maa poem

1. Poem about Mother in Hindi – चिंतन दर्शन जीवन सर्जन
चिंतन दर्शन जीवन सर्जन
रूह नज़र पर छाई अम्मा
सारे घर का शोर शराबा
सूनापन तनहाई अम्मा

उसने खुद़ को खोकर मुझमें
एक नया आकार लिया है,
धरती अंबर आग हवा जल
जैसी ही सच्चाई अम्मा

सारे रिश्ते- जेठ दुपहरी
गर्म हवा आतिश अंगारे
झरना दरिया झील समंदर
भीनी-सी पुरवाई अम्मा

घर में झीने रिश्ते मैंने
लाखों बार उधड़ते देखे
चुपके चुपके कर देती थी
जाने कब तुरपाई अम्मा

बाबू जी गुज़रे, आपस में-
सब चीज़ें तक़सीम हुई तब-
मैं घर में सबसे छोटा था
मेरे हिस्से आई अम्मा

2. Maa Par Kavita in Hindi
चूल्हे की
जलती रोटी सी
तेज आँच में जलती माँ !
भीतर -भीतर
बलके फिर भी
बाहर नहीं उबलती माँ !

धागे -धागे
यादें बुनती ,
खुद को
नई रुई सा धुनती ,
दिन भर
तनी ताँत सी बजती
घर -आँगन में चलती माँ !

सिर पर
रखे हुए पूरा घर
अपनी –
भूख -प्यास से ऊपर ,
घर को
नया जन्म देने में
धीरे -धीरे गलती माँ !

फटी -पुरानी
मैली धोती ,
साँस -साँस में
खुशबू बोती ,
धूप -छाँह में
बनी एक सी
चेहरा नहीं बदलती माँ !

3. माँ पर कविता
अंधियारी रातों में मुझको
थपकी देकर कभी सुलाती
कभी प्यार से मुझे चूमती
कभी डाँटकर पास बुलाती

कभी आँख के आँसू मेरे
आँचल से पोंछा करती वो
सपनों के झूलों में अक्सर
धीरे-धीरे मुझे झुलाती

सब दुनिया से रूठ रपटकर
जब मैं बेमन से सो जाता
हौले से वो चादर खींचे
अपने सीने मुझे लगाती

4. Maa Kavita
जन्म दात्री
ममता की पवित्र मूर्ति
रक्त कणो से अभिसिंचित कर
नव पुष्प खिलाती

स्नेह निर्झर झरता
माँ की मृदु लोरी से
हर पल अंक से चिपटाए
उर्जा भरती प्राणो में
विकसित होती पंखुडिया
ममता की छावो में

सब कुछ न्यौछावर
उस ममता की वेदी पर
जिसके
आँचल की साया में
हर सुख का सागर!

5. Short Poem on Mother in Hindi
माँ तुम्हारा स्नेहपूर्ण स्पर्श
अब भी सहलाता है मेरे माथे को
तुम्हारी करुणा से भरी आँखें
अब भी झुकती हैं मेरे चेहरे पर
जीवन की खूंटी पर
उदासी का थैला टाँगते
अब भी कानों में पड़ता है
तुम्हारा स्वर
कितना थक गई हो बेटी
और तुम्हारे निर्बल हाथों को मैं
महसूस करती हूँ अपनी पीठ पर
माँ
क्या तुम अब सचमुच नहीं हो
नहीं,
मेरी आस्था, मेरा विश्वास, मेरी आशा
सब यह कहते हैं कि माँ तुम हौ
मेरी आँखों के दिपते उजास में
मेरे कंठ के माधुर्य में
चूल्हे की गुनगुनी भोर में
दरवाज़े की सांकल में
मीरा और सूर के पदों में
मानस की चौपाई में
माँ
मेरे चारों ओर घूमती यह धरती
तुम्हारा ही तो विस्तार है।

6. Poem about Mother in Hindi – बहुत याद आती है माँ
बहुत याद आती है माँ
जब भी होती थी मैं परेशान
रात रात भर जग कर
तुम्हारा ये कहना कि
कुछ नहीं… सब ठीक हो जाएगा ।
याद आता है…. मेरे सफल होने पर
तेरा दौड़ कर खुशी से गले लगाना ।
याद आता है, माँ तेरा शिक्षक बनकर
नई-नई बातें सिखाना
अपना अनोखा ज्ञान देना ।
याद आता है माँ
कभी दोस्त बन कर
हँसी मजाक कर
मेरी खामोशी को समझ लेना ।
याद आता है माँ
कभी गुस्से से डाँट कर
चुपके से पुकारना
फिर सिर पर अपना
स्नेह भरा हाथ फेरना ।
याद आता है माँ
बहुत अकेली हूँ
दुनिया की भीड़ में
फिर से अपना
ममता का साया दे दो माँ
तुम्हारा स्नेह भरा प्रेम
बहुत याद आता है माँ

7. Maa Par Kavita in Hindi – मेरी आंखों का तारा ही
मेरी आंखों का तारा ही, मुझे आंखें दिखाता है.
जिसे हर एक खुशी दे दी, वो हर गम से मिलाता है.

जुबा से कुछ कहूं कैसे कहूं किससे कहूं माँ हूं
सिखाया बोलना जिसको, वो चुप रहना सिखाता है.

सुला कर सोती थी जिसको वह अब सभर जगाता है.
सुनाई लोरिया जिसको, वो अब ताने सुनाता है.

सिखाने में क्या कमी रही मैं यह सोचूं,
जिसे गिनती सिखाई गलतियां मेरी गिनाता है.

8 हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है
हम कुंठित हैं तो वह एक अभिलाषा है
बस यही माँ की परिभाषा है.

हम समुंदर का है तेज तो वह झरनों का निर्मल स्वर है
हम एक शूल है तो वह सहस्त्र ढाल प्रखर

हम दुनिया के हैं अंग, वह उसकी अनुक्रमणिका है
हम पत्थर की हैं संग वह कंचन की कृनीका है

हम बकवास हैं वह भाषण हैं हम सरकार हैं वह शासन हैं
हम लव कुश है वह सीता है, हम छंद हैं वह कविता है.

हम राजा हैं वह राज है, हम मस्तक हैं वह ताज है
वही सरस्वती का उद्गम है रणचंडी और नासा है.

हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है.
बस यही माँ की परिभाषा है.

9. माँ पर कविता – ओ मेरी प्यारी माँ
ओ मेरी प्यारी माँ,
सारे जग से न्यारी माँ.

मेरी माँ प्यारी माँ,
सुन लो मेरी वाणी माँ.

तुमने मुझको जन्म दिया,
मुझ पर इतना उपकार किया.

धन्य हुई मैं मेरी माँ,
ओ मेरी प्यारी माँ.

अच्छे बुरे में फर्क बताया,
तुमने अपना कर्तव्य निभाया.

अच्छी बेटी बनूंगी माँ,
ओ मेरी प्यारी माँ.

करूंगी तेरा मैं गुणगान,
करूंगी तेरा मैं सम्मान.

शब्द भी पड़ गए थोड़े तेरे गुणगान के लिए माँ,
ओ मेरी प्यारी माँ.

10. Maa Kavita – कभी जो गुस्से में आकर मुझे डांट देती
कभी जो गुस्से में आकर मुझे डांट देती
जो रोने लगूं में मुझे वो चुपाती
जो में रूठ जाऊं मुझे वो मनाती,

मेरे कपड़े वो धोती मेरा खाना बनाती
जो न खाऊं में मुझे अपने हाथों से खिलाती
जो सोने चलूँ में मुझे लोरी सुनाती,

वो सबको रुलाती वो सबको हंसाती
वो दुआओं से अपनी बिगड़ी किस्मत बनाती
वो बदले में किसी से कभी कुछ न चाहती,

जब बुज़ुर्गी में उसके दिन ढलने लगते
हम खुदगर्ज़ चेहरा अपना बदलने लगते
ऐश-ओ-इशरत में अपनी उसको भूलने लगते

दिल से उसके फिर भी सदा दुआएं निकलती
खुशनसीब हैं वो लोग जिनके पास माँ है।

11. Short Poem on Mother in Hindi
बचपन में माँ कहती थीं
बिल्ली रास्ता काटे,
तो बुरा होता है
रुक जाना चाहिए…

बचपन में माँ कहती थीं
बिल्ली रास्ता काटे,
तो बुरा होता है
रुक जाना चाहिए…

मैं आज भी रुक जाता हूँ
कोई बात है जो डरा
देती है मुझे..

यकीन मानो,
मैं पुराने ख्याल वाला हूँ नहीं …
मैं शगुन-अपशगुन को भी नहीं मानता…

मैं माँ को मानता हूँ…
मैं माँ को मानता हूँ….

दही खाने की आदत मेरी
गयी नहीं आज तक..
दही खाने की आदत मेरी
गयी नहीं आज तक..

माँ कहती थीं…
घर से दही खाकर निकल
तो शुभ होता है..

मैं आज भी हर सुबह दही
खाकर निकलता हूँ…
मैं शगुन-अपशगुन को भी नही मानता…

मैं माँ को मानता हूँ…
मैं माँ को मानता हूँ….

आज भी मैं अँधेरा देखकर डर जाता हूँ,
भूत-प्रेत के किस्से खोफ पैदा करते हैं मुझमें,
जादू , टोने, टोटके पर मैं यकीन कर लेता हूँ…

बचपन में माँ कहती थी
कुछ होते हैं बुरी नज़र लगाने वाले,
कुछ होते हैं खुशियों में सताने वाले…
यकीन मानों, मैं पुराने ख्याल वाला नहीं हूँ…
मैं शगुन-अपशगुन को भी नहीं मानता….

मैं माँ को मानता हूँ….
मैं माँ को मानता हूँ…

मैंने भगवान को भी नहीं देखा जमीन पर
मैंने अल्लाह को भी नहीं देखा
लोग कहते है,
नास्तिक हूँ मैं
मैं किसी भगवान को नहीं मानता

लेकिन माँ को मानता हूँ…
में माँ को मानता हूँ….||

12. माँ (काव्य)
रोज़ सुबह, मुँह-अंधेरे
दूध बिलोने से पहले
माँ
चक्की पीसती,
और मैं
घुमेड़े में
आराम से
सोता।
-तारीफ़ों में बंधी
मांँ
जिसे मैंने कभी
सोते
नहीं देखा।
आज
जवान होने पर
एक प्रश्न घुमड़ आया है–
पिसती
चक्की थी
या माँ?