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गुग्गल  धूप का महत्व 

गुग्गल एक वृक्ष का नाम है जिसके तने से प्राप्त होने वाली छाल को गूगल धूप कहा जाता है इस ग्रुप का रंग पीला श्वेत और लाल हो सकता है इसे जब आप जलते हुए उपले पर डालेंगे तो यह मनभावन खुशबू बिखेरेगा इस धूप से देवी-देवताओं को प्रसन्नता और बुरी शक्तियों को दूर किया जाता है हफ्ते में एक बार किसी भी दिन घर में कंडे जलाकर गुग्गल की धूनी देने से गृह कलह शांत होता है भारत में सदियों से या धूप पूजा पाठ से पूर्व काम में ली जा रही है इसके अलावा गुग्गल का प्रयोग इत्र व औषधि बनाने में भी किया जाता है

धूप कई प्रकार की होती हैं तंत्र सार के अनुसार अगर  तगर  कुष्ट शैलज शर्करा नागरमाथा चंदन इलायची तज नख नखी , मुशीर, जटामांसी कर्पूर ताली सदन और गूगल यह 16 प्रकार के धूप माने गए हैं इसे षोडशांग धूप कहते हैं

गुग्गल की धूप देने की विधि और लाभ

पूजा पाठ में धुप दीप और नेवेध्य का हर जगह मंत्रो में प्रयोग होता है  घर में गुग्गल आदि की धुप देने से समस्त देवी देवता अति  प्रसन्न होते हे और अपने आहार के रूप में भी  ग्रहण  करते है |  आयुर्वेद के अनुसार  गुग्गल धुप देने से आंतरिक शांति  मानसिक उर्जा आंतरिक आनंद की प्राप्ति होती है |

  1. तनाव एवं  मस्तिष्क  समन्धित रोग के लिए –  गुग्गल की सुगंध से मस्तिष्क संबंधित रोगों का नाश हो जाता है| यदि आपको किसी भी प्रकार का तनाव है या चिंता है तो गूगल की धूप से राहत मिलेगी इससे रात में अच्छी नींद भी आती हैं , और वातावरण शुद्ध होकर उर्जा प्राप्त होती है |
  2. गृह कलह शांती के लिए –  हफ्ते में एक बार किसी भी दिन घर में कंडे चलाकर गूगल की धूनी देने से गृह कलह शांत होता है | घर में वैचारिक मदभेद  में भी राहत मिलती है |
  3. घर पर तांत्रिक क्रिया के निवारण हेतु –  घर में साफ सफाई रखते हुए पीपल के पत्ते से 7 दिन तक घर में गौमूत्र के छींटे मारे एवं तत्पश्चात शुद्ध गूगल की धूप जला दें इससे घर में किसी ने कुछ कर रखा होगा तो वह दूर हो जाएगा |
  4. कैसे दे धूप : सर्वप्रथम एक कंडा जलाएं फिर कुछ देर बाद जब उसके अंगारे ही रह जाए तब उस पर गूगल डाल दें इससे संपूर्ण घर में एक सुगंधित धुआं फैल जाएगा अक्सर यह धूप गुरुवार और रविवार को दी जाती है सुविधा अनुसार प्रतिदिन भी दे सकते हैं |

बांस युक्त अगरबत्ती क्यों नहीं जलाना चाहिए

बांस युक्त अगरबत्ती जलाना शुभ कार्य में अशुभ है हमारे शास्त्रों में हर जगह धूप दीप नैवेद्य का ही वर्णन है अगरबत्ती का नहीं अगरबत्ती में बांस होता है , हिंदू धर्मानुसार बांस जलाने से पितृ दोष लगता है भारतीय संस्कृति परंपरा और धार्मिक महत्व के अनुसार हमारे शास्त्रों में बांस की लकड़ी को जलाना वर्जित माना गया है यहां तक कि हम अर्थी के लिए बांस की लकड़ी का उपयोग तो करते हैं परंतु उसे चीता में जलाते नहीं जन्म के समय जो नाल माता और शिशु को जोड़ कर रखती है उसे भी बांस के वृक्षों के बीच में गाते हैं ताकि वंश सदैव बढ़ता रहे

बांस ना जलाने का वैज्ञानिक कारण बांस में लेट वह हेवी मेटल प्रचुर मात्रा में पाई जाती हैं लेट जलने पर ऑक्साइड बनाता है तो खतरनाक न्यूरोटॉक्सिक है जो स्वास्थ्य के घातक हैं शास्त्रों में पूजन विधान में कहीं भी अगरबत्ती का उल्लेख नहीं मिलता है सभी जगह धूप ही लिखा है भारतीय संस्कृति हमारे धर्म में हर पूजा की क्रिया वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार मानव मात्र के कल्याण के लिए ही बनी है पूजा अर्चना में अगरबत्ती का प्रयोग न करते हुए गूग्गल आदि धूप का ही प्रयोग करें |

 

– अन्तर्राष्ट्रीय वास्तुविद् वास्तुरत्न ज्योतिषाचार्य पं प्रशांत व्यासजी
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