IPO

IPO (Initial Public Offering)

IPO Basic =>जब कोई कंपनी बहुत ज्यादा expend करना चाहती हैं और उसके पास पैसा नही होता , वह अलग अलग जगह से पैसा उठाती हैं

Stage 1 Promoter Fund – जैसे कंपनी के तीन owner हैं पहले ने 40% , दूसरे और तीसरे ने 30-30% पैसे लगाए यह हैं Promoter Fund

Stage 2 Angel Investor – Promoter को कंपनी की growth के लिए और पैसा चाहिए तो वह angel investor से लेते हैं तीनों promoter अपना share का हिस्सा करके इस angel investor को देंगे और इसे equity fund कहेंगे और जो भी प्रॉफ़िट होगा वह 4 part में divide होगा |

Stage 3 Venture Capital and Private Equity Firm – कुछ टाइम बाद इनको ओर बड़ा amount चाहिए company को बड़ाने के लिए और बड़ी बड़ी कंपनी Venture Capital और Private equity fund के पास जाएंगे पैसे लेने और ये चारों, तीन तो promoter और एक angel investor अपने में से कुछ हिस्सा इसे देंगे और पैसा उठा लेंगे सबने मिलकर इसे 15% equity दी अपने में से और पैसा उठ लिया , अब कंपनी के 5 पार्ट हो गए , जो भी profit होगा अब 5 में divide होगा

Stage 4 अब company ने जैसे लोन लिया और उसका काफी पैसा तो debts में ही चला जाता हैं और कंपनी को expend के लिए और पैसा चाहिए तो अब वह public के पास आएगी , public को offer करती हैं की आप हमे पैसा दो हम आपको sharing देंगे अब वह पाँचों अपना अपना sharing का कुछ percentage divide करेंगे और total 16% diverd हुआ अब यह equity public को offer करेंगे

 

Company IPO कैसे rise करती हैं –

Ipo को लॉन्च करने के लिए कंपनी को एक investment बैंक की जरूरत होती हैं जैसे icici,hdfc,ये बड़े बड़े bank इनकी एक अलग से branch होती है जो ipo रिलीज करने में help करती हैं

अब कौनसा bank सिलेक्ट करें इसके लिए कंपनी के कुछ फेकटोर होते हैं जैसे –

उस बैंक से relationship हो सकता हैं जहां कंपनी के पुराने account चलते हो

Company को evaluate करने के तरीके -इस कंपनी में इतना दम होना चाहिए की वह आईपीओ रेयलिसे करने का दम रखें बैंक उसकी quality को रिसर्च करता हैं

Success in  rising ipo – एसा bank जो पहले भी कई ipo रिलीज करवा चुका हैं उसे सिलेक्ट करेंगे |

 

Due Diligence & Filings – Starting की formality होती हैं उसको पूरा करना इसमे से एक term हैं underwriting , तीन तरह से underwriting होती हैं |

  • Bank Commitment करता हैं की में आपको 5000 करोड़ का ipo रिलीज करता हूँ और में इसकी ग्यारंटी ले रहा हूँ यदि 5000 करोड़ से कम राशि होती हैं तो हम पैसा मिल देते हैं और ज्यादा पैसा होते तो बच पैसा हमारा हो जाएगा
  • Best Efforts Commitment – bank कहता हैं हम best efforts लगाएंगे 5000 करोड़ लाने के लेकिन हो सकता हैं कम ज्यादा हो जाए , यहा commitment नही हैं amount में |
  • Syndicat under writing – अगर बहुत बड़ा अमाउन्ट रिलीज करना हैं मानलों 10000 करोड़ का ipo चाहिए तो Multiple Bank ग्रुप बनाकर उसे रिलीज कराने की कोशिश करती हैं |

Red Herring Prospectus – एक basic Plan होता हैं details होती हैं इसमे कंपनी को business की सारी details लिखकर देना होती हैं business कैसे चला रहे हैं उनका future plan क्या हैं उसका capital structure क्या हैं risk क्या हैं आगे , future opportunity क्या हैं, पिछले सालों में जो growth किया हैं वह growth क्या हैं यह सब prospectus बनाकर बैंक को देना होती हैं

Compliances and filing – SEBI की कुछ गाइड लाइन हैं , कुछ act हैं उन्हे follow करना होता हैं उसके हिसाब से ipo आगे बड़ने की बात होती हैं

Pricing – company ने 5000 करोड़ तो मंगलिए , बैंक ने बोल भी दिया हम आपको लाकर देंगे लेकिन 5000 करोड़ लाने के लिए जो पाँच लोगों ने share divide किया हुआ हैं 16% equity (कंपनी की हिस्सेदारी) पब्लिक को देना चाहते हैं तो उसे 16% के लिए आप कितने शेयर रिलीज करोगे ओर कितने amount में रिलीज करोगे ipo यह बैंक डीसाइड करता हैं उसके लिए बैंक कंपनी की valuation करता हैं चेक करता हैं कंपनी की औकात जो percentage वो देता हैं बैंक वह देखता हैं उसके बाद वह एक issue price fix  करते हैं कंपनी से बात करके जैसे 1000 रु दोनों ने डीसाइड कीये बैंक ओर कंपनी ने , अब 1000 रु के हिसाब से 5000 करोड़ चाहिए तो कितने शेयर निकालना होंगे

ये लोग ipo में miminum investment fix कर देते हैं Lot Size

 

Ipo Price Issue – Ipo में प्राइस fix करने के दो issue आते हैं

  1. Fixed Price Issue – जो Ipo रिलीज करते हैं तो एक price fix कर देते हैं की यह ipo हमारा 500 का होगा लेना हो तो लो वरना मत लो इसे case में कंपनी को कभी कभी loss हो जाता हैं loss इस लिए होता हैं की कई लोग ipo नहीं खरीदते हैं तब कंपनी को समझ नहीं आता की हमारा price justify ही या नही |
  2. Book Building Issue – company price band deside करती हैं company बोलती हैं की हम 450-500 के बीच मे ipo रिलीज करेंगे इसमे एक floor price जो नीचे वाला प्राइस ओर एक cap प्राइस ऊपर वाला प्राइस होता हैं दोनों के बीच में diffence 20% से ज्यादा नहीं होना चाहिए अब ये लोग कम recruitment होती हैं तो कम प्राइस पर allote करते हैं ओर बहुत ज्यादा recurement होती हैं तो प्राइस fix करके रेलीज कर देते हैं

Distribution and marketing of share – marketing करना हैं ओर इस share का distribution करना हैं

  • सबसे ज्यादा जो खरीदने वाले लोग होते हैं वह होती हैं quality institutional buyer (muture fund) ईन कंपनीयो में बहुत ज्यादा amount होता हैं ये सबसे ज्यादा 50% तक खरीद लेती हैं
  • Non Institutional Big Inveestor – 15% big investor के पास जाता हैं ipo
  • Retail Investor – 35%
  • ये सभी लोग application process करते हैं यानि एक तरह से biding करते हैं की हमें चाहिए हमें चाहिए ipo
  • Allotment – कभी कभी application बहुत ज्यादा आ जाती हैं share की ओर बाकी को refund करना पड़ता हैं क्यों की जैसे 10000 शेयर रिलीज कीये ओर application 15000 आ गई तो 5000 को तो पैसा refund करना पड़ेगा ipo allotment के बाद |

Listing- इसमें 3 से 5 दिन का बिडिंग open होता हैं इसमें कुछ लोग निकाल भी सकते हैं शेयर बाकी जिनको नहीं allote हुआ होता हैं वह खरीद भी सकते हैं ipo

Ipo analysis Steps – कोई आईपीओ आने वाला होता हैं तो हम यह कैसे डीसाइड करें की ये ले या न ले |

  • Size Of fresh issue – fresh issue का size कितना हैं , fresh issue मतलब कंपनी जो ipo के जरिए पैसा उठा रही हैं वह कंपनी के expention में या business को चलाने के लिए उपयोग में लाने वाली हैं इसे कहते हैं fresh issue मतलब कंपनी जो पैसा ipo से उठा रही हैं वह इसका कितना percentage कंपनी के expention में use करना चाहती हैं
  • Size of offer for sale – अगर कंपनी promoter , private investor , angel investor इन सबको रवाना कर देती हैं , ipo से पैसा उठाकर ये सब हो सकता हैं exit कर जाए ओर founder बच जाता हैं size offer for sale का मतलब यह होता हैं |
  • Ipo जब रिलीज किया जाता हैं उस समय sebi की regulation में एक document तैयार किया जाता हैं उसमे show करना पड़ता हैं की कंपनी को की उसका fresh issue में कितना अमाउन्ट हें ओर offer for sale में कितना |

Google पर किसी कंपनी के आईपीओ को सर्च भी कर सकते हैं

जैसे-      size of zomoto  fresh issue ipo

यहाँ दो चीजे ध्यान रखना हैं

यदि offer for sale ज्यादा हैं fresh issue से मतलब  promoter ओर existing investor हैं वह अपना stack बेच कर निकालना छह रहे हैं वह ipo अच्छा नही हैं

Offer for sale यदि कम हैं fresh issue से मतलब promoter ओर बाकी लोग बेचना ही नही चाहते उनको भरोसा हैं कंपनी के ऊपर

Offer for sale कम होना चाहिए fresh issue से

इस टाइप का ipo हमे खरीदना हैं

Fresh issue के objective –

  1. Future business expansion में use करना हैं तो ही
  2. High Level Debt Repayment – कंपनी जो पैसा उठा रही हैं वह अपना लोन चुकाने के लिए जैसे कंपनी ने 8000 करोड़ उठाए ओर लोन 12000 करोड़ का हैं और वह उसे चुकता करना चाह रही हो , एसा तो नही हैं | , यदि Debts ज्यादा हैं तो हम क्यों फसे वहा पर debts कम हैं तो ठीक हैं
  3. Working capital recuirment – company को खुद को चलाने के लिए ही पैसा चाहिए कंपनी के पास खुद को चलाने के लिए ही पैसा नही बच रहा उस केस में भी हम कंपनी का आईपीओ नही लेंगे
  4. Tapping Inorganic Growth Opportunity – बहुत सारी कंपनी अपने fresh issue का जो amount होता हैं उसे acquire करती हैं छोटी छोटी different company acquire करती हैं उसके लिए वह ipo का पैसा use कर रही हैं यानि ठीक हैं क्यों की वह अपने competitors को हटा रही हैं,   कई सारी बड़ी कंपनी एक बहुत बड़ा अमाउन्ट देकर एक दूसरी कंपनी को खरीद लेती हैं तो वह equire के लिए जो अमाउन्ट होता हैं ipo से | वह बहुत अच्छा माना जाता हैं |

Offer For Sale – इसमें भी हम चेक करेंगे की कोण अपना stay बेच रहा हैं , जैसे promoter बेच रहा हैं , जिसने पहले पैसा लगाया हुआ हैं या private equity investor जिन्होंने बाद में पैसा लगाया हैं |

 

Ipo Yes Or No (Data Analysis)- ipo खरीदने वाले लोग –

पहले वो जो ipo खरीद लेते हैं और जैसे ही वह list हो जाता हैं profit कमाकर बेच देते हैं कुछ समय में |

दूसरे वह जो ipo खरीदते हैं और काफी लंबे समय तक hold करके रखते हैं

Big Bull Market चल रहा हैं तो सारे ipo जो बैंक निकलेगा वह over valued होंगे आगे जाकर गिर जाते हैं |

Bear Market जब market गिर रहा होता हैं तो बैंक ipo कम price में निकलेंगा , सस्ते रहेंगे तो सब लोग खरीदलेंगे वह under valued होते हैं

 

Gold Investment – 

Gold ETF (Exchange Trading Fund) – Gold में investment करने के options

  • Physical Gold – Old theory होती हैं 100% purity के साथ मिलता भी नही हैं
  • Digital Gold
  • Mutual Fund
  • Govt Bonds

Gold ETF में investment जो होता हैं यह एक प्रकार का mutual fund हैं हमे इसे demate account में रखना होता हैं हम जब भी gold etf बेचेंगे हमे पूरा पैसा मिलता हैं कोई फालतू change नही और कोई gst नही लगता हैं इसमे कुछ tax लगते हैं

क्यों की यह एक प्रकार का mutual fund हैं इस पर expenses ratio लगता हैं 1% जो बहुत ही कम होता हैं

Broker का comition होता हैं बहुत ही कम या किसी broker का commition भी नहीं होता

3 साल या उससे ऊपर जो भी profit होता हैं उसका 20% tax देना होता हैं

इनका Critearea कम से कम Gold ETF एक ग्राम गोल्ड की कीमत से खरीदना होता हैं दस ग्राम गोल्ड means 5000 हैं तो 1 ग्राम 5000 होना चाहिए इसे खरीदने के लिए

 

Gold Funds – यह एक प्रकार का mutual fund यहाँ छोटा investment भी कर सकते हैं |

ये Mutual Fund अपनी money को gold Etf में या gold related चीजों में लगाएगा

इसमें हम 500 रु. से भी invest कर सकते हैं

इसमें हम sip भी कर सकते हैं

Liquidity बहुत अच्छी हैं कभी भी बेच कर निकाल सकते हैं

Easy Investment Process – किसी भी app के through investment कर सकते हैं

कोई physical form में gold नही होता , जब भी gold etf में किसी को physical form में गोल्ड चाहिए तो वह physical form में गोल्ड dilivry ले सकता हैं लेकिन कन्डिशन यह हैं की आधा किलो से ज्यादा का gold होना चाहिए लेकिन gold fund में physical dilivry नही होती |

Charges – Expenses Ratio 1% लगता हैं Gold ETFहम खुद handle करते हैं तो इसमें चार्ज नही लगता जब की gold fund एक बंधा MF Use कर रहा होता हैं तो उसका चार्ज लगता हैं

3 साल से ज्यादा पर 20% प्रॉफ़िट पर tax