motivational

वो आदमी सफल नहीं हो पता।
जिसमे नाकामी का खौफ,
सफलता की चाहत से ज्यादह हो।

जिनका भरोसा ऊपर वाला हो,
उनकी मंज़िल कामयाबी है।

चाहे जितना मोटिवेशनल शायरी पढ़ लो
लेकिन कामयाब होने की जो प्रेरणा
रिश्तेदारों के तानों से मिलती है
वह किसी और से नहीं मिल सकती..!!

किसी के साथ टाइम वेस्ट करने
से अच्छा है वो टाइम अपने सपने
को पूरा करने में इन्वेस्ट करो.

बुरा वक्त एक ऐसी तिजोरी है
जहां से सफलता के हथियार मिलते हैं

जो अपने आप को पढ़ सकता है,
वो दुनिया में कुछ भी सीख सकता है।

मंजिल के आगे बढ़कर मंजिल तलाश कर,
मिल जाये तुझको दरिया तो समंदर तलाश कर।

कभी पत्थर की ठोकर से भी नहीं आती जरा सी खरोच।
कभी जरा सी बात पे इंसान बिखर जाता है।

शाखों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम,
आँधियों से कह दो जरा औकात में रहें।

हादसों की मार से टूटे मगर जिन्दा हैं,
ज़िंदगी ‌जो जख्म भी तूने दिया गहरा न था।

जो माँ बाप के ज़्यादह लाडले होते हैं,
अकसर ज़िंदगी ‌उनसे कठिन इम्तेहान लेती है।

जिंदगी में किसी को कसूरवार ना बनाओ
अच्छे लोग खुशियां लाते हैं बुरे लोग तजुर्बा

 

समय के पास इतना समय नहीं,
की वो आपको दोबारा समय दे सके।

कड़ी मेहनत आपको वहां पंहुचा देती है
जहाँ अच्छी क़िस्मत शायद आपको पंहुचा दे।

रंगीन दुनियां के रंगीन लोगों में नाम न लिख मेरा
तौबा कर लूंगा, मरने से पहले न लिख अंजाम मेरा

यहाँ बिकता है सबकुछ जरा संभलकर रहना
लोग हवाओ को भी बेच देते हैं गुब्बारों में डालकर

मंजिल आगे बढ़कर मंजिल तलाश कर
मिल जाये तुझको तुझको दरिया तो समंदर तलाश कर

मंजिल मिलेगी भटक कर ही सही
गुमराह तो वो है जो घर से निकले ही नहीं

मोहब्बत ख़ूबसूरत होगी किसी और दुनियाँ में !

इधर तो हम पर जो गुज़री है हम ही जानते हैं !!

 

खेलने दो उन्हे जब तक जी न भर जाए उनका !

मोहब्बत चार दिन कि थी तो शौक कितने दिन का होगा !!

नए लोग से आज कुछ तो सीखा है !

पहले अपने जैसा बनाते है फिर अकेला छोड़ देते है !!

हुनर’ सड़कों पर तमाशा करता है और ‘किस्मत’ महलों में राज करती है !!

पसंद है मुझे.उन लोगों से हारना.जो लोग मेरे

हारने की वजह से पहली बार जीते हों !!

अंदाज़ कुछ अलग ही है मेरे सोचने का

सब को मंज़िल का शौख है मुझे रास्ते का !!

 

 

बारिश की बूँदों में झलकती है तस्वीर उनकी‬‎ !

और हम उनसे मिलनें की चाहत में भीग जाते हैं !!

भीड़ में खड़ा होना मकसद नही है मेरा, बल्कि

भीड़ जिसके लिए खड़ी है वो बनना है मुझे !!

कल ही तो तौबा की मैंने शराब से.. कम्बख्त मौसम आज फिर बेईमान हो गया !!

 

दिलों के इरादे…
मुश्किलें दिलों के इरादों को आजमाएंगी,
आँखों के पर्दों को निगाहों से हटाएँगी,
गिरकर भी हम को संभलना होगा,
ये ठोकरें ही हमको चलना सिखाएंगी।

दिलों के इरादे शायरी

ज़ुल्फ़िकार मलिक द्वारा दिनाँक 04-10-2019 को प्रस्तुत | कमेंट करें

हौसले बुलंद कर…
अपने हौसले बुलंद कर, मंज़िल तेरे बहुत करीब है,
बस आगे बड़ता जा, यह मंज़िल ही तेरा नसीब है।

मूसी क़स द्वारा दिनाँक 06-08-2019 को प्रस्तुत | कमेंट करें

इरादों में जीत…
जीत की ख़ातिर बस जूनून चाहिए,
जिसमें उबाल हो ऐसा खून चाहिए,
ये आसमां भी आ जाएगा ज़मीं पर,
बस इरादों में जीत की गूँज चाहिए।

एडमिन द्वारा दिनाँक 09-07-2019 को प्रस्तुत | कमेंट करें

पूरा आसमान चाहिए…
मंजिल पर सफलता का निशान चाहिए,
होंठों पे खिलती हुई मुस्कान चाहिए,
बहलने वाले नहीं हम छोटे से टुकड़े से,
हमें तो पूरा का पूरा आसमान चाहिए।

पूरा आसमान चाहिए शायरी

एडमिन द्वारा दिनाँक 05-07-2019 को प्रस्तुत | कमेंट करें

समंदर को बड़ा गुमान…
सुना है आज समंदर को खुद पे गुमान आया है,
उधर ही ले चलो कश्ती जहाँ तूफान आया है।

समेट लो इन नाज़ुक पालो को ना जाने ये लम्हे कल हो ना हो
चाहे हो भी लम्हे क्या मालूम शामिल उन पलों में हम हो न हो

स्कूल का वो बैग फिर से थमा दे माँ
यह ज़िन्दगी का बोझ उठाना मुश्किल हैं

सच्ची मोहब्बत कभी खत्म नही होती
बस वक़्त के साथ खामोश हो जाती है

इंसान वही तरक्की करता हैं
जो अपनी सोच सकारात्मक रखता हैं

उन्हें क्या पता जो कहते है हर वक़्त रोया न करो
मैं कैसे समझाऊं कुछ दर्द सहने के काबिल नहीं होते

मिलेगी परिंदों को मंजिल ये उनके पर बोलते हैं
रहते हैं कुछ लोग खामोश लेकिन उनके हुनर बोलते हैं

जरूरी तो नही की हर पल तेरे पास रहूँ
मोहब्बत और इबादत दूर से भी की जाती है

ना संघर्ष ना तकलीफ तो क्या मजा हैं जीने में
बड़े बड़े तूफ़ान थम जाते हैं जब आग लगी हो सीने में

जो तुम्हारी खामोशी ना समझ सके
वो तुम्हारी बात क्या समझेगा

जब हौसला बना लिया ऊँची उड़ान का
फिर देखना फिजूल है कद आसमान का

सहारा तो लेना ही पड़ता है मुझको दरिया का
मई एक कतरा हूँ तनहा रह नहीं सकते

ज़िन्दगी मे कुछ ऐसे मंज़र हमने देखे है
लम्हों ने खता की थी और सदियों ने सजा पायी

बेहतर से बेहतर की तलाश करो,
मिल जाए नदी तो समंदर की तलाश करो,
टूट जाते हैं शीशे पत्थरों की चोट से,
तोड़ से पत्थर ऐसे शीशे की तलाश करो।

तू रख यकीन बस अपने इरादों पर,
तेरी हार तेरे हौसलों से तो बड़ी नहीं होगी।

जंग में कागज़ी अफ़रात से क्या होता है,
हिम्मतें लड़ती हैं तादाद से क्या होता है।

वो लड़ेंगे क्या कि जो खुद पर फ़िदा हैं,
हम लड़ेंगे… हम ख़ुदाओं से लड़े हैं।

सबब तलाश करो… अपने हार जाने का,
किसी की जीत पर रोने से कुछ नहीं होगा।

उठो तो ऐसे उठो कि फक्र हो बुलंदी को,
झुको तो ऐसे झुको बंदगी भी नाज़ करे।

आये हो निभाने को जब, किरदार ज़मीं पर,
कुछ ऐसा कर चलो कि ज़माना मिसाल दे।

हौसला देती रहीं… मुझको मेरी बैसाखियाँ,
सर उन्ही के दम पे सारी मंजिलें होती रहीं।

ज़िंदगी जब जख्म पर दे जख्म तो हँसकर हमें,
आजमाइश की हदों को… आजमाना चाहिए।

नज़र-नज़र में उतरना कमाल होता है,
नफ़स-नफ़स में बिखरना कमाल होता है,
बुलंदियों पे पहुँचना कोई कमाल नहीं,
बुलंदियों पे ठहरना कमाल होता है।

जिन के होंटों पे हँसी पाँव में छाले होंगे,
वही लोग अपनी मंजिल को पाने वाले होंगे।

मेरे हाथों की लकीरों के इज़ाफ़े हैं गवाह,
मैने पत्थर की तरह खुद को तराशा है बहुत।

जो मुस्कुरा रहा है उसे दर्द ने पाला होगा,
जो चल रहा है उसके पाँव में छाला होगा,
बिना संघर्ष के इन्सान चमक नही सकता,
जो जलेगा उसी दिये में तो उजाला होगा।

डर मुझे भी लगा फासला देख कर,
पर मैं बढ़ता गया रास्ता देख कर,
खुद ब खुद मेरे नज़दीक आती गई,
मेरी मंज़िल मेरा हौंसला देख कर।

कल यही ख्वाब हकीकत में बदल जायेंगे,
आज जो ख्वाब फकत ख्वाब नजर आते हैं।

कहने को लफ्ज दो हैं उम्मीद और हरसत,
लेकिन निहां इसी में दुनिया की दास्तां है।

 

खुदा तौफीक देता है उन्हें जो यह समझते हैं,
कि खुद अपने ही हाथों से बना करती हैं तकदीरें।

इन्हीं गम की घटाओं से खुशी का चांद निकलेगा,
अंधेरी रात के पर्दों में दिन की रौशनी भी है।

चलो चाँद का किरदार अपना लें हम दोस्तों,
दाग अपने पास रखें और रोशनी बाँट दे।

हर मील के पत्थर पर लिख दो यह इबारत,
मंजिल नहीं मिलती नाकाम इरादों से।

न हमसफ़र न किसी हमनशीं से निकलेगा,
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा।

मंजिल मिले न मिले, ये तो मुकद्दर की बात है
हम कोशिश ही न करे ये तो गलत बात है।

जब टूटने लगे हौंसला तो बस ये याद रखना,
बिना मेहनत के हासिल तख़्त-ओ-ताज नहीं होते,
ढूढ़ लेना अंधेरे में ही मंजिल अपनी दोस्तों,
क्योंकि जुगनू कभी रोशनी के मोहताज़ नहीं होते।

अभी मुठ्ठी नहीं खोली है मैंने आसमां सुन ले,
तेरा बस वक़्त आया है मेरा तो दौर आएगा।

ज़िंदा रहना है तो हालात से डरना कैसा,
जंग लाज़िम हो तो लश्कर नहीं देखे जाते।

 

रख हौसला वो मंजर भी आयेगा,
प्यासे के पास चल के समन्दर भी आयेगा,
थक कर न बैठ ऐ मंजिल के मुसाफिर,
मंजिल भी मिलेगी…
और मिलने का मज़ा भी आयेगा।

अगर पाना है मंजिल तो
अपना रहनुमा खुद बनो,
वो अक्सर भटक जाते हैं
जिन्हें सहारा मिल जाता है।

छू ले आसमान ज़मीं की तलाश न कर,
जी ले जिंदगी ख़ुशी की तलाश न कर,
तकदीर बदल जाएगी खुद ही मेरे दोस्त,
मुस्कुराना सीख ले वजह की तलाश न कर।

मुश्किलें जरुर हैं मगर ठहरा नहीं हूँ मैं,
मंज़िल से जरा कह दो अभी पहुंचा नहीं हूँ मैं।

कदमो को बाँध न पाएगी मुसीबत की जंजीरें,
रास्तों से जरा कह दो अभी भटका नहीं हूँ मैं।

हुकूमत बाजुओं के ज़ोर पर तो कोई भी कर ले,
जो सबके दिल पे छा जाए उसे इंसान कहते हैं।

हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है,
जिस तरफ़ भी चल पड़ेगे, रास्ता हो जाएगा।