daughter

1. Poem on Daughter in Hindi – लडकें की तरह लड़की भी

लडकें की तरह लड़की भी, मुट्ठी बांध के पैदा होती हैं।
लडकें की तरह लड़की भी, माँ की गोद में हसती रोती हैं।।

करते शैतानियाँ दोनों एक जैसी।
करते मनमानियां दोनों एक जैसी।।

दादा की छड़ी दादी का चश्मा तोड़ते हैं।
दुल्हन के जैसे माँ का आँचल ओढ़ते हैं।।

भूक लगे तो रोते हैं, लोरी सुन कर सोते हैं।
आती हैं दोनों की जवानी, बनती हैं दोनों की कहानी।।

दोनों कदम मिलकर चलते हैं।
दोनों दिपक बनकर जलते हैं।।

लड़के की तरह लड़की भी नाम रोशन करती हैं।
कुछ भी नहीं अंतर फिर क्यूँ जन्म से पहले मारी जाती हैं।।

बेटियां बेटियां बेटियां ..
बेटियां बेटियां बेटियां ..

2. Beti Par Kavita – क्या हूँ मैं, कौन हूँ मैं
क्या हूँ मैं, कौन हूँ मैं, यही सवाल करती हूँ मैं,
लड़की हो, लाचार, मजबूर, बेचारी हो, यही जवाब सुनती हूँ मैं।।
बड़ी हुई, जब समाज की रस्मों को पहचाना,
अपने ही सवाल का जवाब, तब मैंने खुद में ही पाया,
लाचार नही, मजबूर नहीं मैं, एक धधकती चिंगारी हूँ,
छेड़ों मत जल जाओगें, दुर्गा और काली हूँ मैं,
परिवार का सम्मान, माँ-बाप का अभिमान हूँ मैं,
औरत के सब रुपों में सबसे प्यारा रुप हूँ मैं,
जिसकों माँ ने बड़े प्यार से हैं पाला,
उस माँ की बेटी हूँ मैं, उस माँ की बेटी हूँ मैं।।
सृष्टि की उत्पत्ति का प्रारंभिक बीज हूँ मैं,
नये-नये रिश्तों को बनाने वाली रीत हूँ मैं,
रिश्तों को प्यार में बांधने वाली डोर हूँ मैं,
जिसकों को हर मुश्किल में संभाला,
उस पिता की बेटी हूँ मैं, उस पिता की बेटी हूँ मैं।।

3. बेटी पर कविता – दुनिया का भी दस्तूर है जुदा
दुनिया का भी दस्तूर है जुदा, तू ही बता ये क्या है खुदा?
लक्ष्मी-सरस्वती, हैं चाह सभी की, क्यों दुआ कहीं ना इक बेटी की ?
सब चाहे सुन्दर जीवन संगिनी, फिर क्यों बेटी से मुह फेरे ,
लक्ष्मी रूपी बिटिया को छोड़, धन-धान्य को क्यों दुनिया हेरे |
क्या बेटे ही हैं जो केवल, दुनिया में परचम लहरा पाते ,
ना होती बेटी जो इस जग में, तो लल्ला फिर तुम कहाँ से आते?
वीरता की कथा में क्यों अक्सर, बेटों की कहानी कही जाती ,
शहीदे आज़म जितनी ही वीर, क्यों झाँसी की बेटी भुलाई जाती |
बेटे की चाहत में अँधा होकर,क्यों छीने उसके जीवन की आस ,
बेटी जीवन का समापन कर, क्यों भरे बेटे के जीवन में प्रकाश |
इतिहास गवाह उस औरंज़ेब का, शाहजहाँ नज़रबंद करवाया ,
क्या भूल गया उस कल्पना को, जिसने चंदा पर परचम लहराया |
पुरुष प्रधान के इस जग में,क्यों बेटे की चाह में तू जीता ,
मत भूल ! बेटी के लिए जनने वाली से पहले, पहला प्यार होता है पिता |
सुन ले तू ऐ बेटे के लोभी, बेटी पालन तेरे बस की बात ,
खुदा भी कैसे बख़्शे तुझे बेटी, छोटी है बहोत तेरी औकात |
दुनिया का भी दस्तूर है जुदा, तू ही बता ये क्या है खुदा?
लक्ष्मी-सरस्वती, हैं चाह सभी की, क्यों दुआ कहीं ना इक बेटी की ?

4. Poem on Daughters in Hindi – घर की जान होती हैं बेटियाँ
घर की जान होती हैं बेटियाँ
पिता का गुमान होती हैं बेटियाँ
ईश्वर का आशीर्वाद होती हैं बेटियाँ
यूँ समझ लो कि बेमिसाल होती हैं बेटियाँ

बेटो से ज्यादा वफादार होती हैं बेटियाँ
माँ के कामों में मददगार होती हैं बेटियाँ
माँ-बाप के दुःखको समझे, इतनी समझदार होती हैं बेटियाँ
असीम प्यार पाने की हकदार होती हैं बेटियाँ

बेटियों की आँखे कभी नम ना होने देना
जिन्दगी में उनकी खुशियाँ कम ना होने देना
बेटियों को हमेशा हौसला देना, गम ना होने देना
बेटा-बेटी में फर्क होता हैं, ख़ुद को ये भ्रम ना होने देना

5. Hindi Poem on Beti – शाम हो गई अभी तो घूमने चलो न पापा
शाम हो गई अभी तो घूमने चलो न पापा
चलते चलते थक गई कंधे पे बिठा लो न पापा
अँधेरे से डर लगता सीने से लगा लो न पापा
मम्मी तो सो गई
आप ही थपकी देकर सुलाओ न पापा
स्कूल तो पूरी हो गई
अब कॉलेज जाने दो न पापा
पाल पोस कर बड़ा किया
अब जुदा तो मत करो न पापा
अब डोली में बिठा ही दिया तो
आँसू तो मत बहाओ न पापा
आपकी मुस्कुराहट अच्छी हैं
एक बार मुस्कुराओ न पापा
आप ने मेरी हर बात मानी
एक बात और मान जाओ न पापा
इस धरती पर बोझ नहीं मैं
दुनियाँ को समझाओ न पापा

6. Hindi Poem on Betiyan – कि क्या लिखु की वो परियो का रूप होती है
कि क्या लिखु की वो परियो का रूप होती है
या कड़कती सर्दियों में सुहानी धुप होती है

वो होती है चिड़िया की चचाहट की तरह
या कोई निश्चिल खिलखलाहट

वो होती है उदासी के हर मर्ज की दवा की तरह
या उमस में शीतल हवा की तरह

वो आंगन में फैला उजाला है
या गुस्से में लगा ताला है

वो पहाड़ की चोटी पर सूरज की किरण है,

वो जिंदगी सही जीने का आचरण है
है वो ताकत जो छोटे से घर को महल कर दे

वो काफिया जो किसी गजल को मुकम्बल कर दे
जो अक्षर ना हो तो वर्ण माला अधूरी है

वो जो सबसे ज्यादा जरूरी है
ये नही कहूँगा कि वो हर वक्त सास-सास होती है
क्योंकि बेटियां तो सिर्फ अहसास होती है

उसकी आँखे ना गुड़ियाँ मांगती ना कोई खिलौना
कब आओगे, बस सवाल छोटा सा सलोना

वो मुझसे कुछ नही मांगती
वो तो बस कुछ देर मेरे साथ खेलना चाहती है

जिंदगी न जाने क्यों इतनी उलझ जाती है
और हम समझते है बेटियां सब समझ जाती है

7. Poem on Daughter in Hindi – माश्रे का तो ये दस्तूर है
माश्रे का तो ये दस्तूर है
न जाने बेटियों का क्या कसूर है

माँ बाप भी बेटियों की विदाई के लिए मजबूर है
लाड से पाल के दुसरो के हवाले करना बस यही एक जिंदगी का उसूल है

बड़ी चाहतो से तो विदा कर के लाते है दुसरो की बेटियों को अपने घर
कुछ ही अर्शे में वो सब चाहते चकना चूर है

फिर कुछ दिन में किसी की बेटी दिन रात के लिए
आप के लिए फ़क्त एक मजदूर है

मेरी माँ ने तो बड़ी उम्मीद से तुम्हारे हवाले किया था
तुमने भी तो साथ देने का वादा किया था

मेरी आँखों में आंसू ना आने देने का इरादा भी किया था
न जाने फिर अब हर बात पर तुम्हे ये लगता है कि बस मेरा ही कसूर है

बस मेरे ही दिमाग में फितूर है
मेरे मामले में आकर क्यों हर रिश्ता मजबूर है

माश्रे का तो बस यही एक दस्तूर है
क्या बेटी बन के आना ये मेरा कसूर है

8. Beti Par Kavita – कलियों को खिल जाने दो
कलियों को खिल जाने दो,
मीठी ख़ुशबू फ़ैलाने दो
बंद करो उनकी हत्या,
अब जीवन ज्योत जलाने दो!!

कलियाँ जो तोड़ी तुमने,
तो फूल कहाँ से लाओगे ?
बेटी की हत्या करके तुम,
बहु कहाँ से लाओगे ?

माँ धरती पर आने दो,
उनको भी लहलाने दो
बंद करो उनकी हत्या,
अब जीवन ज्योत जलाने दो!!

माँ दुर्गा की पूजा करके,
भक्त बड़े कहलाते हो
कहाँ गयी वह भक्ति,
जो बेटी को मार गिराते हो.

लक्ष्मी को जीवन पाने दो,
घर आँगन दमकाने दो
बंद करो उनकी हत्या
अब जीवन ज्योत जलाने दो

9. बेटी पर कविता – कहती बेटी बाँह पसार
कहती बेटी बाँह पसार,
मुझे चाहिए प्यार दुलार।

बेटी की अनदेखी क्यूँ,
करता निष्ठुर संसार?

सोचो जरा हमारे बिन,
बसा सकोगे घर-परिवार?

गर्भ से लेकर यौवन तक,
मुझ पर लटक रही तलवार।

मेरी व्यथा और वेदना का,
अब हो स्थाई उपचार।

दोनों आंखें एक समान,
बेटों जैसे बेटी महान !

करनी है जीवन की रक्षा,
बेटियों की करो सुरक्षा

10. Poem on Daughters in Hindi – बेटी ये कोख से बोल रही
बेटी ये कोख से बोल रही,
माँ करदे तू मुझपे उपकार.

मत मार मुझे जीवन दे दे,
मुझको भी देखने दे संसार.

बिना मेरे माँ तुम भैया को
राखी किससे बंधवाओंगी.

मरती रही कोख की हर बेटी
तो बहु कहाँ से लाओगे

बेटी ही बहन, बेटी ही दुल्हन
बेटी से ही होता परिवार

मानेगे पापा भी अब माँ
तुम बात बता के देखो तो

दादी नारी तुम भी नारी
सबको समझा के देखो तो

बिन नारी प्रीत अधूरी है
नारी बिन सुना है घर-बार

नही जानती मै इस दुनिया को
मैंने जाना माँ बस तुमको

मुझे पता तुझे है फ़िक्र मेरी
तू मार नही सकती मुझको

फिर क्यों इतनी मजबूर है तू
माँ क्यों है तू इतनी लाचार

गर में ना हुई तो माँ फिर तू
किसे दिल की बात बताएगी

मतलब की इस दुनिया में माँ
तू घुट घुट के रह जाएगी

बेटी ही समझे माँ का दुःख
‘अंकुश’ करलो बेटी से प्यार

11. Hindi Poem on Beti – मै बेटी हूँ मुझे आने दो, मुझे आने दो
मै बेटी हूँ मुझे आने दो, मुझे आने दो
मुझे भी तितली की तरह गगन में उड़ना है.

मेरे आने से पतझड़ भी बसंत बन जाए,
और खाली मकान भी घर बन जाए.

मै वही साहसी बेटी हूँ
जो भेद गयी अंतरिक्ष को भी.

मै जग की जननी हूँ
मै बेटी हूँ मुझे आने दो, मुझे आने दो

मुझे भी अटखेलिया करने दो
मुझे भी गीत मल्हार गाने दो

रोशन कर दूंगी घर को ऐसे
जैसे कोई चाँद सितारा हो

मै वही कर्मवती पद्मिनी, साहसी झाँसी रानी हूँ
जो न झुकेगी, न टूटेगी हर एक गम सह लेगी.

मै तेरी आँखों का तारा बनूँगी,
नाम तेरा रोशन करूंगी इस दुनिया में.

जब भी आएगी कोई बांधा या विपदा
मै तेरे साथ खड़ी होंगी, मै बेटी हूँ मुझे आने दो

मै भी कल-कल करती नदियों की तरह
इस दुनिया रूपी समुंद्र जीना चाहती हूँ

मै आउंगी जरुर आउंगी, फिर कुछ ऐसा कर जाउंगी
कि इस दुनिया को अमर कर जाउंगी.

मै कलियों में फूलो की तरह
तेरे घर को खुशियों से भर दूंगी.

मै वो वर्षा हूँ जो न आई तो
ये खुशियों से भरी धरा बंजर हो जाएगी.

मै सूरज की तरह चमकुगी.
फिर एक नया सवेरा लाऊंगी

मै बेटी हूँ मुझे आने दो, मुझे आने दो

नरेंद्र कुमार वर्मा

12. Hindi Poem on Betiyan – पूजे कई देवता मैंने तब तुमको था पाया
पूजे कई देवता मैंने तब तुमको था पाया |
क्यों कहते हो बेटी को धन है पराया |
यह तो है माँ की ममता की है छाया |
जो नारी के मन आत्मा व शारीर में है समाया ||

मैं पूछती हू उन हत्यारे लोगों से |
क्यों तुम्हारे मन में यह ज़हर है समाया |
बेटी तो है माँ का ही साया |
क्यों अब तक कोई समझ न पाया |

क्या नहीं सुनाई देती तुम्हे उस अजन्मी बेटी की आवाज़ |
जो कराह रही तुम्हारे ही अंदर बार-बार |
मत छीनो उसके जीने का अधिकार |
आने दो उसको भी जग में लेने दो आकार |

भ्रूण हत्या तो ब्रह्महत्या होती है |
उसकी भी कानूनी सजा होती है |
यहाँ नहीं तो वहाँ देना होगा हिसाब |
जुड़ेगा यह भी तुम्हारे पापों के साथ ||

अजन्मी बेटी की सुन पुकार |
माता ने की उसके जीवन की गुहार |
तब मिल बैठ सबने किया विचार |
आने दो बेटी को जीवन में लेकर आकार |

तभी ज्योतिषों ने बतलाया |
बेटी के भाग्य का पिटारा खुलवाया |
यह बेटी करेगी परिवार का रक्षण |
दे दो इस बार बेटी के भ्रूण को आरक्षण |
सावित्री नौटियाल काल ‘सवि’