हूँ।
इसलिए मैं चाह रहा था कि तुम मेरे साथ चलो।” युवक ने विनम्रतापूर्वक मना कर दिया। फिर वे दोनों अपने-अपने रास्ते चले गए। जब बुजुर्ग व्यक्ति धार्मिक समारोह में पहुँचा तो वह उस खूबसूरत लड़के के बारे में सोचने लगा,
जिससे मिलने का मौका उसे मिला था। वहीं वह युवक उस धार्मिक समारोह के विषय में सोचने लगा, जहाँ जाने का उसे अवसर मिला था। इस प्रकार दोनों जो उन्हें नहीं मिला,
उसके बारे में सोच रहे थे। व्यक्ति का स्वभाव ही कुछ ऐसा होता है कि जो चीज उसके पास होती है, उसके बारे में न सोचकर वह दूसरों को उपलब्ध चीजों के विषय में सोचता रहता है।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

हाथी के दाँत
एक बार एक भूखे चूहे को एक अखरोट मिला। उसने उसे तोड़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसका छिलका कठोर होने के कारण वह उसे तोड़ने में असफल रहा। चूहे के छोटे-छोटे दाँत उसे तोड़ने में असमर्थ थे।
तब वह चिढ़कर बोला,”हे भगवान! तुमने मुझे इतने छोटे-छोटे दाँत क्यों दिए? मेरे पास भोजन है, लेकिन मैं उसे खा नहीं सकता।” उसकी आवाज सुनकर भगवान प्रकट हुए और बोले, “प्रिय चूहे, जाओ और दूसरे जानवरों के दाँत देखो।
तुम्हें जिसके भी दाँत पसंद आएंगे, मैं तुम्हें वैसे ही दाँत दे दूंगा।” खुश होकर चूहा विभिन्न जानवरों की खोज में गया। उसने बहुत सारे जानवरों के दाँत देखे। अन्तत: वह हाथी के लंबे सफेद दांत देखकर बड़ा प्रभावित हुआ।
उसने हाथी के पास जाकर उससे पूछा, “दोस्त, क्या तुम अपने दाँतों से खुश हो?” यह सुनकर हाथी बोला,”अरे! मेरे दोस्त, मेरे दाँत तो सिर्फ दिखाने के लिए हैं। मैं इनका प्रयोग कुछ खाने के लिए नहीं कर सकता हूँ।
उल्टे मैं अपने इन दाँतों से भारी सामान उठाने का कार्य करता हूँ।” यह सुनकर चूहे ने अपने छोटे दाँतों के लिए भगवान को शुक्रिया अदा किया।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

हरी-भरी धरती
भगवान ने सबसे पहले खूबसूरत हरी-भरी धरती बनाई। धरती पर घास के हरे मैदान और हरे-भरे पेड़ बनाए। भगवान ने पशु-पक्षी भी बनाए। अन्ततः उसने अपने इस सुंदर सृजन की देखभाल के लिए मनुष्य को बनाया।
साथ ही ईश्वर ने मनुष्य को चेतावनी देते हुए कहा, “तुम हमेशा धरती की हरियाली एवं उसकी खूबसूरती को सुरक्षित रखना। ठीक उसी तरह, जिस तरह मैंने इसे बनाया है। कभी कोई पाप-कर्म नहीं करना,
जिससे कि धरती अपनी सुंदरता खो बैठे।” यह चेतावनी देने के बाद भगवान ने मनुष्य को धरती पर भेजा। लेकिन जल्दी ही मनुष्य भगवान की चेतावनी को भूल गया। उसने चोरी, हत्या, झूठ बोलना,
पेड़ों को काटना जैसे पाप-कर्म करने शुरू कर दिए। इस वजह से धरती की सुंदरता खो गई और वह मरुस्थल में परिवर्तित हो गई। अब मनुष्य अपने किए पर पछता रहा था। तब उसने भगवान से माफी माँगी। फिर भगवान ने उसे क्षमा कर दिया।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

हाथी की सूँड
बहुत समय पहले की बात है, जब हाथी की सूँड छोटी होती थी। तब वह आज की सूडों जैसी लम्बी नहीं थी। एक दिन हाथी नदी के तट पर पानी पीने गया। उसे वहाँ एक मगरमच्छ दिखाई दिया।
हाथी ने मगरमच्छ को छेड़ते हुए कहा,”अरे! तुम तो एक रेंगने वाले जीव हो। मुझे समझ नहीं आता कि तुम्हारा शरीर इतना लंबा क्यों है?” मगरमच्छ ऐसे अपमानजनक शब्द सुनकर अपना आपा खो बैठा।
वह गुस्से से बोला, “मैं तुम्हें अपने शरीर का उपयोग अभी दिखाता हूँ।” यह कहते हुए मगरमच्छ ने तीव्रता से हाथी की सूँड अपने मुँह में पकड़ ली। हाथी दर्द के मारे चिल्लाने लगा।
उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर सियार, घोड़ा, जिराफ आदि जानवर उसकी सहायता के लिए आ गए और हाथी की सूंड को मगरमच्छ के से छुड़ाने के लिए उसकी पूँछ पकड़कर खींचने लगे। आगे और पीछे दोनों ओर से खींचने के कारण हाथी की सूँड लंबी हो गई, जैसी कि वह आजकल दिखाई देती है।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

गधे की परछाई
एक व्यापारी ने बाजार से कुछ सामान खरीदा। सामान भारी होने के कारण उसने उसे चोदने के लिए एक गधा भी किराए पर लिया।गधे का मालिक भी साथ था। गर्मियों के दिन थे और दोनों चलते-चलते थक गए थे।
इसलिए वे एक जगह बैठकर आराम करने लगे गधे की परछाई देखकर व्यापारी उसमें बैठने लगा। अचानक गधे का मालिक चीखा,”हटो यहाँ से। मैंने तुम्हें गधा किराए पर दिया है. उसकी परछाई नहीं।
परछाई पर मेरा हक है।” इस बात को लेकर दोनों में बहस छिड़ गई। उन्हें लड़ते देखकर गधे ने सोचा, ‘सुनहरा मौका है, दोनों लड़ाई में उलझे हैं और किसी का ध्यान मेरी ओर नहीं है। भाग चलता हूँ।’ गधा चुपचाप वहाँ से भाग निकला।
शिक्षा: दो लोगों की लड़ाई में तीसरा फायदा उठा लेता है।

शेर की चाल
एक जंगल में चार बैल रहते थे। उनमें गहरी मित्रता थी।शेर जब भी उन चारों को देखता तो यही सोचता, ‘कहीं मुझे कोई बैल अकेला मिल जाए तो मैं उसे मारकर खा जाऊँ।’ शेर की यह इच्छा कभी पूरी नहीं हुई,
क्योंकि चारों हमेशा झुंड बनाकर रहते थे। उनके बड़े-बड़े सींग देखकर शेर दूर से ही जाता था। वह यह बात भली-भाँति समझ गया था कि चारों के साथ रहते तो वह उनका सामना नहीं कर सकता।
इसलिए वह कोई ऐसी योजना सोचने लगा जिससे उनकी मित्रता तोड़ी जाए। एक दिन वह एक बैल के पास गया और उससे बोला, “तुम्हारे तीनों मित्र कहते हैं कि तुम सबसे निर्बल और मूर्ख हो।”
यह सुनकर बैल को बहुत बुरा लगा और उसने दूसरे बैलों से बोलना छोड़ दिया। शेर ने बाकी तीनों को भी इसी तरह भड़काया। चारों आपस में नाराज हो गए।
तब शेर ने एक दिन एक बैल पर हमला कर दिया, पर बाकी बैल तुरंत उसकी सहायता को आ पहुँचे और उसे खदेड़ दिया। जब पहले बैल ने उनको धन्यवाद दिया तो वे बोले, “हम मूर्ख नहीं हैं, जो शेर की चाल में आ जाते।”
शिक्षा : एकता में ही बल है।

बुद्धिमान गधा
एक बार एक गधा जंगल में नर्म हरी घास खाने में मग्न था। इधर एक शेर शिकार के इरादे से धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ रहा था। गधा इस बात से अंजान था। शेर गधे के पास पहुँचा तो उसे देखकर गधा डर गया।
शेर बहुत ही खतरनाक और भयानक लग रहा था। लेकिन गधा भी कम चालाक न था। वह बोला,”महाराज, मुझे आपको देखकर बहुत खुशी हुई। मुझे आपका भोजन बनने में बड़ा गर्व होगा।
लेकिन उससे पहले मैं आपको गधे को सही तरीके से खाने की विधि बताता हूँ। कहते हैं कि गधे जाता है।” को पीछे के पैरों से खाना शुरू करना चाहिए। इससे उसे खाने का स्वाद बढ़ शेर ने उसकी बात पर विश्वास कर लिया।
फिर वह गधे को खाने के लिए उसके पीछे गया। जैसे ही शेर गधे के पीछे खड़ा हुआ, वैसे ही गधे ने शेर के मुँह पर बड़े जोर से लात मारी। फलस्वरूप शेर नीचे झाड़ियों में जा गिरा। जब तक शेर उठता, तब तक गधा वहाँ से दूर भाग चुका था।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

सिंह और चूहा
हम सभी जानते हैं, शेर जंगल का राजा है। एक बार एक शेर तेजी से सो रहा था जब एक छोटा माउस उसके ऊपर और नीचे दौड़ा।
इससे शेर जाग गया। वह क्रोधित हुआ और उसने अपने विशाल पंजे के साथ चूहे को पकड़ लिया। फिर उसने उसे निगलने के लिए अपना बड़ा मुँह खोला।
“कृपया मुझे माफ कर दो, हे जंगल के राजा”, छोटे चूहे को पुकारा। “मैं तुम्हारी दया को कभी नहीं भूलूंगा।
मैं छोटा हो सकता हूं लेकिन कौन जानता है, किसी दिन मैं तुम्हारी किसी तरह की मदद कर सकता हूं।
” शेर ने हँसकर दया की और माउस को आज़ाद कर दिया।
कुछ दिनों बाद, शेर एक शिकारी के जाल में फंस गया। वह दहाड़ता रहा लेकिन व्यर्थ। छोटा चूहा सुना और शेर की तरफ भागा।
तुरंत ही चूहे ने अपने छोटे-छोटे दांतों से जाल काटना शुरू कर दिया। जल्द ही शेर मुक्त हो गया और उसने छोटे चूहे को धन्यवाद दिया।
इसके बाद, वे दोस्त बन गए।
Moral: जरूरत में एक दोस्त वास्तव में एक दोस्त है।

लोमड़ी और कौआ
एक दिन एक भूखा लोमड़ी भोजन खोज रही थी। उसने खोजा और सब जगह खोजा, लेकिन उसे खाने के लिए कुछ नहीं मिला!
फिर उसने एक कौवा देखा, जो उसकी चोंच में पनीर का एक महीन टुकड़ा लेकर उड़ रहा था! “वह चीज मेरे लिए है” लोमड़ी ने कहा और वह कौवा का पीछा करने लगी।
कौआ एक शाखा पर बैठ गया, और पनीर खाने वाला था, जब लोमड़ी नीचे से चिल्लायी। “शुभ दिन मालकिन क्रो” कौआ हैरान था, और लोमड़ी को देखा।
चालाक लोमड़ी ने कौवे से कहा “आज आप कितने अच्छे दिख रहे हैं!” “आपके पंख कितने अच्छे हैं” “आपकी आंख कितनी चमकीली है!”
“क्या उत्तम सौंदर्य” लोमड़ी को माफ कर दिया! तब लोमड़ी ने कहा,
“कृपया मुझे अपनी आवाज सुनने दो, जो मुझे यकीन है कि सभी दूसरों को पार कर लेंगे ” “फिर मैं आपको पक्षियों की रानी घोषित करूंगा”
कौवा वास्तव में तारीफ से खुश था, और मूर्ख कौवा यह भी सोचा कि उसकी आवाज सुंदर थी! कौआ ने सिर उठा लिया, और उसे अपना सर्वश्रेष्ठ देना शुरू कर दिया!
लेकिन जिस पल उसने अपना मुँह खोला, पनीर नीचे गिर गया, और यह लोमड़ी द्वारा तड़क गया था! तब लोमड़ी ने कहा,
“तुम मूर्ख हो कौवा, आपको कभी भी चापलूसी पर भरोसा नहीं करना चाहिए! हा हा .. हा हा ।। कौवे को अपनी गलती का एहसास हुआ, और लोमड़ी फिर चली!
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

अनहेल्दी फ्रेंड्स
बनी खरगोश जंगल में रहता था। उसके कई दोस्त थे। उसे अपने दोस्तों पर गर्व था। एक दिन बनी खरगोश ने जंगली कुत्तों के जोर से भौंकने की आवाज़ सुनी।
वह बहुत डरा हुआ था। उसने मदद मांगने का फैसला किया। वह जल्दी से अपने मित्र हिरण के पास गया। उन्होंने कहा, “प्रिय मित्र, कुछ जंगली कुत्ते मेरा पीछा कर रहे हैं।
क्या आप उन्हें अपने तीखे एंटीलर्स से दूर कर सकते हैं? ” हिरन ने कहा, “यह सही है, मैं कर सकता हूँ।” लेकिन अब मैं व्यस्त हूं। आपने मदद क्यों मांगी? ”
बनी खरगोश भालू के पास दौड़ा। “मेरे प्यारे दोस्त, आप बहुत मजबूत हैं। क्रिप्या मेरि सहायता करे। कुछ जंगली कुत्ते मेरे पीछे हैं। कृपया उनका पीछा करें,
”उन्होंने भालू से अनुरोध किया। भालू ने उत्तर दिया, “मुझे क्षमा करें। मैं भूखा और थका हुआ हूँ। मुझे कुछ खाने को खोजने की जरूरत है।
कृपया मदद के लिए बंदर से पूछें। ” बेचारी बनी बंदर के पास गई, हाथी, बकरी और उसके अन्य सभी दोस्त।
बनी को दुःख हुआ कि कोई भी उसकी मदद करने के लिए तैयार नहीं था। वह समझ गया कि उसे खुद से बाहर निकलने का रास्ता सोचना होगा।
वह एक झाड़ी के नीचे छिप गया। वह बहुत स्थिर था। जंगली कुत्तों को बन्नी नहीं मिली। वे अन्य जानवरों का पीछा करते हुए चले गए।
बनी खरगोश ने सीखा कि उसे खुद से जीवित रहना सीखना था, उसके अनछुए दोस्तों पर निर्भर नहीं।
Moral of the Story:-दूसरों पर निर्भर रहने के बजाय खुद पर भरोसा करना बेहतर है।

बुढ़ा शेर और  बुढ़ी लोमड़ी    
एक बार एक जंगल में, वहाँ एक शेर रहता था जो बहुत बूढ़ा हो गया था। शेर के दांत और पंजे बुढ़ापे के साथ खराब हो गए थे,
और वह अब भोजन के लिए शिकार नहीं कर सकता था! एक दिन उन्हें एक विचार आया, और गाँव में सभी को संदेश भेजा। उन्होंने बीमार होने का नाटक किया,
और सभी को अपने पास आने और बुलाने के लिए बुलाया। अगले दिन, शेर अपनी सहानुभूति प्रदान करने के लिए शेर की गुफा में आया।
लेकिन जैसे ही बकरी अंदर आई, शेर ने उसे पकड़ लिया और खा लिया। अगले दिन एक हिरण गुफा में आया।
लेकिन जैसे ही वह अंदर आया, शेर ने उसे पा लिया और उसे भी खा गया! एक एक करके, शेर उन जानवरों को खा गया जो उससे मिलने आए थे। एक दिन, चतुर लोमड़ी गुफा के बाहर आई। लोमड़ी बहुत सतर्क थी, और गुफा से सुरक्षित दूरी पर खड़ा था।
तब उन्होंने शेरों के स्वास्थ्य के बारे में विनम्रता से पूछताछ की। शेर ने जवाब दिया कि वह वास्तव में बहुत अच्छा था, और लोमड़ी को एक क्षण के लिए कदम बढ़ाने को कहा।
फॉक्स बुद्धिमानी से बाहर रहे निमंत्रण के लिए शेर को बहुत धन्यवाद। उन्होंने कहा, “मुझे ऐसा करने में खुशी होनी चाहिए जैसा आप पूछते हैं।”
“लेकिन मैंने देखा है कि बहुत सारे हैं आपकी गुफा तक जाने वाले पैरों के निशान, लेकिन किसी के बाहर आने के कोई निशान नहीं हैं ”
“कृपया मुझे बताओ, आपके आगंतुक कैसे अपना रास्ता निकालते हैं? ” शेर ने महसूस किया कि वह लोमड़ी को बेवकूफ नहीं बना सकता है, जो बहुत बुद्धिमान था।
लोमड़ी फिर वापस चली गई और सबको बताया कि शेर क्या कर रहा है। वह बच गया था केवल इसलिए कि उसने दूसरों की गलतियों से सीखा।
Moral:- हमें सिर्फ खुद के गलतियों से ही नहीं बल्कि दुसरो के गलतियों से भी सीखनी चाइये।

प्यासा कौआ
एक कौआ एक दिन वह बहुत प्यासा हो गया वह इधर उधर पानी की तलाश में उड़ रहा था लेकिन उसे कहीं भी पीने के लिए पानी नहीं मिला उसे बहुत दुख हुआ और वो एक लंबे पेड़ की शाखा पर बैठ गया,
अचानक से कौआ देखा एक घड़ा बगीचे में कुछ दूरी पर है वह सोचने लगा वहां कुछ पानी लगता है मुझे घड़े के पास जाके देखना चाहिए और देखना चाहिए क्या मुझे कुछ पानी मिल सकता है?
तो वह उड़ गया और चला गया और घड़े के रिम पर बैठ गया उसने देखा उस घड़े के तल में थोड़ा पानी था वह सोचने लगा मैं इस पानी को कैसे पी सकता हूं लेकिन मैं घड़े के नीचे तक नहीं पहुँच सकता की तुरंत उसे एहसास हुआ,
कि उसे कुछ करना है ताकि जल स्तर ऊपर आए ताकि वह पानी पी सकता है उसने एक पल के लिए अपने आपसे सोचा और वहा से विचार आया उसने चारों ओर देखा और देखा कि कुछ छोटे पत्थर थे
आसपास लेटा हुए है पूरे बगीचे में वह गया और एक बार में एक पत्थर उठाया तथा घड़े में डाल दिया उन्होंने महसूस किया 5-6 ऐसे पत्थर लगाने के बाद जल स्तर बढ़ी है
तो उसे महसूस हुआ अगर वह कुछ और पत्थर डालता है तो जल स्तर फिर से बढ़ेगा इसलिए वह छोटे पत्थरों को इकट्ठा करता चला गया और घड़े में डाल दिया कुछ समय बाद कई पत्थरों को घड़े में गिराए जाने के बाद पानी एक स्तर पर आ गया
ताकि कौवा प्यास बुझा सकता था उसकी प्यास उस पानी को पीने से जब कौवा वह पानी पिया वह पूरी तरह से खुस हुआ और दूर उड़ गया.
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

डायनासौर की कहानी
एक समय की बात है एक आदमी जिसका नाम बाला था, वह एक दिन नकली के उड़ने वाले पंख लगाकर काफी दूर तक पड़ जाता है। उड़ता हुआ बाला दूर एक टापू पर गिरता है, जहां वह बहुत सारे डायनासोर देखता है।
वहां से बाला एक डायनासोर के अंडे को चुरा लेता है और उसको अपने पुराने घर में छुपा कर रख देता है।
कुछ दिनों बाद जब वह डायनासोर अंडे से बाहर आता है तो बाला उसके खाने के लिए गांव के लोगों के घरों से बकरी, मुर्गे, खरगोश आदि चुरा कर उसको चुप चाप खिलाता रहता है।
कुछ समय बाद लोगों को उस डायनासौर का पता लग जाता है और वह डायनासोर को बाहर निकाल देते हैं बाहर निकलते ही डायनासोर तबाही मचा देता है।
वह काफी सामान तोड़ देता है और फिर बाला गांव वालों के साथ मिलकर उसे वापस उसी टापू में छोड़ आते हैं।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी
एक बार एक किसान के पास एक मुर्गी थी जो कि हर रोज एक सोने का अंडा देती थी। वह उस अण्डे को बेचकर किसान अपना घर चलाता था और बहुत अमीर होता जा रहा था।
लेकिन एक दिन किसान सोचता है कि मुर्गी मुझे रोज एक सोने का अंडा देती है लेकिन अगर मैं एक साथ ही सारे अंडे ले लूं तो में बहुत जल्दी अमीर बन जाऊंगा।
किसान सोचता है कि मुर्गी के पेट में बहुत सारे अंडे होंगे और वह उसे मार कर उसके पेट से सारे अंडे निकाल लेगा।
लेकिन जब वह किसान उस मुर्गी को मारता है उसका पेट काट देता है तो उसको खून के अलावा कुछ नहीं मिलता और वह बहुत पछताता है।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

हाथी और सियार
चंदनवन एक विशालकाय जंगल था| जंगल में सभी प्रकार के जानवर रहते थे| जंगल में मोती नाम का एक हाथी भी रहता था| मोती हाथी का शरीर काफी बड़ा था| एक बार चंदनवन में दूसरे वन से घूमते -घूमते एक सियार आया| सियार ने जब मोती हाथी को देखा, तब उसे देखकर सियार के मुँह में पानी आने लगा|
सियार, हाथी को खाने के बारे में सोचने लगा और मन ही मन सियार का शिकार करने की योजना बनाने लगा| सियार सोचने लगा कि यह हाथी बहुत बड़ा है, अगर मैं इसका शिकार कर लूँ, तब मुझे कई दिनों तक भोजन की तलाश में भटकना नहीं पड़ेगा| ऐसा सोचकर सियार हाथी के पास गया और उससे बोला, ” हाथी दादा हमारे जंगल में कोई राजा नहीं है, हमारे जंगल के सभी जानवर चाहते हैं, कि कोई बड़ा और समझदार जानवर हमारे जंगल का राजा बने”, आप बड़े और समझदार दोनों है, क्या आप हमारे जंगल का राजा बनना पसंद करोगे ?
सियार की बात सुनकर हाथी खुश हो गया| उसने राजा बनने के लिए हाँ बोल दिया| इसपर सियार ने हाथी को अपने साथ चलने के लिए बोला| हाथी राजा बनने की ख़ुशी में झूमते हुए सियार के साथ जाने के लिए तैयार हो गया| सियार हाथी को ऐसे तालाब में ले गया, जिस तालाब में दलदल था| हाथी राजा बनने की ख़ुशी में इतना मस्त था कि वह बिना सोचे तालाब में नहाने उतर गया|
जैसे ही हाथी दलदल वाले तालाब में उतरा, हाथी के पैर दलदल में धंसने लगे| उसने सियार से बोला, “तुम मुझे कैसे तालाब में ले आये, मेरी मदद करो मेरे पैर दलदल में धंस गए हैं”|
हाथी की बात सुनकर सियार जोर जोर से हंसने लगा और हाथी से बोला, “मैं तुम्हारा शिकार करना चाहता था, इसलिए मैंने तुमसे राजा बनने की बात का झूठ बोली| अब तुम दलदल में फंसकर मर जाओगे और मैं तुमको अपना भोजन बनाऊंगा”|
सियार की बात सुनकर हाथी की आँखों से आंसू आने लगे| उसने बाहर निकलने की बहुत कोशिश की, बहुत बार सियार से बाहर निकालने की विनती की, लेकिन सियार ने उसकी कोई मदद नहीं की और हाथी कुछ देर के प्रयत्न के बाद मर गया| हाथी के मरने के बाद सियार हाथी को खाने के लालच में उसकी पीठ पर चढ़ गया। हाथी को खाने के लालच में सियार यह भूल गया कि वह भी हाथी के साथ दलदल में नीचे जाता जा रहा है| और अंत में, सियार भी हाथी के साथ धीरे धीरे दलदल में धंसकर मर गया|
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है, कि जो दूसरों के लिए बुरा करता है, उसके साथ भी बुरा होता है| इसलिए हमें जीवन में कभी भी किसी के साथ बुरा नहीं करना चाहिए, अगर हम किसी के लिए बुरा करते हैं, तब हमें भी अपने साथ ऐसा होने के लिए तैयार रहना चाहिए| क्यूंकि बुरे कर्म का फल हमेशा बुरा होता है, इसलिए किसी के साथ कभी बुरा ना करें| आपको हमारी ये कहानी कैसी लगी और आपने इससे क्या सीखा, हमें कमेंट करके जरूर बतायें|
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

दादी की पेन्सिल
रोहन अपने कमरे में उदास बैठा था| उसका इंग्लिश का एग्जाम बहुत खराब हुआ था| वह दुःखी था कि उसको बहुत कम मार्क्स मिलेंगे|
रोहन की दादी कमरे में आती हैं और रोहन को एक सुन्दर सी पेन्सिल गिफ्ट में देती हैं|
रोहन कहता है कि दादी मां मुझे ये पेन्सिल मत दो, मेरा एग्जाम तो खराब हुआ है इसलिए मुझे ये गिफ्ट नहीं चाहिए|
दादी मां कहती हैं – रोहन बेटा, ये पेन्सिल भी एकदम तुम्हारी तरह है| यह पेन्सिल तुमको बहुत कुछ सिखाएगी|
देखो जब यह पेन्सिल को छीला जाता है तो इसे भी ऐसे ही दर्द होता है जैसे अभी तुमको हो रहा है|
लेकिन पेन्सिल छिलने के बाद पहले से शॉर्प और अच्छी हो जाती है और उससे अच्छी लिखाई होती है| अब तुम भी आगे से बहुत मेहनत करोगे तो तुम भी पहले से ज्यादा होशियार और अच्छे बनोगे|
रोहन खुश होकर दादी की पेन्सिल रख लेता है|
शिक्षा – मित्रों, पेन्सिल जब तक छिलती नहीं है तब तक उससे अच्छी लिखाई नहीं की जा सकती, वैसे ही इंसान को भी अच्छा बनने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ता है|
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

नन्हीं चिड़िया
बहुत समय पुरानी बात है, एक बहुत घना जंगल हुआ करता था| एक बार किन्हीं कारणों से पूरे जंगल में भीषण आग लग गयी| सभी जानवर देख के डर रहे थे की अब क्या होगा??
थोड़ी ही देर में जंगल में भगदड़ मच गयी सभी जानवर इधर से उधर भाग रहे थे पूरा जंगल अपनी अपनी जान बचाने में लगा हुआ था| उस जंगल में एक नन्हीं चिड़िया रहा करती थी उसने देखा क़ि सभी लोग भयभीत हैं जंगल में आग लगी है मुझे लोगों की मदद करनी चाहिए|
यही सोचकर वह जल्दी ही पास की नदी में गयी और चोच में पानी भरकर लाई और आग में डालने लगी| वह बार बार नदी में जाती और चोच में पानी डालती| पास से ही एक उल्लू गुजर रहा था उसने चिड़िया की इस हरकत को देखा और मन ही मन सोचने लगा बोला क़ि ये चिड़िया कितनी मूर्ख है इतनी भीषण आग को ये चोंच में पानी भरकर कैसे बुझा सकती है|
यही सोचकर वह चिड़िया के पास गया और बोला कि तुम मूर्ख हो इस तरह से आग नहीं बुझाई जा सकती है|
चिड़िया ने बहुत विनम्रता के साथ उत्तर दिया-“मुझे पता है कि मेरे इस प्रयास से कुछ नहीं होगा लेकिन मुझे अपनी तरफ से best करना है, आग कितनी भी भयंकर हो लेकिन मैं अपना प्रयास नहीं छोड़ूँगी”
उल्लू यह सुनकर बहुत प्रभावित हुआ|
तो मित्रों यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है| जब कोई परेशानी आती है तो इंसान घबराकर हार मान लेता है लेकिन हमें बिना डरे प्रयास करते रहना चाहिए यही इस कहानी की शिक्षा है|
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

गधा और धोबी
नंदन वन में एक नन्हीं चिड़िया रहती थी जिसके दो मुँह थे। दो मुँह होने के कारण वह चिड़िया दूसरे पछियों से बिल्कुल विचित्र दिखती थी। वह चिड़िया एक बरगद के पेड़ पर घौंसला बना कर रहती थी।
एक दिन वह चिड़िया जंगल में भोजन की तलाश में इधर उधर उड़ रही थी। अचानक चिड़िया के दायें वाले मुँह की नजर एक लाल फल पर पड़ी। देखते ही उसके मुँह में पानी आ गया और वह तेजी से वो लाल फल खाने को आगे बढ़ी।
अब चिड़िया का दायाँ मुँह बड़े स्वाद से वो फल खा रहा था। बायाँ मुँह बेचारा बार बार दाएं मुंह की तरफ देख रहा था कि ये मुझे भी खाने को दे लेकिन दायाँ वाला चुपचाप मस्ती से फल खाये जा रहा था।
अब बाएँ मुँह ने दाएँ वाले से प्रार्थना की, कि थोड़ा सा फल खाने को मुझे भी दे दो तो इसपर दाएं मुंह ने गुस्सा दिखाते हुए कहा – कि हम दोनों का पेट एक ही है। अगर मैं खाऊँगा तो वो हमारे पेट में ही जायेगा। लेकिन उसने बाएं वाले को कुछ खाने को नहीं दिया।
अगले दिन चिड़िया फिर से जंगल में खाने की तलाश में उड़ रही थी। तभी बाएं मुँह की नजर एक अदभुत फल पर पड़ी जो बहुत चमकीला था। वह तेजी से उस फल की तरफ लपका। अब जैसे ही वो फल खाने को हुआ तुरंत पास बैठे एक कौए ने चेतावनी दी कि इस फल को मत खाओ ये बहुत जहरीला है।
ये सुनकर दायाँ मुंह भी चौंका और बाएं से प्रार्थना की कि इस फल को मत खाओ ये हमारे लिए बहुत खतरनाक साबित होगा लेकिन बाएं मुंह को तो दाएं से बदला लेना था।
उसने एक ना सुनी और चुपचाप वह फल खाने लगा। कुछ ही देर में चिड़िया का शरीर मृत होकर जमीन पर गिर पड़ा।
दोस्तों कहानी सुनने में तो आनंद आया होगा लेकिन जब मैं आपको इसकी शिक्षा बताऊंगा तो आपकी आँखे फटी रह जाएँगी। आजकल के माहौल में देखा जाता है कि एक ही परिवार के लोग एक दूसरे से ईर्ष्या करते हैं, एक दूसरे से दुश्मनी रखते हैं। लेकिन जब भी वह एक दूसरे को नुकसान पहुँचाने का सोचते हैं या एक दूसरे से बदला लेने का सोचते हैं तो नुकसान पूरे परिवार का ही होता है। इसलिए एक दूसरे से मिल जुल कर रहें क्योंकि अगर परिवार का एक भी सदस्य गलत काम करे तो नुकसान पूरे परिवार का होता है। यही इस कहानी की शिक्षा है।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

डरपोक खरगोश
तुम जानते होगे कि खरगोश बड़े ही डरपोक होते हैं। एक खरगोश को अपनी डरने की आदत बहुत बुरी लगती थी। वह सोचा करता था- ‘हे भगवान, आपने मुझे इतना डरपोक क्यों बनाया।
ज़रा-सी आवाज़ हुई कि मैं डर जाता हूं। कोई प्यार करने के लिए भी हाथ बढ़ाए तो भी मैं डरकर छिप जाता हूं। क्यों हूं मैं इतना डरपोक? आखिर क्यों?’
उसने सोचा कि अ बवह डरेगा नहीं। उसने अपने-आपसे कहा, ‘मैं बहादुर हूं। मैं डरपोक नहीं हूं |’ तभी एक हल्की-सी आवाज़ हुई और खरगोश डरकर भागने लगा। आदत इतनी जल्दी ही न बदलती है।
दौड़ते-दौड़ते वह एक तालाब के किनारे पहुंचा। वहाँ कुछ मेढ़क खेल रहे थे। जैसे ही उन्होंने किसी के आने की आवाज़ सुनी, वे डरकर तुरंत पानी में कूद गए।
खरगोश को तसल्ली हुई। उसने सोचा, ‘चलो कोई तो है जो मुझसे भी डरता है। इसका मतलब यह हुआ कि दुनिया में सब किसी-न-किसी से डरते हैं और जो सबसे ज्यादा ताकतवर है, वह भी ईश्वर से डरता है।
इसलिए अपने से ज्यादा ताकतवर जीव से डरना और सावधान रहना बुरी बात नहीं है।’
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

विजेता मेंढक
बहुत समय पहले की बात है एक सरोवर में बहुत सारे मेंढक रहते थे . सरोवर के बीचों -बीच एक बहुत पुराना धातु का खम्भा भी लगा हुआ था जिसे उस सरोवर को बनवाने वाले राजा ने लगवाया था .
खम्भा काफी ऊँचा था और उसकी सतह भी बिलकुल चिकनी थी . एक दिन मेंढकों के दिमाग में आया कि क्यों ना एक रेस करवाई जाए . रेस में भाग लेने वाली प्रतियोगीयों को खम्भे पर चढ़ना होगा ,और जो सबसे पहले एक ऊपर पहुंच जाएगा वही विजेता माना जाएगा .
रेस का दिन आ पंहुचा , चारो तरफ बहुत भीड़ थी ; आस -पास के इलाकों से भी कई मेंढक इस रेस में हिस्सा लेने पहचे . माहौल में सरगर्मी थी , हर तरफ शोर ही शोर था .
रेस शुरू हुई …
….लेकिन खम्भे को देखकर भीड़ में एकत्र हुए किसी भी मेंढक को ये यकीन नहीं हुआकि कोई भी मेंढक ऊपर तक पहुंच पायेगा …
हर तरफ यही सुनाई देता …
” अरे ये
बहुत कठिन है “
“ वो कभी भी ये रेस पूरी नहीं कर पायंगे “
“ सफलता का तो कोई सवाल ही नहीं , इतने चिकने खम्भे पर चढ़ा ही नहीं जा सकता “
और यही हो भी रहा था , जो भी मेंढक कोशिश करता , वो थोडा ऊपर जाकर नीचे गिर जाता ,
कई मेंढक दो -तीन बार गिरने के बावजूद अपने प्रयास में लगे हुए थे …
पर भीड़ तो अभी भी चिल्लाये जा रही थी ,“ ये नहीं हो सकता , असंभव “, और वो उत्साहित मेंढक भी ये सुन-सुनकर हताश हो गए और अपना प्रयास छोड़ दिया .
लेकिन उन्ही मेंढकों के बीच एक छोटा सा मेंढक था , जो बार -बार गिरने पर भी उसी जोश के साथ ऊपर चढ़ने में लगा हुआ था ….वो लगातार ऊपर की ओर बढ़ता रहा ,और अंततः वह खम्भे के ऊपर पहुच गया और इस रेस का विजेता बना .
उसकी जीत पर सभी को बड़ा आश्चर्य हुआ , सभी मेंढक उसे घेर कर खड़े हो गए और पूछने लगे ,” तुमने ये असंभव काम कैसे कर दिखाया , भला तुम्हे अपना लक्ष्य प्राप्त करने की शक्ति कहाँ से मिली, ज़रा हमें भी तो बताओ कि तुमने ये विजय कैसे प्राप्त की ?”
तभी पीछे से एक आवाज़ आई … “अरे उससे क्या पूछते हो , वो तो बहरा है “
Friends, अक्सर हमारे अन्दर अपना लक्ष्य प्राप्त करने की काबीलियत होती है, पर हम अपने चारों तरफ मौजूद नकारात्मकता की वजह से खुद को कम आंक बैठते हैं और हमने जो बड़े-बड़े सपने देखे होते हैं उन्हें पूरा किये बिना ही अपनी ज़िन्दगी गुजार देते हैं .
आवश्यकता इस बात की है हम हमें कमजोर बनाने वाली हर एक आवाज के प्रति बहरे और ऐसे हर एक दृश्य के प्रति अंधे हो जाएं. और तब हमें सफलता के शिखर पर पहुँचने से कोई नहीं रोक पायेगा.
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

अंधा घोड़ा
शहर के नज़दीक बने एक farm house में दो घोड़े रहते थे. दूर से देखने पर वो दोनों बिलकुल एक जैसे दीखते थे , पर पास जाने पर पता चलता था कि उनमे से एक घोड़ा अँधा है. पर अंधे होने के बावजूद farm के मालिक ने उसे वहां से निकाला नहीं था
बल्कि उसे और भी अधिक सुरक्षा और आराम के साथ रखा था. अगर कोई थोडा और ध्यान देता तो उसे ये भी पता चलता कि मालिक ने दूसरे घोड़े के गले में एक घंटी बाँध रखी थी, जिसकी आवाज़ सुनकर अँधा घोड़ा उसके पास पहुंच जाता और उसके पीछे-पीछे बाड़े में घूमता.
घंटी वाला घोड़ा भी अपने अंधे मित्र की परेशानी समझता, वह बीच-बीच में पीछे मुड़कर देखता और इस बात को सुनिश्चित करता कि कहीं वो रास्ते से भटक ना जाए.
वह ये भी सुनिश्चित करता कि उसका मित्र सुरक्षित; वापस अपने स्थान पर पहुंच जाए, और उसके बाद ही वो अपनी जगह की ओर बढ़ता.
दोस्तों, बाड़े के मालिक की तरह ही भगवान हमें बस इसलिए नहीं छोड़ देते कि हमारे अन्दर कोई दोष या कमियां हैं. वो हमारा ख्याल रखते हैं और हमें जब भी ज़रुरत होती है तो किसी ना किसी को हमारी मदद के लिए भेज देते हैं.
कभी-कभी हम वो अंधे घोड़े होते हैं, जो भगवान द्वारा बांधी गयी घंटी की मदद से अपनी परेशानियों से पार पाते हैं तो कभी हम अपने गले में बंधी घंटी द्वारा दूसरों को रास्ता दिखाने के काम आते हैं.
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

बाज की उड़ान
एक बार की बात है कि एक बाज का अंडा मुर्गी के अण्डों के बीच आ गया. कुछ दिनों बाद उन अण्डों में से चूजे निकले, बाज का बच्चा भी उनमे से एक था.वो उन्ही के बीच बड़ा होने लगा. वो वही करता जो बाकी चूजे करते, मिटटी में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्हीकी तरह चूं-धूं करता.
बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोडा सा ही ऊपर उड़ पाता , और पंख फड़-फडाते हुए नीचे आ जाता . फिर एक दिन उसने एक बाज को खुले आकाश में उड़ते हुए देखा, बाज बड़े शान से बेधड़क उड़ रहा था. तब उसने बाकी चूजों से पूछा, कि
“इतनी उचाई पर उड़ने वाला वो शानदार पक्षी कौन है?”
तब चूजों ने कहा-” अरे वो बाज है, पक्षियों का राजा, वो बहुत ही ताकतवर और विशाल है , लेकिन तुम उसकी तरह नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम तो एक चूजे हो!”
बाज के बच्चे ने इसे सच मान लिया और कभी वैसा बनने की कोशिश नहीं की. वो ज़िन्दगी भर चूजों की तरह रहा, और एक दिन बिना अपनी असली ताकत पहचाने ही मर गया.
दोस्तों, हममें से बहुत से लोग उस बाज की तरह ही अपना असली potential जाने बिना एक second-class ज़िन्दगी जीते रहते हैं, हमारे आस-पास की mediocrity हमें भी mediocre बना देती है.हम में ये भूल जाते हैं
कि हम आपार संभावनाओं से पूर्ण एक प्राणी हैं. हमारे लिए इस जग में कुछ भी असंभव नहीं है,पर फिर भी बस एक औसत जीवन जी के हम इतने बड़े मौके को गँवा देते हैं.
आप चूजों की तरह मत बनिए , अपने आप पर ,अपनी काबिलियत पर भरोसा कीजिए. आप चाहे जहाँ हों, जिस परिवेश में हों, अपनी क्षमताओं को पहचानिए और आकाश की ऊँचाइयों पर उड़ कर दिखाइए क्योंकि यही आपकी वास्तविकता है.
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

बाड़े की कील
बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक लड़का रहता था. वह बहुत ही गुस्सैल था, छोटी-छोटी बात पर अपना आप खो बैठता और लोगों को भला-बुरा कह देता.
उसकी इस आदत से परेशान होकर एक दिन उसके पिता ने उसे कीलों से भरा हुआ एक थैला दिया और कहा कि ,” अब जब भी तुम्हे गुस्सा आये तो तुम इस थैले में से एक कील निकालना और बाड़े में ठोक देना.”
पहले दिन उस लड़के को चालीस बार गुस्सा किया और इतनी ही कीलें बाड़े में ठोंक दी.पर धीरे-धीरे कीलों की संख्या घटने लगी,उसे लगने लगा की कीलें ठोंकने में इतनी मेहनत करने से अच्छा है कि अपने क्रोध पर काबू किया जाए और अगले कुछ हफ्तों में उसने अपने गुस्से पर बहुत हद्द तक काबू करना सीख लिया. और फिर एक दिन ऐसा आया कि उस लड़के ने पूरे दिन में एक बार भी अपना temper नहीं loose किया.
जब उसने अपने पिता को ये बात बताई तो उन्होंने ने फिर उसे एक काम दे दिया, उन्होंने कहा कि ,” अब हर उस दिन जिस दिन तुम एक बार भी गुस्सा ना करो इस बाड़े से एक कील निकाल निकाल देना.”
लड़के ने ऐसा ही किया, और बहुत समय बाद वो दिन भी आ गया जब लड़के ने बाड़े में लगी आखिरी कील भी निकाल दी, और अपने पिता को ख़ुशी से ये बात बतायी.
तब पिताजी उसका हाथ पकड़कर उस बाड़े के पास ले गए, और बोले,” बेटे तुमने बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन क्या तुम बाड़े में हुए छेदों को देख पा रहे हो.
अब वो बाड़ा कभी भी वैसा नहीं बन सकता जैसा वो पहले था.जब तुम क्रोध में कुछ कहते हो तो वो शब्द भी इसी तरह सामने वाले व्यक्ति पर गहरे घाव छोड़ जाते हैं.”
इसलिए अगली बार अपना temper loose करने से पहले सोचिये कि क्या आप भी उस बाड़े में और कीलें ठोकना चाहते हैं !!!
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

तितली का संघर्ष
एक बार एक आदमी को अपने garden में टहलते हुए किसी टहनी से लटकता हुआ एक तितली का कोकून दिखाई पड़ा. अब हर रोज़ वो आदमी उसे देखने लगा , और एक दिन उसने notice किया कि उस कोकून में एक छोटा सा छेद बन गया है. उस दिन वो वहीं बैठ गया और घंटो उसे देखता रहा. उसने देखा की तितली उस खोल से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रही है
तक प्रयास करने के बाद भी वो उस छेद से नहीं निकल पायी, और फिर वो बिलकुल शांत हो गयी मानो उसने हार मान ली हो.
इसलिए उस आदमी ने निश्चय किया कि वो उस तितली की मदद करेगा. उसने एक कैंची उठायी और कोकून की opening को इतना बड़ा कर दिया की वो तितली आसानी से बाहर निकल सके.
और यही हुआ, तितली बिना किसी और संघर्ष के आसानी से बाहर निकल आई, पर उसका शरीर सूजा हुआ था,और पंख सूखे हुए थे.
वो आदमी तितली को ये सोच कर देखता रहा कि वो किसी भी वक़्त अपने पंख फैला कर उड़ने लगेगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. इसके उलट बेचारी तितली कभी उड़ ही नहीं पाई और उसे अपनी बाकी की ज़िन्दगी इधर-उधर घिसटते हुए बीतानी पड़ी.
वो आदमी अपनी दया और जल्दबाजी में ये नहीं समझ पाया की दरअसल कोकून से निकलने की प्रक्रिया को प्रकृति ने इतना कठिन इसलिए बनाया है ताकि ऐसा करने से तितली के शरीर में मौजूद तरल उसके पंखों में पहुंच सके और वो छेद से बाहर निकलते ही उड़ सके.
वास्तव में कभी-कभी हमारे जीवन में संघर्ष ही वो चीज होती जिसकी हमें सचमुच आवश्यकता होती है. यदि हम बिना किसी struggle के सब कुछ पाने लगे तो हम भी एक अपंग के सामान हो जायेंगे.
बिना परिश्रम और संघर्ष के हम कभी उतने मजबूत नहीं बन सकते जितना हमारी क्षमता है. इसलिए जीवन में आने वाले कठिन पलों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखिये वो आपको कुछ ऐसा सीखा जायंगे जो आपकी ज़िन्दगी की उड़ान को possible बना पायेंगे.
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

आप हाथी नहीं इंसान हैं!
हाथी  हमें जिंदादिल बनाए रखता है
उसने पास खड़े महावत से पूछा कि भला ये हाथी किस प्रकार इतनी शांति से खड़े हैं और भागने का प्रयास नही कर रहे हैं ?
तब महावत ने कहा, ” इन हाथियों को छोटे पर से ही इन रस्सियों से बाँधा जाता है, उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती की इस बंधन को तोड़ सकें. बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी ना तोड़ पाने के कारण उन्हें धीरे-धीरे यकीन होता जाता है कि वो इन रस्सियों को नहीं तोड़ सकते,और बड़े होने पर भी उनका ये यकीन बना रहता है, इसलिए वो कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते.”
आदमी आश्चर्य में पड़ गया कि ये ताकतवर जानवर सिर्फ इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकि वो इस बात में यकीन करते हैं!!
इन हाथियों की तरह ही हममें से कितने लोग सिर्फ पहले मिली असफलता के कारण ये मान बैठते हैं कि अब हमसे ये काम हो ही नहीं सकता और अपनी ही बनायीं हुई मानसिक जंजीरों में जकड़े-जकड़े पूरा जीवन गुजार देते हैं.
याद रखिये असफलता जीवन का एक हिस्सा है ,और निरंतर प्रयास करने से ही सफलता मिलती है. यदि आप भी ऐसे किसी बंधन में बंधे हैं जो आपको अपने सपने सच करने से रोक रहा है तो उसे तोड़ डालिए….. आप हाथी नहीं इंसान हैं|
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

भूल गए शैतानी
एक शहर की एक छोटी-सी गली के आखिर में एक घर था। उसमें रहते थे शैतानराम । अपने नाम की तरह ही उनके काम भी थे। हर समय सबको सताने में उन्हें बड़ा मजा आता था।
उनके घर के लोग उन्हें समझाते थे। लेकिन आदत से मजबूर शैतानराम समझते ही नहीं थे। वैसे उनका असली नाम तो ‘सुंदर’ था। लेकिन अपनी आदतों के कारण उनका नाम शैमानराम ही पड़ गया था।
एक बार की बात है, उनके घर के सब लोग कहीं बाहर गए हुए थे। शैतानराम घर में अकेले थे।
गली के एक घर में एक मुर्गी और उनके कुछ दोस्त रहते थे। शैतानराम उन्हें अक्सर परेशान किया करते थे। कभी मुर्गी को उठकार कमरे में बंद कर देते थे तो कभी मुर्गे की गर्दन में रस्सी बाँधकर उसे घुमाते थे।
मुर्गा-मुर्गी ने सोचा कि शैतानराम को सबक सिखाया जाए। उन्होंने अपने कुछ साथियों से बात की। सब उनकी मदद करने को तैयार हो गए।
तो मुर्गा-मुर्गी ने अपने कुछ दोस्तों को साथ लिया- वे बिल्ली, चूहा, अंडा, कैंची, सुई और गुलदस्ता को लेकर शैतानराम के घर पहुंचे।
वे सब धीरे-से घर के अंदर चले गए। घर में काई भी नहीं था। शायद शैतानराम कहीं गए हुए थे।
‘हम लोग शैतानराम का इंतज़ार करेंगे। सब एक साथ बोले। बिल्ली उनकी रसोई में जाकर छिप गई। चूहा हाथ-मुंह धोनेवाले नल के ऊपर बैठ गया। अंडा उनकी तौलिया में लेट गया।
कैंची सोफे के ऊपर आराम करने लगी। सुई ने उनके तकिए में अपने लिए जगह बना ली। गुलदस्ता दरवाज़े के ऊपर जाकर बैठ गया। मुर्गा और मुर्गी दरवाजे के ठीक बाहर खड़े हो गए।
जैसे ही शैतानराम दूर से आते हुए दिखाई दिए, मुर्गा कुक-1 करता हुआ घर के अंदर की तरफ भागा। उसकी आवाज़ सुनकर उसके सभी साथी सावधान हो गए।
मुर्गी भागी मुर्गे के पीछे और उनके पीछे भागे शैतानराम। मुर्गा दौड़कर रसोई की ओर गया। शैतानराम उसके पीछे-पीछे जैसे ही रसोई में पहुँचे अँधेरे में बिल्ली उनके ऊपर कूदी। वे घबराकर आटे के डिब्बे में गिर पड़े।
मुंह धोने के लिए वे नल की ओर भागे। आँखों में आटा चला गया था, उनको ठीक से दिखाई भी नहीं दे रहा था। जैसे ही नल खोलने के लिए उन्होंने हाथ बढ़ाया, चूहे ने जोर से उनकी उँगली में काट लिया। दर्द से चीखते हुए और अपनी आँखें साफ करते हुए वे तौलिया ढूँढने लगे।
और जैसे ही उन्होंने तौलिए से मुंह पोंछा, अंडा उनके पूरे मुंह पर घूम गया। वे थककर सोफे पर जाकर बैठ गए। पर यह क्या, वहाँ तो कैंची पहले से ही उनका इंतज़ार कर रही थी। ज़ोर से चुभी तो शैतानराम उछल गए और सीधे बिस्तर पर गिरे। उनके तकिए में लगी हुई सुई उनके गाल में चुभी।
शैतानराम की हालत खराब थी। वे घबराकर दरवाज़े की ओर भागे। जैसे ही उन्होंने दरवाज़ा खोला, पीतल का गुलदस्ता टक से उनके सिर पर गिरा। शैतानराम बेहोश होकर वहीं गिर पड़े।
जब उन्हें होश आया तो उनका पूरा घर बिखरा हुआ पड़ा था। आज उन्हें समझ में आया था कि किसी को परेशान करने पर उसे कैसा लगता होगा।
उस दिन के बाद शैतानराम ने किसी को कभी परेशान नहीं किया। धीरे-धीरे सब उनकी शैतानियाँ भूलने लगे।
आज भी वे उसी शहर की उसी गली में रहते हैं। लेकिन अब उन्हें सब ‘सुंदर’ कहकर ही पुकारते हैं, शैतानराम नहीं।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

खूबियाँ हैं हम सबमें
जंगल का राजा शेर युद्ध की तैयारी कर रहा था। उसने जंगल के सभी जानवरों की एक सभा बुलाई। हाथी, हिरन, खरगोश, घोड़ा, गधा, भालू, बंदर सभी आए।
राजा शेर ने सबको उनके काम सौंप दिए। केवल ख़रगोश और गधे को काम देना बाकी था। शेष जानवर बोले, ‘महाराज, आप अपनी सेना में गधा और खरगोश को शामिल मत कीजिए।
‘लेकिन क्यों?’ शेर ने पूछा।
तब सभी जानवरों की ओर से हाथी खड़ा हुआ और बोला, ‘महाराज, गधा इतना मूर्ख है कि वह हमारे किसी काम का नहीं है, युद्ध के समय बुद्धीमान व्यक्ति की ज़रूरत होती है।
फिर भालू बोला, ‘और महाराज, ये खरगोश तो इतना डरपोक है कि मेरी परछाई से ही डरकर भाग जाता है। ऐसे डरपोक व्यक्ति का युद्ध में क्या काम?’
अब शेर बोला, ‘भाइयो, आपने गधे और खरगोश की कमजोरिया तो देख लीं, लेकिन क्या आपने उनकी खूबियों पर ध्यान दिया?’
‘हाँ खूबियाँ, देखिए गधा इतनी तेज़ आवाज में चिल्ला सकता है कि मेरी दहाड़ भी उसके सामने हल्की लगेगी और खरगोश के जितना फुर्तीला क्या कोई और है?
इसलिए मैं गधे को उद्घोषित बनाता हूं और खरगोश को ‘संदेशवाहक’ | हर किसी के अंदर कोई-न-कोई खूबी ज़रूर होती है। बस जरूरत होती है तो उसे ढूंढ़ने की।’ बोलो – ‘हाँ’ कि ‘ना’ । कमेंट करके जरूर बताये
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

दर्जी की सीख
एक दिन स्कूल में छुट्टी की घोषणा होने के कारण, एक दर्जी का बेटा, अपने पापा की दुकान पर चला गया। वहां जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा।
उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास टांग से दबा कर रख देते हैं। फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सुई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं।
जब उसने इसी क्रिया को चार-पांच बार देखा तो उससे रहा नहीं गया, तो उसने अपने पापा से कहा कि वह एक बात उनसे पूछना चाहता है? पापा ने कहा- बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो?
बेटा बोला – पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं, आप जब भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं, और सुई से कपड़ा सीने के बाद, उसे टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों? इसका जो उत्तर पापा ने दिया – उन दो पंक्तियों में मानों उसने जिन्दगी का सार समझा दिया।
उत्तर था –
‘बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और सुई जोड़ने का काम करती है, और काटने वाले की जगह हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने वाले की जगह हमेशा उपर होती है। यही कारण है कि मैं सुई को टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे रखता हूं।’
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

नन्हीं चिड़िया
बहुत समय पुरानी बात है, एक बहुत घना जंगल हुआ करता था। एक बार किन्हीं कारणों से पुरे जंगल में भीषण आग लग गयी। सभी जानवर देख के डर रहे थे की अब क्या होगा?
थोड़ी ही देर में जंगल में भगदड़ मच गयी सभी जानवर इधर से उधर भाग रहे थे पूरा जंगल अपनी-अपनी जान बचाने में लगा हुआ था।
उस जंगल में एक नन्हीं चिड़िया रहा करती थी। उसने देखा कि सभी लोग भयभीत हैं। जंगल में आग लगी है, मुझे लोगों की मदद करनी चाहिए।
यही सोचकर वह जल्दी ही पास की नदी में गयी और चोच में पानी भरकर लाई और आग में डालने लगी। वह बार-बार नदी में जाती और चोच में पानी डालती।
पास से ही एक उल्लू गुजर रहा था उसने चिड़िया की इस हरकत को देखा और म नही मन सोचने लगा बोला कि ये चिड़िया कितनी मूर्ख है इतनी भीषण आग को ये चोंच में पानी भरकर कैसे बुझा सकती है।
यही सोचकर वह चिड़िया के पास गया और बोला कि तुम मूर्ख हो इस तरह से आग नहीं बुझाई जा सकती है।
चिड़िया ने बहुत विनम्रता के साथ उत्तर दिया – ‘मुझे पता है कि मेरे प्रयास से कुछ नहीं होगा लेकिन मुझे अपनी तरफ से अच्छा करना है, आग कितनी भी भयंकर हो लेकिन मैं अपना प्रयास नहीं छोडूंगी।’
उल्लू यह सुनकर बहुत प्रभावित हुआ।
सीख ( Moral ) :-
” परेशानी आने पर डरे नहीं, बिना घबराये प्रयास करते रहे। “
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

लल्लू को मिला सबक
वर्षों पहले अनुपुर में धनीराम नाम का एक व्यापारी रहा करता था। उसके पास एक गधा था। वह उसे लल्लू के नाम से पुकारा करता था। धनीराम नमक की बोरी गधे पर लादकर शहर को ले जाया करता था।
शहर जाने के लिए उसे नदी पार करनी होती थी। लम्बे समय से एक ही रास्ते से रोज आने जाने के कारण लल्लू रास्ता अच्छी तरह से पहचान गया था।
धनीराम को जब विश्वास हो गया तो वो गधे पर बोरी लाद देता और उसे शहर के एक दुकानदार के पास अकेले ही भेज दिया करता था। शहर में एक व्यापारी उसकी बारी उतार लेता तो लल्लू उसी रास्ते वापिस लौट आया करता था।
एक दिन जब लल्लू पानी में उतर रहा था तो नमक की बोरी थोड़ी पानी में भग गयी जिसके कारण थोड़ा नमक पानी में घुल गया जिस से बोरी का वनज कम हो गया और लल्लू को बहुत आराम मिला।
इस तरह उसे पता चल गया कि बोरी के पानी में भीग जाने के कारण बोझ कम हो जाता है तो लल्लू हर रोज यही करने लगा।
एक दिन शहर के व्यापारी को पानी से भीगी बोरी को देखकर थोड़ा शक हुआ तो उसने उसे तौल कर देखा तो नमक कम निकला इस पर उसने एक कागज पर सारी बात लिखकर बोरी में रख दिया।
यह सुनकर धनीराम चौक गया और उस दिन उसने गधे की पीठ पर बोरी लादकर उसका पीछा किया तो जब उसने गधे को पानी में डुबकी लगाते हुए देखा तो वो भी उसकी सारी चालाकी समझ गया और इस पर उसने अगले दिन गधे की पीठ पर नमक की जगह कपास रखी और उसे रवाना कर दिया।
गधे ने इस बार पहले की तरह, जैसे ही पानी में डुबकी लगायी तो वनज कम होने की जगह और बढ़ गया। अब तो गधे से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था। जैसे-तैसे वो पानी में से निकला और पहुंचा।
फिर उसने आगे से कभी ऐसा नहीं किया और धनीराम ने इस तरह आलसी गधे को अच्छा सबक सिखा दिया।
सीख ( Moral ) :-
” आलस कभी न करें। “
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

लालची कौआ
कंचनपुर के धनी व्यापारी के रसोईघर में एक कबूतर ने घोंसला बनाया हुआ था।
एक दिन एक लालची कौवा उधर आ निकला। वहां मछली को देखकर उसके मुंह में पानी आ गया। मुझे इस रसोईघर में घुसना तो चाहिए, पर कैसे?
तभी उसकी निगाह कबूतर पर जा पड़ी। उसने सोचा यदि मैं कबूतर से दोस्ती कर लूं तो शायद बात बन जाए।
कबूतर जब दाना चुगने बाहर निकला तो कौआ उसके साथ लग गया। थोड़ी ही देर बाद कबूतर ने जब पीछे मुड़कर देखा तो अपने पीछे कौवे को पाया। उसने कौवे से पूछा, ‘तुम मेरे पीछे क्यों लगे हो?’
‘तुम मुझे अच्छे लगते हो। इसलिए तुमसे दोस्ती करना चाहता हूं।’ कौवे ने मीठे स्वर में
कहा।
‘बात तो तुम ठीक कह रहे हो, मगर हमारा-तुम्हारा भोजन अलग-अलग है। मैं बीज खाता हूं और तुम कीड़े ।’ कबूतर ने कहा।
‘कोई बात नहीं, हम इकट्ठे रह लेंगे। कौवे ने चापलूसी की।
शाम को दोनों पेट भरकर वापस आए।
व्यापारी ने कबूतर के साथ कौवे को भी देखा तो सोचा कि शायद यह कबूतर का मित्र होगा। उसने दूसरा घोंसला रसोई में कौवे के लिए लगा दिया।
एक दिन व्यापारी ने रसोइए ने कहा, ‘आज कुछ मेहमान आ रहे हैं। उनके लिए स्वादिष्ट मछलियां बनाना।
कौवा यह सब बातें सुन रहा था।
रसोइए ने स्वादिष्ट मछलियां बनाई।
तभी कबूतर कौवे से बोला, ‘चलो हम भोजन करने बाहर चलते हैं।’
मक्कार कौवे ने कहा, ‘आज मेरा पेटदर्द कर रहा है। इसलिए तुम अकेले ही चले जाओ।’ कबूतर भोजन की तलाश में बाहर निकल गया।
उधर कौआ रसोइए के बाहर निकलने का इंतजार कर रहा था। जैसे ही रसोइया बाहर निकला, कौआ तुरंत रसोई की ओर झपटा और मछली का टुकड़ा मुंह में भरकर अपने घोंसले में जा बैठा और खाने लगा।
रसोइए को जब रसोई में खटपट की आवाज सुनाई दी तो वह वापस रसोई की ओर लपका। उसने देखा कौआ अपने घोंसले में बैठा मछली का टुकड़ा मजे से खा रहा है। रसोइए को बहुत गुस्सा आया और उसने कौवे की गरदन पकड़कर मरोड़ दी।
शाम को जब कबूतर दाना चुगकर आया तो उसने कौवे का हश्र देखा। जब उसने घोंसले में मछली का अधखाया टुकड़ा देखा तो उसकी समझ में आ गया कि उसने जरूर लालच किया होगा तभी उसकी यह हालत हुई है।
सीख ( Moral ) :-
” लालच के वशीभूत होकर प्राणों को संकट में डालनेवाले से बड़ा मूर्ख और काई नहीं। “
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

सच्ची मित्रता
एक जंगल में झील किनारे कछुआ, कठफोड़वा व हिरण मित्र भाव से रहते थे।
एक दिन एक शिकारी ने उनके पैरों के निशान देखकर उनके रास्तेवाले पेड़ से एक फंदा लटका दिया और अपनी झोंपड़ी में चला गया।
थोड़ी ही देर बाद हिरण मस्ती में झूमता हुआ उधर ने निकला और फंदे में फंस गया।
‘बचाओ।’ वह जोर से चिल्लाया।
उसकी पुकार सुनकर कठफोड़वा के साथ कछुआ आ गया।
कठफोड़वा बोला, “मित्र तुम्हारे दांत मजबूत हैं। तुम इस फंदे को काटो। मैं शिकारी का रास्ता रोकता हूं।
कछुआ फंदा काटने में लग गया। उधर कठफोड़वा शिकारी की झोपड़ी की तरफ उड़ चला और मानस बनाया कि जैसे ही शिकारी झोपड़ी से बाहर निकलेगा, वह उसे चोंच मारकर लहूलुहान कर देगा।
उधर शिकारी ने भी जैसे ही हिरण की चीख सुनी तो उसने समझ लिया कि वह फंदे में फंस चुका है।
वह तुंरत झोंपड़ी से बाहर निकला और पेड़ की ओर लपका।
लेकिन कठफोड़वे ने उसके सिर पर चोंच मारनी शुरू कर दी। शिकारी अपनी जान बचाकर फिर झोंपड़ी में भागा और झोंपड़ी के पिछवाड़े से निकलकर पेड़ की ओर बढ़ा।
कठफोड़वा उससे पहले ही पेड़ के पास पहुंच गया। उसने देखा कि कछुआ अपना काम कर चुका था। उसने हिरण और कछुए से कहा, “मित्रो, जल्दी से भागो। शिकारी आने ही वाला होगा।’
यह सुनकर हिरण वहां से भाग निकला। लेकिन कछुआ शिकारी के हाथ लग गया। शिकारी ने कछुए को थैले में डाल लिया, और बोला ‘इसकी वजह से हिरण मेरे हाथ से निकल गया। आज इसको ही मारकर खाऊंगा।’
उधर हिरण ने सोचा उसका मित्र पकड़ा गया है। उसने मेरी जान बचाई थी, अब मेरा भी फर्ज बनता है कि मैं उसकी मदद करूं। यह सोचकर वह शिकारी के रास्ते में आ गया।
शिकारी ने हिरण को देखा तो थैले को वहीं फेंककर वह हिरण के पीछे भागा। हिरण अपनी पुरानी खोह की ओर भाग छूटा। शिकारी उसके पीछे-पीछे था।
भागते-भागते हिरण अपनी खोह में घुस गया। उसने सोचा एक बार शिकारी इस खोह में घुस गया तो उसका बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा। थोड़ी ही देर में शिकारी खोह के पास पहुंचा। उसने सोचा अब हिरण भागकर कहां जाएगा। अब तो वह फंस ही गया है और वह भी खोह के अंदर घुस गया। खोह के अंदर भुल-भुलैयावाला रास्ता था। शिकारी उन रास्तों में फंस गया।
हिरण दूसरे रास्ते से निकलकर थैले के पास जा पहुंचा और कछुए को आजाद कर दिया। उसके बाद वे तीनों मित्र वहां से सही-सलामत निकल गए।
सीख ( Moral ) :-
” सच्चा मित्र वही जो मुसीबत में काम आए। “
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

श्रृगाल-और-ऊदबिलाव
श्रृगाल की पत्नी को एक बार ताजा मछली खाने की इच्छा हुई। उससे मछली लाने का वादा करके श्रृगाल नदी की ओर चला।
रास्तेभर वह सोचता रहा, ‘मैं अपना वायदा कैसे पूरा करूं?’
तभी उसे दो ऊदबिलाव एक बड़ी मछली घसीटते हुए नजर आए। वह उनके पास गया।
इधर दोनों ऊदबिलाव इस दुविधा में थे कि इतनी बड़ी मछली को वह कैसे बांटें? काफी देर तक दोनों में बहस होती रही।
उधर श्रृगाल उनके और करीब आया और पूछा, ‘क्या बात है दोस्तों?’
‘मित्र, हमने मिलकर यह मछली पकड़ी है। अब दुविधा यह है कि इसका बंटवारा कैसे करें? क्या तुम हमारी मदद कर सकते हो?’
‘क्यों नहीं। बंटवारा करना तो मेरे बाएं हाथ का खेल है।’
तब श्रृंगाल ने मछली का सिर और पूंछ काट डाली, ‘सिर तुम लो और पूंछ तुम लो।’
दोनों ऊदबिलाव सोचने लगे कि कितना निष्पक्ष है यह। अब देखते हैं कि शेष हिस्से का बंटवारा कैसे करता है?
‘और यह शेष भाग मेरा मेहनताना है। उनके देखते-ही-देखते वह मछली का बड़ा हिस्सा लेकर वहां से चंपत हो गया।
छोनों ऊदबिलाव सिर पर हाथ रखकर बैठ गए।
‘हमारी स्वादिष्ट मछली हाथ ने निकल गई। पहला ऊदबिलाव बोला।
‘काश! हम झगड़ते नही तो मछली का एक बड़ा हिस्सा न गंवाना पड़ता।’
सीख ( Moral ) :-
” आपसी फूट से अपनी ही हानि होती है। “
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

पौष्टिक भोजन
एक गधे को अपनी आवाज़ बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती थी। वह हमेशा सोचा करता था
‘काश मैं भी मीठी बोली में बोल सकता। काश मैं भी गाना गा सकता।’
एक दिन वह घास के एक मैदान में घास चर रहा था। तभी उसने एक सुरीली आवाज़ सुनी। उसने देखा कि घास के एक तिनके पर हरे रंग का एक टिड्डा बैठा हुआ था।
यह आवाज़ उसी की थी। गधे को उसका रंग बहुत अच्छा लगा। वह टिड्डे के पास आकर बोला, ‘तुम्हारी आवाज़ बहुत मीठी है। तुम ऐसी क्या चीज खाते हो, जिससे ऐसा सुराला संगीत निकाल पाते हो?’
टिड्डे ने कहा, ‘मैं ओस की बूंदें पीती हूं और हरी-हरी घास खाता हूं।’
गधे ने सोचा कि जरूर सुबह ओस की बूंदें पीने से ही आवाज़ मीठी होती है। और हो सकता है कि घास खाने से मेरा रंग भी सुंदर हरा हो जाए।
इसीलिए अगले दिन सुबह-सुबह वह घास के मैदान में पहुंच गया, घास खाने के लिए। ओस की बूंदों से भीगी हुई घास बड़ी ही स्वादिष्ट थी। वह कई दिनों तक केवल घास खाता रहा। लेकिन न तो उसकी आवाज़ बदली, न ही रंग।
फायदा बस यह हुआ कि गधे ने एक पौष्टिक भोजन खाना शुरू कर दिया, जो उसके लिए और उसकी सेहत के लिए अच्छा था। हरी सब्ज़ियाँ और हरी पत्तियाँ तो हम सभी के लिए फायदेमंद होती हैं ना!
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

पक्के दोस्त
एक शेर और एक चूहा दोस्त थे। दोनों के घर पास-पास थे। एक दिन शेर को एक शिकार मिला। उसने चूहे को आवाज लगाई, ‘आओ दोस्त, मेरे साथ खाना खा लो।’
‘तुम्हें जो खाना है खाओ, मुझे इससे ज्यादा जरूरी काम करने हैं।’ बाहर से आवाज आई।
शेर को बड़ा बुरा लगा।
अगले ही दिन चूहे को शहद का एक डिब्बा मिला। वह खाने के लिए बैठा तो उसने शेर को आवाज़ लगाई, ‘दोस्त, आओ मेरे साथ खाना खा लो।’
बाहर से उत्तर आया, ‘मुझे नहीं खाना है, तुम्हीं खाओ अपना खाना।’
चूहे को भी बड़ा बुरा लगा। लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। दो दिन के बाद दोनों जंगल में मिले। दोनों की दोस्ती इतनी पक्की थी कि खाने वाली बात को भुलाकर वे फिर से एक साथ खेलने लगे।
बातों-बातों में दोनों को पता चला कि शेर ने जब चूहे को आवाज लगाई थी तो उसने सुना ही नहीं था। न ही चूहे ने कोई रूखा जवाब दिया था।
शेर ने भी यही बात चूहे को बताई। चूहे की आवाज न तो उसने सुनी थी, न ही कोई खराब-सा जवाब दिया था।
‘जरूर कुछ गड़बड़ है। दोनों एक साथ बोले ।
हमको पता लगाना होगा कि कौन दोनों की दोस्ती तोड़ने की कोशिश कर रहा है।’ शेर गुस्से से दहाड़कर बोला।
‘ठीक कहा, कोई तो है, जो हम दोनों को परेशान करना चाहता है।’ चूहे ने कहा।
उनकी बातें छिपकर कोई सुन रहा था। तभी किसी के चुपके से भागने की आवज़ आई। दोनों ने देखा कि यह तो लोमड़ी थी, जो भाग रही थी। शेर ने दहाड़कर कहा, “रूक जा, नही तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
ऐसा कहकर शेर ने लपकर लोमड़ी को पकड़ लिया। शेर ने चूहे से कहा, ‘दोस्त, आज रात के खाने में, मैं एक लोमड़ी पकाने वाला हूं। रात का खाना तुम मेरे साथ खाना।’
चूहा बोला, ‘जरूर आऊँगा मैं । ऐसा भोजन तो मैं छोड़ ही नहीं सकता!’
लोमड़ी घबरा गई। बेचारी माफी माँगने लगी।
शेर ने हा, ‘सौ उठक-बैठक करो और एक हज़ार बार बोलो- मैं अब किसी को तंग नहीं करूंगी।’
लोमड़ी बेचारी क्या करती। अपनी गलती की सज़ा तो उसको मिलनी ही थी न । दो। घंटे तक वह यही वाक्य दोहराती रही- ‘अब मैं किसी को तंग नहीं करूँगी।’
शेर और चूहे की दोस्ती और पक्की हो गई। अच्छे दोस्त किसी तीसरे के कहने से अपनी दोस्ती को ख़त्म नहीं होने देते।
Moral of Short Stories In Hindi शिक्षा :

आदत से मजबूर
एक घोड़ा घास चर रहा था। तभी उसने देखा कि एक लोमड़ी उसकी ओर आ रही थी। वह लोमड़ी का स्वभाव जानता था। वह जानता था कि लोमड़ी बहुत चालाक है।
इधर लोमड़ी भी यह जानती थी कि घोड़े बहुत ताकतवर होते हैं। इसलिए वह भी घोड़े को बातों में उलझाने का तरीका सोच रही थी।
घोड़ा लोमड़ी को देखकर लँगड़ा-लँगड़ाकर चलने लगा। लोमड़ी ने पूछा कि उसे क्या हुआ है? तब घोड़े ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि मेरे पैर में काँटा चुभ गया है। इसीलिए बहुत दर्द हो रहा है और चलने में मुश्किल भी हो रही है।’
लोमड़ी ने कहा, ‘मैंने एक डॉक्टर से इलाज करना सीखा है। तुम्हें काफी तकलीफ हो। रही होगी। लालो मुझे दिखाओं अपना पैर ।’
ऐसा कहकर लोमड़ी चालाकी से घोड़े को पैर से पकड़ने के लिए झुकी। उसने सोचा कि अगर उसने घोड़े को एक बार गिरा दिया तो फिर उस पर काबू पाना आसान हो जाएगा।
लेकिन घोड़ा उससे ज्यादा समझदार था। जैसे ही लोमड़ी ने उसका पैर पकड़ना चाहा, घोड़े ने उसे एक जोरदार लात मारी। लोमड़ी हवा में उड़कर दूर जा गिरी।
अब घोड़े की जगह बेचारी लोमड़ी लँगड़ा रही थी और सोच रही थी- मेरी आदत है चालाकी करना और घोड़े की आदत है लात मारना। दोनों अपनी-अपनी आदत से मजबूर हैं।
ऐसी आदतें जो कठिन समय में काम आ जाएँ क्या बुरी हैं? क्यों भाई मानते हो या नहीं? लेकिन ऐसी आदतें तो दूसरों को तकलीफ पहुँचाएँ …. कभी मत सीखना!
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नई बकरियाँ
एक गड़रिये केपास बहुत सारी भेड़ें थीं। वह रोज भेड़ों को चराने के लिए घास के मैदान में ले जाता था। एक दिन शाम को जब वह वापिस लौट रहा था, तब कुछ जंगली बकरियाँ भेड़ों के साथ मिल गईं।
गड़रिये ने खुश होकर सोचा कि उसकी भेड़ों का झुंड अपने-आप बड़ा हो गया है, इसीलिए उसने बकरियों को भी साथ ले लिया और वापिस आ गया।
उसने भेड़ों और बकरियों को एक साथ बाड़े में बंद कर दिया।
अगले दिन वह सुबह उठा तो बाहर बारिश हो रही थी। उसने तय किया कि वह भेड़ों और बकरियों को घर पर ही चारा दे देगा। उसके पास घास कम थी।
उसने अपनी भेड़ों को थोड़-सी घास खाने की दी और बकरियों को ज्यादा। उसने सोचा कि बकरियाँ खुश होकर वहीं रूक जाएँगी।
जब बारिश रूकी तो उसने बाड़ा खोला। जैसे ही बाड़े का दरवाजा खुला, सारी बकरियाँ निकलकर भागने लगीं।
‘कैसी दुष्ट बकरियाँ हैं।’ गड़रिये ने सोचा, ‘मैंने इन्हें अपनी भेड़ों से ज्यादा खाने को दिया फिर भी ये जा रही हैं।’
तब बकरियों में से एक पलटकर रूकी और बोली, ‘तुमने हमारे लिए अपनी पुरानी भेड़ों को कम खाने को दिया। कल को यदि कुछ और नई भेड़-बकरियाँ तुम्हारे पास आ गई तो तुम हमारा भी ध्यान नहीं रखोगे ।’
यह कहकर बकरी चली गई। गड़रिए ने सोचा कि बकरी ने ठीक ही कहा था। उस दिन के बाद उसने किसी नए जानवर के लिए अपनी भेड़ों को अनदेखा नहीं किया।
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