बड़े ही अजीब हैं ये जिन्दगी के रास्ते,
अनजाने मोड़ पर कुछ लोग अपने बन जाते हैं,
मिलने की खुशी दें या न दें,
मगर बिछड़ने का गम जरूर दे जाते हैं।
हर पल नया साज है जिंदगी
एक नई आवाज है जिंदगी
कितना हंसे, कितना रोए
इसका हिसाब है जिंदगी
वो लोग कभी किसी के नहीं होते जो दोस्त
और रिश्तों को कपड़ों की तरह बदलते हैं।
मुझे किसी बेहतर ” Partner” की तलाश नही है,
बस कोई ऐसा हो, जो मेरी “खामोशियो” को समझ सके”
बहुत थक गया हूँ लाइफ में परवाह करते करते
जब से लापरवाह हुआ हूँ आराम से हूँ
सिंगल लोगो के पास कुछ हो ना हो,
सुकून भरी नीद जरुर होती है ।।
जीवन हमें हमेशा दूसरा
मौका जरूर देता है.
जिसे कल कहते हैं।
छोटी सी ज़िन्दगी है
हंस कर जियो क्योंकि
लौट कर यादें आती है वक़्त नहीं।
जो खुद खुश रहते है,
उनसे दुनिया खुश रहती है.
ज़िन्दगी आपको वो नहीं देगी जो तुम्हे चाहिए,
ज़िंदगी आपको वो देगी जिसके तुम काबिल हो।
देर लगेगी मगर सही होगा,
हमे जो चाहिए वही होगा।
दिन बुरे हैं ज़िन्दगी नहं।
अकेले रह लीजिये लेकिन उनके साथ मत
रहिये, जो आपको महत्व नहीं देते है..
उड़ा भी दो सारी रंजिशें इन हवाओं में यारों।
छोटी सी जिंदगी है नफरत कबतक करोगे।
घमंड न करना जिंदगी में तक़दीर बदलती रहती है।
शीशा वही रहता है बस तस्वीर बदलती रहती है।
आराम से जिंदगी जीना चाहते हो तो
अपने दिल से लालच निकल दो.
शेरो शायरी कोई खेल नहीं जनाब
जल जाती है जवनियाँ लफ्जो की आग में
हिज्र की पहली फजर का हाल मत पूछिए साहब
मैं खुदा के सामने और दिल मेरे सामने रोता है
छोड़ कर हाथ नरमी ये कहती है सब के सामने
अभिक तक गैर मरहूम तुम्हारी कुछ नहीं लगती
जी रहे हैं लोग जिन्दगी लेकिन
कोई जिंदा नजर नहीं आता
ख़त्म करो मायुशि और सब नफरतें
दिल रब का घर कोई असतं या कोई इब्लीस नहीं
वो कहती है करो वडा मेरी आँखों में रेहना का
मैं कहता हूँ मुझे समुन्दर से यूँ ही मुहब्बत है
तु कितनी भी खुबसुरत क्यूँ ना हो ऐ जिंदगी
खुशमिजाज दोस्तों के बगैर अच्छी नहीं लगती.
उदास मत रहा करो हमसे बर्दास्त नहीं होता
हम अपने गम भूल जाते है तुहे खुश देख कर
जान रोह में उतर जाता है बे-पनाह इइश्क
लोग जिन्दा तो रहते है पर किसी और के नदर
कैसे कह दूँ कि अब थक गया हूँ मैं
न जाने घर में कितनों का हौसला हूँ मैं
बेहतर यही था के मर जाते या मार देते
तुम ने बिछड कर किस इनायात में डाल दिया है मुझे
सिर्फ वक़्त गुजरना हो तू किसी और को अपनाना
हम प्यार और दोस्ती इबादत की तरह करते है
प्यार तब तक रहता है जब तक की वजूद और मौजूद की बात हो
नहीं तो जरुरी और मज़बूरी रस्ते ही बदल देते है
कभी मिलने और मिलाने का तेवर तो आये
मुझे बस अब ये जुदाई बर्दास्त नहीं होती
फिर किसी पर नहीं उठी वो आँखें
जिन की आन्ह्को मैं फना होती है मुहब्बत
समंदर बड़ा होकर भी अपनी हदों में रहता है
इन्सान छोटा होकर भी औकात भूल जाता है
वो जो कहता था तारे तोड़ कर लाऊंगा
यकीन मानो उसने मुझे पर आसमान गिरा दिया
इससे कहना मुझे इस के बिना नहीं रहना
बहुत दिल में आता है मगर कुछ नहीं कहता
अफसोस तो है तेरे बदल जाने का मगर
तेरे कुछ बातो ने मुझे जीना सिखा दिया
काबर के सन्नाटे में 1 आवाज़ आयी
किसने फूल रख कर असून की 2 बून्द बहाई
जब तक ज़िन्दा तब तक याद नहीं आयी
अब सो रहा हूँ तो किस को मेरी याद आई
रहा न दिल मैं बे-दर्द और दर्द रहा
मुकीम को हुवा है मुक़ाम किस का है
एक शाम मोहब्बत की लगाओ यारों
जो रूट है इनको भी बुलाओ यारो
सफ़र ज़िन्दगी का कैसे कटेगा आखिर
दिलों से नफ़रत के परदे हटाओ यारो
चाहत भरी है रकाबत नहीं मिली
कही पर भी सदाकत नहीं मिली
आँख की 1 हसरत थी जो पूरी हुई
असून मैं भीग जाने की हवस पूरी हुई
उतरे जो ज़िन्दगी…
उतरे जो ज़िन्दगी तेरी गहराइयों में हम,
महफ़िल में रह के भी रहे तन्हाइयों में हम,
इसे दीवानगी नहीं तो और क्या कहें,
प्यार ढूंढ़ते रहे परछाईयों में हम।
ज़िन्दगी से ये मुलाकात…
खत्म होती हुई एक शाम अधूरी थी बहुत,
ज़िन्दगी से ये मुलाकात ज़रूरी थी बहुत।
कागज़ पर लिख दूँ जिंदगी…
कभी कभी लगता है जी लूँ जिंदगी,
कभी कभी लगता है छोड़ दूँ जिंदगी,
इस जिंदगी के किस्से बहुत है,
मन करता है कागज़ पर लिख दूँ जिंदगी।
ज़िन्दगी ने दिया धोखा…
साथ भी तब छोड़ा जब सब बुरे दिन कट गए,
ज़िन्दगी तूने कहाँ आकर दिया धोखा मुझे।
खुली किताब है ज़िन्दगी…
लम्हों की खुली किताब है ज़िन्दगी,
ख्यालों और सांसों का हिसाब है ज़िन्दगी,
कुछ ज़रूरतें पूरी, कुछ ख्वाहिशें अधूरी,
इन्ही सवालों के जवाब है ज़िन्दगी।
हादसों की मार से टूटे अगर जिंदा रहा
जिंदगी जो तूने जख्म दिए वो गहरा ना था
ऐ ज़िन्दगी जितनी मर्जी है तक़लीफ़िया बढ़ा
वादा है तुझसे मै उसे हंस के गुजार दूंगा
इंसान की किरदार की दो ही मंजिले है
या दिल में उतर जाये या दिल से उतर जाये
तुम तो दवा के बादशाह थे ऐ लुकमान हकीम
हेरत है फिर भी इश्क़ ला इलाज रह गया
डूबना ही पड़ता है उभरने से पहले
ग्रुब होने का मतला ज्वाल नहीं होता
कभी मतलब के लिए तो कभी बस दिलगी के लिए
हर कोई मोहब्बत ढूढ़ रहा है अपनी लाइफ के लिए
मत छोड़ना मेरे हाथ तुम ज़िन्दगी में कभी
का मैं ज़िंदा हूँ तुम्हारे साथ ही रहने दो
में तभा हूँ तेरे पियार में तुझे दूसरों का ख्याल है
कुछ मेरे मसले पर गौर कर मेरी ज़िन्दगी का सवाल है
पल भर तेरे साथ में जो सुकून मिला था
काश वो पल मेरी लाइफ का आखरी पल होता
मुझे ज़िन्दगी की दुआ देने वाले
हंसी आ रही है तेरी सादगी पर
अजीब तरह से गुजर रही है ज़िन्दगी
सोचा कुछ किया कुछ हुआ कुछ और मिला कुछ
बात सिर्फ इतनी सी है लाइफ की राहों में
साथ चलने वालो को हमसफर नहीं कहते
हर रोज़ गिर कर भी मुकम्मल खड़े हैं
ए ज़िन्दगी देख मेरे होंसले तुझसे भी बड़े हैं
काटों में रह कर भी हम ज़िन्दगी जी लेते है
हर ज़क्म को अपने हाटों से सी लेते है
जिस दोस्त को केह दिया दोस्त का हाथ
हम ऊस हाथ से ज़हर भी पि लेते है
जितने दिन तक जी गई बस उतनी ही है लाइफ
मिटटी के गुलको की कोई उम्र नहीं होती
ये मरीजें इश्क का हाल है के ये ज़िन्दगी भी बेहाल है
कभी दर्द है तो दावा नहीं जो वादा मिली तो सिफ़ा नहीं
लिखने वाले ने किया खूब लिखा है
ज़िन्दगी जब मायूस होती है तभी तो महेसूस होती है
तुमको जब बोझ लगने लगे साथ तो बता देना
हम चुपचाप लाइफ से मुकर जायेंगे
काटों में रह कर भी हम ज़िन्दगी जी लेते है
हर ज़क्म को अपने हाटों से सी लेते है
जिस दोस्त को केह दिया दोस्त का हाथ
हम ऊस हाथ से ज़हर भी पि लेते है
हादसों की मार से टूटे अगर जिंदा रहा
जिंदगी जो तूने जख्म दिए वो गहरा ना था
ऐ ज़िन्दगी जितनी मर्जी है तक़लीफ़िया बढ़ा
वादा है तुझसे मै उसे हंस के गुजार दूंगा
इंसान की किरदार की दो ही मंजिले है
या दिल में उतर जाये या दिल से उतर जाये
तुम तो दवा के बादशाह थे ऐ लुकमान हकीम
हेरत है फिर भी इश्क़ ला इलाज रह गया
डूबना ही पड़ता है उभरने से पहले
ग्रुब होने का मतला ज्वाल नहीं होता
सोचा था प्यार बदल देगा मेरी लाइफ
पर इसने तो लाइफ को बर्बाद ही कर दिया
चुप चाप गुज़ार देगें तेरे बिना भी ये लाइफ
लोगो को सिखा देगें मोहब्बत ऐसे भी होती है
एक साँस भी पूरी नहीं होती तेरे ख्यालों के बिना
तुमने ये कैसे सोचा की हम लाइफ गुजार देंगे
बहुत कुछ खो चुका हूँ ऐ लाइफ तुझे सवारने की कोशिश में
अब बस ये जो कुछलोग मेरे है इन्हे मेरा ही रहने दे
किसी रोज़ होगी रोशन मेरी भी लाइफ
इंतज़ार सुबह का नहीं किसी के लौट आने का है
समंदर न सही पर एक नदी तो होनी चाहिए,
तेरे शहर में ज़िंदगी कहीं तो होनी चाहिए।
इक टूटी-सी ज़िंदगी को समेटने की चाहत थी,
न खबर थी उन टुकड़ों को ही बिखेर बैठेंगे हम।
फिक्र है सबको खुद को सही साबित करने की,
जैसे ये ज़िंदगी, ज़िंदगी नहीं, कोई इल्जाम है।
ले दे के अपने पास फ़क़त एक नजर तो है,
क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नजर से हम।
नफरत सी होने लगी है इस सफ़र से अब,
ज़िंदगी कहीं तो पहुँचा दे खत्म होने से पहले।
ज़िंदगी जिसका बड़ा नाम सुना है हमने,
एक कमजोर सी हिचकी के सिवा कुछ भी नहीं।
एक उम्र गुस्ताखियों के लिये भी नसीब हो,
ये ज़िंदगी तो बस अदब में ही गुजर गई।
हर बात मानी है तेरी सिर झुका कर ऐ ज़िंदगी,
हिसाब बराबर कर तू भी तो कुछ शर्तें मान मेरी।
अब समझ लेता हूँ मीठे लफ़्ज़ों की कड़वाहट,
हो गया है ज़िंदगी का तजुर्बा थोड़ा थोड़ा।
मुझे ज़िंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं है दोस्तों,
पर लोग कहते हैं यहाँ सादगी से कटती नहीं।
मंजिलें मुझे छोड़ गयी रास्तों ने संभाल लिया,
जिंदगी तेरी जरूरत नहीं मुझे हादसों ने पाल लिया।
कभी खोले तो कभी ज़ुल्फ़ को बिखराए है,
ज़िंदगी शाम है और शाम ढली जाए है।
पहले से उन कदमों की आहट जान लेते हैं,
तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं।
थोड़ी मस्ती थोड़ा सा ईमान बचा पाया हूँ,
ये क्या कम है मैं अपनी पहचान बचा पाया हूँ,
कुछ उम्मीदें, कुछ सपने, कुछ महकती यादें,
जीने का मैं इतना ही सामान बचा पाया हूँ।
है अजीब शहर की ज़िंदगी
न सफर रहा न क़याम है
कहीं कारोबार सी दोपहर
कहीं बदमिजाज़ सी शाम है।
छोड़ ये बात कि मिले ज़ख़्म कहाँ से मुझको,
ज़िंदगी इतना बता कितना सफर बाकी है।
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतना करीब से,
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अब तो अजीब से।
ज़िन्दगी से पूछिये ये क्या चाहती है,
बस एक आपकी वफ़ा चाहती है,
कितनी मासूम और नादान है ये,
खुद बेवफा है और वफ़ा चाहती है।
शतरंज खेल रही है मेरी जिंदगी कुछ इस तरह,
कभी तेरी मोहब्बत मात देती है कभी मेरी किस्मत।
जो लम्हा साथ है उसे जी भर के जी लेना,
ये कम्बख्त जिंदगी भरोसे के काबिल नहीं है।
तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम,
ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे-दिली से हम,
लो आज हमने छोड़ दिया रिश्ता ए उमीद,
लो अब कभी किसी से गिला ना करेगे हम,
पर जिंदगी मे मिल गये इत्तेफ़ाक से
पुछेगे अपना हाल तेरी बेबसी से हम।
अब तो अपनी तबियत भी जुदा लगती है,
सांस लेता हूँ तो ज़ख्मों को हवा लगती है,
कभी राजी तो कभी मुझसे खफा लगती है,
जिंदगी तू ही बता तू मेरी क्या लगती है।
हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली,
कुछ यादें मेरे संग पाँव पाँव चली,
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ,
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली।
ज़िन्दगी हर पल ढलती है,
जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती है,
शिकवे कितने भी हो किसी से,
फिर भी मुस्कराते रहना,
क्योंकि ये ज़िन्दगी जैसी भी है,
बस एक ही बार मिलती है।
मुझ से नाराज़ है तो छोड़ दे तन्हा मुझको,
ऐ ज़िंदगी, मुझे रोज-रोज तमाशा न बनाया कर।
फुर्सत मिले जब भी तो रंजिशे भुला देना,
कौन जाने साँसों की मोहलतें कहाँ तक हैं।
पढ़ने वालों की कमी हो गयी है
आज इस ज़माने में…
वरना मेरी ज़िन्दगी का हर पन्ना,
पूरी किताब है।
वही रंजिशें वही हसरतें,
न ही दर्द-ए-दिल में कमी हुई,
है अजीब सी मेरी ज़िन्दगी,
न गुज़र सकी न खत्म हुई।
ज़िंदगी भी तवायफ की तरह होती है,
कभी मजबूरी में नाचती है कभी मशहूरी में।
इतनी बदसलूकी ना कर… ऐ ज़िंदगी,
हम कौन सा यहाँ बार-बार आने वाले हैं।
ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब है,
जिसमें जीने की चाहत होनी चाहिये,
ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे,
सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहिये।
हो के मायूस न यूं शाम से ढलते रहिये,
ज़िन्दगी भोर है सूरज सा निकलते रहिये,
एक ही पाँव पे ठहरोगे तो थक जाओगे,
धीरे-धीरे ही सही राह पे चलते रहिये।
थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी,
मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे।
ग़ैरों से पूछती है तरीका निज़ात का
अपनों की साजिशों से परेशान ज़िंदगी।