१. अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोंपसेविन: |
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम || (मनुस्मृति २|१२१)
अर्थात् नित्य वृद्ध जनों को प्रणाम करने से तथा उनकी सेवा करने से मनुष्य की आयु, विद्या, बुद्धि, कीर्ति, यश और बल बढ़ते हैं |
२. मतापितार्मुत्थाय पुर्वमेवादयेत|
आचार्यमथवाप्यन्यम् तथायुर्विन्दते महत् || (महाभारत, अनुo १०४|४३-४४)
अर्थात् प्रतिदिन प्रातः काल सो कर उठने के बाद पहले माता-पिता को प्रणाम करें फिर आचार्य तथा अन्य गुरुजनों का अभिवादन करें इससे दीर्घायु प्राप्त होती हैं |
३. शय्यासनस्थश्चैवैनं प्रत्युत्थायाभिवादयेत || (मनुस्मृति २|११९)
अर्थात् स्वयं आसन पर बैठा हो तो उठकर और सवारी पर बैठा हो तो उस से उतरकर गुरुजनों को प्रणाम करना चाहिए|
४. देवताप्रतिमां दृष्टा यतिं दृष्टा त्रिदण्डीनम्|
नमस्कारं न कुर्वीत प्रायश्चित्ती भवेन्नरः || (व्याघ्रपाद्स्मृति ३६६)
अर्थात् जो व्यक्ति देव प्रतिमा को सन्यासी को और त्रिदंडी स्वामी को देखकर भी उन्हें प्रणाम नहीं करता वह प्राइस चित का भागी होता है |
५. जन्मप्रभृति यत्किञ्चित्सुकृतं समुपार्जितं |
तत्सर्वं निष्फलं याति एकहस्ताभिवादनात् || (व्याघ्रपाद्स्मृति ३६७)
अर्थात् जो एक हाथ से प्रणाम करता है उसके जीवन भर का किया हुआ पुण्य निष्फल हो जाता है|
६. सोपानत्कश्र्चाशनासनशयनाभिवादननमस्कारान् वर्जयेत् | (गौताम स्मृति ९)
अर्थात् बैठना भोजन करना सोना गुरुजनों का अभिवादन करना और अन्य श्रेष्ठ पुरुषों को प्रणाम करना यह सब कार्य जूते पहने हुए ना करें|
७. न सोपानद्वेष्टितशिरा अवहितपाणिर्वाभिवादयीत | (आपस्तम्बधर्मसुत्र १|४|१४|१९ )
अर्थात् जूते पहने हुए सिर को ढके हुए अथवा हाथ में कुछ लिए हुए प्रणाम ना करें स्त्री से ढक कर ही प्रणाम करें |
हाथ मिलाना क्यों अनुचित है ?
हाथ मिलाने का प्रचलन पश्चिमी सभ्यता में है यह प्रचलन अब हमारे यहां भी हो गया है वैसे हाथ मिलाना वैज्ञानिक दृष्टि से उचित नहीं है क्योंकि हाथों में संक्रामण बीमारियों के वायरस चिपके रहते हैं, जो हाथ मिलाने से एक दूसरे के शरीर में चले जाते हैं |भारतीय दृष्टि: भारतीय मान्यता के अनुसार हाथ मिलाने से अपने शरीर की शक्ति दूसरे में चली जाती है|
– अन्तर्राष्ट्रीय वास्तुविद् वास्तुरत्न ज्योतिषाचार्य पं प्रशांत व्यासजी
Email : [email protected]
Mobile : 9826717305, 9617103003