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खयाल-ए-यार हर एक ग़म को टाल देता है,
सुकून दिल को तुम्हारा जमाल देता है,
ये मेरी माँ की दुआओ का फ़ैज़ है मुझपर,
मैं डूबता हूँ तो समंदर उछाल देता है।

चलती हुई हवाओ से खुशबू महक उठी है,
माँ-बाप की दुआओं से किस्मत चमक उठी है।

गरीब हूँ किसी ज़रदार से नहीं मिलता,
जमीर बेच कर किसी मक्कार से नहीं मिलता,
जो हो सके तो इसको संभाल कर रखना,
ये माँ का प्यार है बाजार में नहीं मिलता।

एक बेवफा को मैंने गले से लगा लिया,
हीरा समझ कर काँच का टुकड़ा उठा लिया,
दुश्मन तो चाहता था मुझको मिटाना मगर,
माँ की दुआओ ने शफ़ी मुझको बचा लिया।

जन्नत के हर लम्हे…
जन्नत के हर लम्हे का दीदार किया था,
गोद में लेकर जब मॉ ने प्यार किया था।

माँ पाली नहीं जाती…
माँ की दुआ कभी खाली नहीं जाती,
माँ की बात कभी टाली नहीं जाती,
अपने सब बच्चे पाल लेती है बर्तन धोकर,
और बच्चों से एक माँ पाली नहीं जाती।

किसकी माँ ने कितना ज़ेवर…
शहर में जाकर पढ़ने वाले भूल गए
किसकी माँ ने कितना ज़ेवर बेचा था।

जीना सिखाती है माँ…
हँसकर मेरा हर गम भुलाती है माँ,
मैं रोता हूँ तो सीने से लगाती है माँ,
बहुत दर्द दिया है इस ज़माने ने मुझको,
सबकुछ झेलकर जीना सिखाती है माँ।

मां तेरे दूध का हक़ मुझसे अदा क्या होगा
तू है नाराज तो खुश मुझसे खुदा क्या होगा

ज़मीन से उठाकर आसमान तक पहुंचाया
मेरी माँ थी वो जिसने मुझे चलना सिखाया

सीधा-साधा भोला-भाला मैं ही सबसे सच्चा हूँ
कितना भी हो जाऊं बड़ा माँ आज भी तेरा बच्चा हूँ

वो तो असर है मां की दुआओं में
वरना इतना सुकून कहां था इन हवाओं में

कहा होते है इतने तजुर्बे किसी हाकिम के पास
माँ आवाज़ सुनकर बुखार नाप लेती है

कभी मुस्कुरा दे तो लगता है जिंदगी मिल गयी मुझको
माँ दुखी हो तो दिल मेरा भी दुखी हो जाता है

गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें हैं कितने
भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी

माँग लूँ ये मन्नत की फिर यही जहाँ मिले
फिर वही गॉड फिर वही माँ मिले

तेरे क़दमों में ये सारा जहां होगा एक दिन
माँ के होठों पे तबस्सुम को सजाने वाले

माँ की तरह कोई और ख्याल रख पाए
ये बस ख्याल ही हो सकता है

बहुत बुरा हो फिर भी उसको बहुत भला कहती है
अपना गंदा बच्चा भी माँ दूध का धुला कहती है

नहीं हो सकता कद तेरा ऊँचा किसी भी माँ से ए खुदा
तू जिसे आदमी बनाता है, वो उसे इन्सान बनाती है

जो मांगू दे दिया कर ऐ ज़िन्दगी
तू मेरी माँ जैसी बंजा

बूढ़े हो जाते है माँ बाप औलाद की खुशियों की फ़िक्र में
औलाद समझती है असर उम्र का है

हज़ारो गम हो फिर भी मैं ख़ुशी से फूल जाता हूँ
जब हस्ती है मेरी माँ मै हर ग़म भूल जाता हूँ

चलती फिरती आँखों से अज़ाँ देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है।

तेरे क़दमों में ये सारा जहां होगा एक दिन,
माँ के होठों पे तबस्सुम को सजाने वाले।

किसी भी ​मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता,
​शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नहीं निकलता​।

उमर भर तेरी मोहब्बत मेरी खिदमतगार रही माँ,
मैं तेरी खिदमत के काबिल जब हुआ तू चली गयी माँ।

सबकुछ मिल जाता है दुनिया में मगर,
याद रखना की बस माँ-बाप नहीं मिलते,
मुरझा कर जो गिर गए एक बार डाली से,
ये ऐसे फूल हैं जो फिर नहीं खिलते।

रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये,
चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ,
हम खुशियों में माँ को भले ही भूल जायें,
जब मुसीबत आ जाए तो याद आती है माँ।

सख्त राहों में भी आसान सफ़र लगता है,
ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है।

जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है,
माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है।

वो लिखा के लायी है किस्मत में जागना,
माँ कैसे सो सकेगी कि बेटा सफ़र में है।

जरा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाए,
कि मेरी माँ दिए से मेरे लिए काजल बनाती है।

सीधा साधा भोला भाला मैं ही सब से सच्चा हूँ,
कितना भी हो जाऊं बड़ा माँ आज भी तेरा बच्चा हूँ।

यूँ तो मैंने बुलन्दियों के हर निशान को छुआ,
जब माँ ने गोद में उठाया तो आसमान को छुआ।

अपनी माँ को कभी न देखूँ तो चैन नहीं आता है,
दिल न जाने क्यूँ माँ का नाम लेते ही बहल जाता है।

कभी मुस्कुरा दे तो लगता है ज़िंदगी मिल गयी मुझको,
माँ दुखी हो तो दिल मेरा भी दुखी हो जाता है।

माँ तो जन्नत का फूल है,
प्यार करना उसका उसूल है,
दुनिया की मोहब्बत फिजूल है,
माँ की हर दुआ कबूल है,
माँ को नाराज करना इंसान तेरी भूल है,
माँ के कदमो की मिट्टी जन्नत की धूल है।

गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें हैं कितने,
भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी।

पहाड़ो जैसे सदमे झेलती है उम्र भर लेकिन,
बस इक औलाद की तकलीफ़ से माँ टूट जाती है।